पाकिस्तान में जब भी चुनाव होता है, बलूचिस्तान में आजादी समर्थक गुट इसका बहिष्कार करते हैं और सेना बड़े पैमाने पर चुनाव में हेरफेर करके उस पार्टी को जिताने का इंतजाम करती है, जिसके साथ उसका ‘तालमेल’ होता है। यह हर बार होता है, इस बार भी हुआ। लेकिन, इस बार का चुनाव दो मायनों में अलग रहा। पूरे बलूचिस्तान में जगह-जगह विस्फोट हुए और दो, घरों से न निकलने की सलाह के बावजूद बड़ी संख्या में लोग बाहर निकले और उन्होंने मतदान को न केवल रोकने का प्रयास किया, बल्कि कई जगहों पर वे ऐसा करने में सफल भी रहे।
जमकर पड़े फर्जी वोट
बलूचिस्तान के चुनाव में हर बार की तरह इस बार भी जमकर धांधली हुई। जगह-जगह मतदान केंद्रों में लोग ‘वोट छापते’ नजर आए। इस तरह की घांधली में सुरक्षा बलों की भी लिप्तता थी। कई जगहों पर उन्हें फर्जी वोट करने में मदद करते देखा गया। लोगों ने कई जगहों के वीडियो भी बनाए और उन्हें एक्स पर पोस्ट किया। इन सबमें तरह-तरह से फर्जीवाड़ा किया गया। ग्वादर का एक ड्राइवर तो इसलिए हलकान था कि उसे प्रेजाइडिंग अफसर बना दिया गया था। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में दूरसंचार और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी रोक दी थीं जिसपर एमनेस्टी इंटरनेशनल के एशिया कार्यालय ने ट्वीट कर आपत्ति भी जताई और इसे लोगों की आजादी पर हमला करार दिया। साथ ही एमनेस्टी ने पाकिस्तान सरकार से अपील की कि वह इस तरह की रोक को वापस ले।
जगह- जगह धमाके
पिछले कुछ दिनों से जिस तरह बलूचिस्तान में अफगानिस्तान और ईरान के सीमाई इलाकों से लेकर अलग-अलग इलाकों में हमले हो रहे थे, यह अंदाजा था कि इस बार के चुनाव में जगह-जगह धमाके होंगे और हुआ भी ऐसा ही। विशेष सुरक्षा दस्ते के घेरे में रहने वाले बंदरगाह शहर ग्वादर में तो सहायक आयुक्त की गाड़ी पर बम फेंका गया, जिसमें आयुक्त को तो कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन उनके साथ के दो लोग घायल हो गए। आयुक्त को सुरक्षाकर्मियों ने आनन-फानन वहां से निकाला। खरान में लाजे इलाके के मतदान केंद्र पर हमले में दो चुनाव कर्मचारी मारे गए जबकि पांच लोग घायल हो गए। कोहलू जिले के तंबो और पोझ के मतदान केंद्रों पर बीएम-12 मिसाइलें दागी गईं। मिसाइल से हमले को आने वाले समय में फौज के लिए खतरनाक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
लोगों ने रोके मतदान
बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) समेत अन्य सशस्त्र संगठनों के रुख से साफ था कि वे चुनाव के दिन हमले करेंगे। लेकिन, वे चाहते थे कि इन हमलों में धोखे से ही कहीं आम लोग न मारे जाएं और इसी कारण बीएलए ने आम लोगों से अपील की थी कि वे 7 और 8 फरवरी को अपने घरों से न निकलें। बीएलए ने बयान में साफ किया था कि ‘बलूच राष्ट्र का इन फर्जी चुनावों से कोई लेना-देना नहीं। हम इन चुनावों का विरोध करते हैं। इन चुनावों की आड़ में पाकिस्तान दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि बलूचिस्तान उसका एक वैधानिक राज्य है।’ लेकिन बीएलए की हिदायतों के बाद भी बड़ी संख्या में लोग अपने घरों से बाहर निकले और चुनाव का विरोध किया।
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स्थिति ऐसी रही कि कई जगहों पर मतदान केंद्रों से कर्मचारियों को खदेड़ दिया गया। मांड में बड़ी संख्या में लोगों ने गोबरद इलाके के मतदान केंद्र को घेर लिया जिसके कारण मतदान कराने आए कर्मचारियों को वह केंद्र ही बंद कर देना पड़ा। जमुरान के निवानू इलाके में मतदान केंद्र को सुबह मतदान शुरू होने के कुछ ही देर बाद आग लगा दी गई और वहां तैनात मतदान कर्मचारी और सुरक्षा बल के लोग जान बचाकर भागे। यहां भी मतदान नहीं हो सका। तुरबत में लोग सड़कों पर निकल आए और उन्होंने हेरोंक और शपुक इलाके में नारेबाजी की जिसके कारण काफी देर तक मतदान नहीं हुआ। दूर-दराज के इलाकों में तो कई मतदान केंद्रों पर मरघटी सन्नाटा छाया रहा।
महिलाओं का प्रदर्शन
कई जगहों पर महिलाएं सड़कों पर उतरीं और उन्होंने जमकर नारेबाजी की। मांड के गवाक में महिलाएं मतदान केंद्र में घुस गईं और उन्होंने मतपेटियों को उठाकर बाहर फेंक दिया। आम लोगों और महिलाओं का इस तरह बाहर निकलना बताता है कि बलूचिस्तान के लोग किस तरह आजिज आ चुके हैं और उनमें पाकिस्तान की व्यवस्था के प्रति कितना असंतोष है।
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