बदायूं में 19 मार्च 2024 मंगलवार की देर शाम को मोहम्मद साजिद ने दो मासूम हिन्दू बच्चों की उनके ही घर में गला रेत कर हत्या कर दी। घटना के बाद फरार हुआ आरोपित साजिद पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। इस घटना के तुरंत बाद खबर जंगल में आग की तरह पूरे देश में फ़ैल गई जिसके बाद आरोपियों के प्रति एक जनाक्रोश उत्पन्न होना शुरू हो गया। जिसके बाद कुछ लोगों द्वारा इस घटना को इसके वास्तविक रुख से बदलने की कोशिश कई बार की गई। कभी इसे तंत्र क्रिया बताया गया तो कभी इसे संपत्ति विवाद के एंगल दिया गया। हद तो तब हो गई जब आरोपित की दादी ने इस घटना को उपरी हवा का असर बताया।
वहीं घटना के बाद बदायूं पहुंची पाञ्चजन्य की टीम ने जब इन सभी पहलुओं को जांचा तो ये हमारी पड़ताल में केवल सोची समझी साजिश के तहत किसी की दिमाग द्वारा गढ़े हुए झूठ के अलावा कुछ नहीं निकला।
तंत्र क्रिया की बात निकली झूठ
घटना के बाहर आने के बाद इस घटना को हिंदू धर्म से जोड़ने की कोशिश करते हुए इसे तंत्र साधना या तन्त्र क्रिया से जोड़ दिया जो कि हिंदू धर्म से जुड़ी ही एक विधा है। इसके माध्यम इसे बच्चों की हत्या को बलि बताने की कोशिश की गई। इसी के सहारे हिंदू धर्म को भी बदनाम करने की साजिश रची गई।
वैसे तो जिस तंत्र क्रिया की बात की गई उसका इस्लाम से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। फिर भी हम इस एंगल को जांचने के लिए निकले। इस मामले को लेकर जब सना से बात की गई तो सना ने बताया कि “साजिद से उसके निकाह को पूरे 4 वर्ष हो गए हैं इस दौरान उन्हें 2 बार बच्चे भी हुए जो किसी कारण से आज जिंदा नहीं है”। सना ने बताया कि साजिद कहता था कि “बच्चे अल्लाह की देन है, अल्लाह दोबारा देगा”। बच्चों के लिए तन्त्र क्रिया के सहारे की बात को भी सना ने सिरे से नकार दिया
प्रोपर्टी विवाद का एंगल भी निकला झूठा
वहीं जब इस मामले में तंत्र क्रिया की बात नहीं चली तो इसे संपत्ति से जुदा हुआ विवाद बताकर इसके पीछे की कट्टर मानसिकता को छिपाने की कोशिश की गई। एक खास वर्ग द्वारा संपत्ति के विवाद में हुई कई घटनाओं को इस घटना के काउंटर में चलकर इस घटना को भी संपत्ति के विवाद से जुड़ी घटना बताने का प्रयास किया गया।
लेकिन जब प्रोपर्टी विवाद की बात निकाल कर सामने आई तो टीम पाञ्चजन्य इसकी भी पड़ताल में जुट गई। जब इसकी तह तक गए तो पाया की इस घटना के बाद पूरे देश में उबाल आया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर हिंदू यूजर खुलकर इस मजहबी कट्टरता के बारे में लिख रहे हैं, सार्वजानिक आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं, जिसके बाद यह सब देखकर कुछ लोगों ने ऐसी कक्ष में बैठकर योजना बनाई की कैसे इस मामले को हिदू बनाम मुस्लिम से हटाया जाए। उसके बाद इस घटना को संपत्ति विवाद का रंग देने की कोशिश की गई। जबकि सच्चाई से इसका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। साजिद की बेगम सना ने भी मृतक बच्चों के परिवार से किसी भी तरह के संपत्ति से जुड़ा सम्बंधित विवाद के न होने की बात कही।
ऊपरी हवा के नाम पर अपराध को कवर करने की कोशिश
इस घटना को लेकर हम उस समय हैरान रह गए जब आरोपित मोहम्मद साजिद और मोहम्मद जावेद की दादी ने इसे ऊपरी हवा का असर बताते हुए साजिद के जघन्य अपराध को पानी डालकर धोने की कोशिश की। उन्होंने कहा- साजिद पर ऊपरी हवा का साया है, उसे गुस्सा बहुत जल्दी आता है। जावेद बेगुनाह है वो तो डर के मारे भाग गया है।
हमने साजिद की दादी के इस दावे को भी जांचा तो पाया कि अगर ऊपरी हवा थी तो कैसे कोई हत्या के बाद कोई अचानक फरार हो जाएगा। अपने साथ अवैध हथियार और असलाह लेकर घूमेगा। इसके अलावा पकड़ने पहुंची पुलिस टीम की छाती में गोलियां दाग सकता है। अगर बेगुनाह था तो सरेंडर क्यों नहीं किया..?
निष्कर्ष – हमारी पड़ताल में पाया गया कि तंत्र-क्रिया के बहाने इस घटना को सनातन धर्म से जोड़कर बदनाम करने का प्रयास किया गया। इसके बाद इसे संपत्ति विवाद से जोड़कर मजहबी कट्टरता को चीपने की कोशिश की गई। साथ ही इसे उपरी हवा का चक्कर बता कर अपराधी के अपराध को छिपाने का नाकामयाब प्रयास किया गया।
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