सीएए कानून देश में लागू होने के लिए तैयार है। इस बीच अब पिछली बार हुए विरोधों से सबक लेते हुए असम के डीजीपी ने दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट चेतावनी देते ही है। उन्होंने कहा कि बंदी के कारण प्रदेश को प्रतिदिन 1643 करोड़ रुपए का नुकसान राज्य को होगा और इसकी भरपाई हम दंगाइयों से ही करेंगे।
असम के डीजीपी जीपी सिंह का कहना है कि प्रदेश की GSDP 5,65,401 करोड़ रुपए के करीब है और ऐसे में प्रदेश को एक दिन की बंदी के कारण करीब 1643 करोड़ रुपए की हानि होगी। उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के पैरा नंबर 35 (9) के तहत इस नुकसान की भरपाई इन्हीं प्रदर्शनकारियों से की जाएगी। ये फैसला वर्ष 2019 में CAA के खिलाफ असम हुए प्रदर्शन के बाद आया था।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के शाहीन बाग के अलावा असम में सीएए के खिलाफ बहुत ही तगड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया था। अब जब सीएए कानून देश में लागू होने जा रहा है तो असम में 16 दलों के संगठन संयुक्त विपक्षी मंच असम ने प्रदेश के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के जरिए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर सीएए कानून को रोकने की मांग की है। अपनी मांग के साथ ही इन दलों ने एक तरीके से धमकाने की कोशिशें की हैं कि अगर इनकी मांगे नहीं मानी गईं तो ये प्रदेश में आंदोलन करेंगे।
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कानून से दिक्कत है तो कोर्ट जाओ
वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि जिन लोगों को सीएए कानून से दिक्कत है तो उन्हें कोर्ट जाना चाहिए। इसके खिलाफ किसी भी तरह के आंदोलन की कोई प्रासंगिकता नहीं है। सरमा कहते हैं कि इस कानून को संसद ने बनाया है, ऐसे में उसके खिलाफ प्रदर्शन का कोई फायदा नहीं है। इस मामले में अगर कोई कुछ कर सकता है तो केवल सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है। संसद अनिश्चितकाल के लिए बंद हो चुका है और अगले चार महीने तक कोई भी संसद के दोनों सदनों की बैठक नहीं बुला सकता है।
उन्होंने कहा है कि सीएए कानून व्यवहारिक है और ये भारतीय कानून की किताब में शामिल है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि अगर कोई सीएए कानून का राजनीतिकरण करके अपना कैरियर चमकाना चाहता है तो वो ऐसा कर सकते हैं।
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