पड़ोसी इस्लामी देश अपनी कमअक्ली और भारत विरोधी सोच का रह—रहकर उदाहरण पेश करता रहता है। राजनीतिक दलों के नेताओं की भारत विरोधी बयानबाजियों के अलावा वहां के मदरसाई तालीम पढ़े कठमुल्लों के भारत को लेकर बिगड़े बोल भी सुनाई देते रहे हैं। लेकिन अब ताजा हैरानी वहां के गुरुद्वारों का संचालन करने वाली कमेटी के अगुआओं की समझ को लेकर हुई है। किसने सोचा होगा कि पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी पीएसजीपीसी खालिस्तानियों को कमेटी का हिस्सा बनाएगी! इस कमेटी में भारतीय विमान अपहरण करने वाले अपराधी के रिश्तेदार को लिया गया है। कम से कम 13 सदस्य ऐसे भर्ती किए गए हैं कि अच्छा—खासा बखेड़ा खड़ा हो गया है।
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के इस कदम से विवाद ने जन्म लिया है। यह कमेटी पाकिस्तान सरकार के अधीन ही कार्य करती है इसलिए इसमें संदेह नहीं है कि भारतविरोधी सोच के लोगों की सरकार को इस कदम में कोई खराबी नहीं दिखी होगी कि भारत को तोड़ने की बात करने वालों को कमेटी का सदस्य बनाया जाए। वैसे भी वहां की गुप्तचर संस्था आईएसआई खालिस्तानियों को भारत विरोधी कामों के लिए पाले ही हुए है।
इस्लामाबाद के कथित इशारे पर सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जिन 13 नए लोगों को सदस्य बनाया है वे कुख्यात खालिस्तान समर्थक हैं। इन लोगों में से खास तौर पर तारा सिंह, रमेश सिंह अरोड़ा, सरवंत सिंह, ज्ञान सिंह चावला, हरमीत सिंह, सतवंत कौर, भागवत सिंह, महेश सिंह, मामपाल सिंह और साहिब सिंह को लेकर सही सोच वालों ने आपत्ति जताई है। भारत सरकार ने भी फौरन कार्रवाई करते हुए अपनी तरफ से विरोध दर्ज कराया है।
तारा सिंह के नाम पर भी भारत सरकार ने शिकायत की है। ये तारा सिंह उस खालिस्तानी लखबीर सिंह रोडे का नजदीकी है जो कभी प्रतिबंधित खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स तथा इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का सरगना था। गत वर्ष लखबीर रोडे की पाकिस्तान में मृत्यु हो गई थी। बताया जाता है कि महेश सिंह भी रोडे का नजदीकी रहा है। इसी तरह कमेटी में शामिल नए लोगों में डॉ. मीमपाल सिंह और ज्ञान सिंह चावला की सोच भी भारत विरोधी ही रही है।
जहां तक पता चला है उसके अनुसार, रमेश सिंह अरोड़ा वह नाम है जिसे लेकर भारत सरकार ने मुख्य रूप से अपना विरोध दर्ज कराया है। कारण यह कि रमेश सिंह उसी मंजीत सिंह पिंका की बहन का पति है जिसने साल 1984 में श्रीनगर से लाहौर जा रहे हवाई जहाज को अपहृत किया था। भारत सरकार के रिकार्ड में वह ‘फरार’ के तौर पर दर्ज है।
ऐसे ही एक और नाम तारा सिंह पर भी भारत सरकार ने शिकायत की है। ये तारा सिंह उस खालिस्तानी लखबीर सिंह रोडे का नजदीकी है जो कभी प्रतिबंधित खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स तथा इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का सरगना था। गत वर्ष लखबीर रोडे की पाकिस्तान में मृत्यु हो गई थी। बताया जाता है कि महेश सिंह भी रोडे का नजदीकी रहा है। इसी तरह कमेटी में शामिल नए लोगों में डॉ. मीमपाल सिंह और ज्ञान सिंह चावला की सोच भी भारत विरोधी ही रही है।
इन लोगों की कमेटी में नियुक्ति को लेकर आपत्ति करने वालों ने यहां तक कहा है कि ये लोग कन्वर्टिड सिखों की पहली पीढ़ी के लोग हैं। इसी कमेटी के कुछ सदस्यों ने अंदर की बात बताते हुए कहा कि गत वर्ष उन्होंने पाकिस्तान के मजहबी मामलों के मंत्रालय में अपील डाली थी कि कन्वर्टिड सिखों की पहली पीढ़ी को कमेटी का सदस्य न बनाया जाए और साथ ही उन्हें किसी भी तरह के धार्मिक मामलों की जिम्मेदारी न दी जाए। उनका कहना है कि कमेटी में सिर्फ असल खालसा सिख को ही शामिल किया जाना चाहिए।
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