पश्चिम बंगाल में संदेशखाली की महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के मामले प्रदेश के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने महिलाओं के लिए राजभवन के दरवाजे खोल दिए हैं। उन्होंने कहा है कि संदेशखाली की जो भी पीड़ित महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, उनके लिए राजभवन के दरवाजे खुले हुए हैं। राज्यपाल के इस कदम की टीएमसी के ही सांसदों शिशिर अधिकारी और उनके छोटे बेटे तमलुक से लोकसभा सांसद दिब्येंदु ने सराहना की है।
शिशिर अधिकारी भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के पिता हैं। उन्होंने राज्यपाल के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि ये बहुत ही अच्छी सोच है। मुझे याद है जब नंदीग्राम में सीपीआईएम के गुडों से बचाने के लिए इसी तरह से गांव के लोगों ने अपने घर में पनाह दी थी। वहीं दिब्येंदु अधिकारी ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं को राजभवन परिसर में आश्रय देने के लिए आपने जो कदम उठाया है वो अकल्पनीय है। इसके साथ ही टीएमसी सांसद ने राज्यपाल से ये भी पूछा है कि अगर आप (राज्यपाल) मुझे पीड़ित महिलाओं के समर्थन में अपने पक्ष में खड़े होने की इजाजत देते हैं तो हम इसके लिए आभारी रहेंगे।
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हिमंता बिस्वा सरमा ने भी साधा निशाना
इस बीच संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं पर ममता बनर्जी के गुर्गे शेख शाहजहां और उसके साथियों द्वारा की गई बर्बरता को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने भी निशाना साधा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में पत्रकारों के साथ किए गए दुर्व्यवहार को लेकर ममता बनर्जी की आलोचना की और कहा कि संदेशखाली में जो हुआ है वो ही ममता बनर्जी के पतन का कारण बनेगा।
NHRC ने लिया स्वत: संज्ञान
वहीं संदेशखाली की घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी स्वत: संज्ञान ले लिया है। बुधवार को आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि मावाधिकार आयोग का एक विशेष दल संदेशखाली पीड़ितों से मिलने के लिए जाएगा। ये टीम संदेशखाली में मानवाधिकारों के हनन की जांच करेगी। इसके साथ ही आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि अब तक संदेशखाली में हुई हिंसा के मामले में क्या एक्शन लिया गया और अपराधियों के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की गई है। आयोग ने चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
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