सनातन धर्म को समाप्त करने वाले बयान को लेकर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। सुप्रीम कोर्ट से फटकार के बाद अब बिहार की कोर्ट ने भी उदयनिधि स्टालिन को तलब किया है। आरा जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य के खेल मंत्री को 1 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
डीएमके मंत्री के खिलाफ सनातन धर्म को लेकर विवाद के मामले में आरा सिविल कोर्ट के वरिष्ठ वकील धरणीधर पाण्डेय ने जिसमें भारतीय दंड संहिता के धारा 120(B), 153(A), 153(B), 295(A) और 298 के तहत दायर किया था। जिस, पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये आदेश दिया है। याचिकाकर्ता पाण्डेय ने आरोप लगाया है कि स्टालिन ने चेन्नई में सनातन उन्मूलन कार्यक्रम के दौरान सनातन धर्म को लेकर काफी अभद्र टिप्पणी की थी।
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क्या था डीएमके नेता का बयान
गौरतलब है कि सितंबर 2023 में चेन्नई में सनातन उन्मूलन संगोष्ठि आयोजित होती है। इसमें वक्ता के तौर पर उदयनिधि स्टालिन को बुलाया जाता है, जहां डीएमके मंत्री ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया से की थी। इस पर कोर्ट ने कहा था कि कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनका विरोध नहीं किया जा सकता है। इन्हें जड़ से ही समाप्त करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सनातन धर्म को खत्म करने वाले डीएमके नेता के बयान पर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन करने के बाद वो आखिर अपनी याचिका के साथ सर्वोच्च न्यायालय का रुख कैसे कर लिए। सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने उदयनिधि स्टालिन से कहा था, “आप संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हैं। आप अनुच्छेद 25 के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हैं। अब आप अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं? क्या आप नहीं जानते कि आपने जो कहा उसका परिणाम क्या होगा? आप आम आदमी नहीं हैं। आप मंत्री हैं। आपको परिणाम जानना चाहिए।”
दरअसल, डीएमके नेता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर देश के अलग-अलग राज्यों में दर्ज सभी मामलों को एक ही जगह ट्रांसफर करने की मांग की थी।
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