इस्लामिक मुल्क सऊदी अरब में कुछ साल पहले तक योग अभ्यास को कुफ्र माना जाता था। यही नहीं सऊदी अरब में योग के बारे में सोचना भी अपराध था। लेकिन दुनिया भर में योग के बारे में दृष्टिकोण बदल रहा है। अब सऊदी अरब में भी सैकड़ों लोग योग सीख रहे हैं। इसी के चलते सऊदी ने अपने सबसे पवित्र माने जाने वाले मक्का शहर में योग पर चैपियनशिप आयोजित कराई।
27 जनवरी दिन शनिवार को मक्का ने दूसरी सऊदी ओपन योग आसन चैम्पियनशिप की मेजबानी की। इस प्रतियोगिता को अल-वेहदा सऊदी क्लब ने आयोजित किया। इसमें बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियों ने भाग लिया और योग आसन किए। क्लब ने चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को इनाम देकर सम्मानित किया। इस चैंपियनशिप को देखने के लिए काफी संख्या में लोग जुटे और योग आसन देखकर प्रतिभागियों की तारीफ भी की।
सऊदी में लगातार बढ़ रही है योग की लोकप्रियता
सऊदी अरब में योग को लेकर वहां के लोगों में इसकी लोकप्रियता लगातार बढती ही जा रही है। मक्का शहर में आयोजित हुए योग के इस कार्यक्रम वहां के अलावा जेद्दा, मदीना, ताइफ और देश के दूसरे शहरों से भी प्रतिभागी भाग लेने पहुंचे। इस कार्यक्रम को सऊदी अरब ओलंपिक समिति और खेल मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित किया गया, जो एक वैध खेल गतिविधि के रूप में योग की आधिकारिक मान्यता का संकेत है। इस दौरान सऊदी योग समिति के अध्यक्ष नौफ अल-मरवाई खुद इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
बता दें कि योग को नवंबर 2017 में सऊदी में आधिकारिक तौर पर अनुमति दी गई थी। इसके बाद मई 2021 में सऊदी योग समिति का गठन हुआ, जिसे बाद में नए सऊदी योग महासंघ के रूप में मान्यता दी गई।
मक्का में योग के आयोजन ने तोड़ी कई भ्रांतियां
मुसलमानों के लिए सबसे ज्यादा धार्मिक अहमियत रखने वाले शहरों में से एक मक्का में योग प्रतियोगिता के इस आयोजन ने कई भ्रान्तियों को भी तोड़ने का काम किया है। दुनिया के कई मुस्लिम देशों में कट्टरपंथी योग का विरोध करते रहे हैं लेकिन सऊदी ने मक्का में योग के इस सफल कार्यक्रम का आयोजन कराकर उन सभी कट्टरपंथी इस्लामिक देशों को करार जबाव दिया है जो अभी भी योग को कुफ्र और अपराध मानते है.
योग को सूर्य की पूजा कहकर विरोध करते हैं कट्टरपंथी
योग का विरोध करने वालों में मालदीव, मलेशिया, पाकिस्तान समेत कई इस्लामिक देशों के मौलाना और संगठन शामिल हैं। इन कट्टरपंथियों का मानना है कि योग मे सूर्य की पूजा की जाती है। योग की क्रियाएं सूरज को भगवान मानकर पूजा करने जैसी है, जिसकी इजाजत इस्लाम नहीं देता। वहीं कई इस्लामिक लोगों का कहना है कि योग स्वस्थ रहने के व्यायाम का एक तरीका है, इसे धार्मिक चश्मे की बजाय किसी भी दूसरे खेल या कसरत की तरह देखा जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र ने दी योग को मान्यता
संयुक्त राष्ट्र ने 11 दिसंबर 2014 को 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। दुनियाभर के कई देशों में योग अभ्यास को नियमित रूप से अपनाया जा रहा है।
नोउफ अल-मारवाई ने बढ़ाई योग के प्रति जागरुकता
सऊदी अरब में योग को लेकर आ रहे इस बदलाव के पीछे कई कारण है। उनमें से एक हैं 38 वर्षीय नोउफ अल-मारवाई। मारवाई ने अपने प्रयास से सऊदी में सैकड़ों लोगों को योग सिखाया है। मारवाई की संस्था का नाम अरब योगा फाउंडेशन है। सऊदी अरब में महिलाओं के लिए योग स्टूडियो भी मारवाई की देन माना जाता है।
मारवाई कहती हैं कि योग को मान्यता मिलने के कुछ महीने में ही मक्का और मदीना सहित कई बड़े शहरों में योग स्टूडियो खुल गए। योग प्रशिक्षकों का नया उद्योग खड़ा हो गया।
मारवाई भारत को अपना दूसरा घर मानती हैं और योग को लेकर पूरे विश्व वो जागरूकता फैलाने के लिए वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आभारी हैं। मारवाई भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकीं हैं।
बता दें कि अरब में पहले योग को सिर्फ हिंदू धार्मिक परंपरा माना जाता था। योग करना गैर इस्लामिक माना जाता था। लेकिन अब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने योग को खेल के रूप में मान्यता दी है। अब यह देश भर में लोकप्रिय हो रहा है।
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