सुकमा । जिले के दोरनापाल में सोमवार को नक्सलियों की दक्षिण बस्तर डिविजन कमेटी ने ठेकेदारों को चेतावनी देते हुए पर्चा जारी किया है। नक्सलियों के जारी पर्चे में लिखा है कि इन जनविरोधी कार्य में शामिल ठेकेदारों को जनता कभी माफ नहीं करेगी। नक्सलियों ने पर्चे में लिखा है कि ठेकेदार अपने कार्यों को छोड़ दें, अन्यथा मौत की सजा दी जाएगी।
नक्सलियों ने स्थानीय लोगों को भी अपनी गाड़ियां रोड, पुल-पुलिया जैसे निर्माण कार्य में नहीं लगाने की अपील की है। साथ ही कहा है कि सलाह के बावजूद भी नहीं मानें तो अपनी मौत के जिम्मेदार वे स्वयं होंगे।
नक्सलियों ने पर्चे में लिखा है कि केंद्र व राज्य के डबल इंजन भाजपा सरकार विकास के नाम पर जल-जंगल एवं प्राकृतिक संपदाओं संसाधनों व पर्यावरण और अपने अस्तित्व अस्मिता को बचाने के लिए आदिवासी आंदोलन को बंद करने जनता के ऊपर हमले अत्याचार नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया है।
पर्चे में पूंजीपतियों को बिना रोक-टोक अपना प्राकृतिक संपत्ति को लूटने के उद्देश्य से कॉरपोरेट सैन्यीकरण करने की बात लिखी गई है। नक्सलियों ने पर्चे में लिखा है कि ऑपरेशन कगार के तहत आदिवासी इलाकों में युद्ध स्तर पर रोड, पुल-पुलिया नए- नए पुलिस कैम्प थाना टेक्निकल हेड क्वार्टर, हेलिपैड, मोबाइल टॉवरों का निर्माण किया जा रहा है।
जनता की खेती जमीनों को जबरदस्ती बलपूर्वक हड़पने का आरोप लगाते हुए नक्सलियों ने लिखा है कि पेड़-पौधों को काटा जा रहा है। जनता के विरोध प्रदर्शन के बावजूद उनके ऊपर बमबारी फायरिंग, मारपीट, लूटपाट, महिलाओं पर अत्याचार, अवैध गिरफ़्तारियां जैसे तरह-तरह के दमनात्मक हथकंडे अपना रही है।
बता दें की कुछ दिन पहले ही बिहार के गया में भी इसी तरह पर्चा जारी करके नक्सलियों ने आधा दर्जन (6) लोगों को जान से मारने का फरमान जारी किया था. नक्सलियों द्वारा जारी किए गए पर्चे में जदयू खेल प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष शंभू सिंह समेत 6 ग्रामीणों को जान मारने की धमकी दी गई थी. धमकी बारे ये पर्चे गुरारू थाना क्षेत्र के अलग-अलग तीन स्थलों पर चिपकाए गए थे.
विकास कार्यों से बौखला रहे नक्सली
दरअसल छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार के लिए Forest Conservation करते हुए विकास का प्रवाह सुचारू रखना कठिन चुनौती है. इन इलाकों के गांवों में किसानों के लिए खेती की सुविधाएं और अन्य नागरिक सेवाएं भी मुहैया कराने की डगर आसान नहीं है. क्योंकि यहां पर विकास कार्य नक्सलियों की आँखों में कांटो की तरह चुभते हैं जिसके बाद ये कायराना हरकत कर विकास कार्यों को प्रभावित करने में लग जाते हैं. फिलहाल इन परिस्थितियों में साय सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में ग्रामीण विकास से हिंसा का जवाब देने का फैसला किया है. इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए खास योजना बनाई है।
नियद नेल्लानार योजना होगी लागू
बता दें कि राज्य में नक्सली हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले इलाकाें में बस्तर संभाग प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है। यहां विकास में सबसे बड़ा अवरोध माओवादी नक्सली आतंक है। यहां इससे निपटने के लिए सरकार इस इलाके में Security Camp स्थापित किए हैं। ये कैंप सुरक्षा के साथ विकास के कैंप भी बन गए हैं।
इन कैंप के माध्यम से बस्तर के लोगों, खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को सुरक्षा मुहैया कराने के साथ इन कैंप के माध्यम से गांवों में विकास के काम भी किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार ने हाल ही में ‘नियद नेल्लानार’ योजना शुरू की है।
इस योजना के तहत सुरक्षा कैंपों के 05 किमी के दायरे में सभी गांवों का समग्र विकास किया जाएगा। इसमें स्थानीय लोगों को 25 से ज्यादा Basic Facilities उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही सरकार की व्यक्तिमूलक 32 योजनाओं का लाभ भी इन कैंप के दायरे में रह रहे लोगों को मिलेगा।
ग्रामीणों को मिलेंगी ये सुविधाएं
इस योजना में ग्रामीण परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के आवास दिए जाएंगे। सभी परिवारों का राशन कार्ड बनाया जाएगा। साथ ही सभी परिवारों को मुफ्त चावल, नमक, गुड़ और शक्कर भी दिया जाएगा। इतना ही नहीं सभी परिवारों का वन अधिकार पट्टा बनाने के साथ मुफ्त में सालाना 4 गैस सिलेंडर और फ्री बिजली भी दी जाएगी। इस योजना में किसानों को सिंचाई के लिए बोरवेल बनवाने के अलावा सिंचाई पंप भी दिए जाएंगे।
नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत गांवों में विकास कार्य भी होंगे। इनमें आंगनवाड़ी के लिए सामुदायिक भवन, उप स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक पाठशाला का निर्माण किया जाएगा। साथ ही गांवों में हैंडपंप और Solar Pump की स्थापना की जाएगी। हर गांव में Play Ground बनाया जाएगा। इस योजना में Local Rural Culture के संरक्षण का भी काम होगा।
संस्कृति का भी रखा गया ध्यान
बता दें कि छतीसगढ़ संस्कृति में देवगुड़ियों और मड़ई मेलों का बड़ा महत्व है। देवगुड़ियों के संरक्षण के साथ-साथ सरकार मड़ई-मेलों का भी संरक्षण कर रही है। बस्तर दशहरा के लिए पहले केवल 25 लाख रुपए मिलते थे, अब इस राशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया गया है। इसी प्रकार चित्रकोट मेला के लिए दी जाने वाली राशि को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दी गई है। इसी तरह दंतेवाड़ा की फागुन मड़ई के लिए भी 10 लाख रुपए दिए जाने का निर्णय सरकार ने लिया है।
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