देशभर में राम मंदिर की बहुप्रतीक्षित प्राण प्रतिष्ठा के महत्त्वपूर्ण अवसर का इंतज़ार ख़त्म हुआ। सभी भारतीयों ने इस ऐतिहासिक पल को अपने ह्रदय के सबसे उच्च स्थल पर स्थापित कर हर्ष से गौरवान्वित हो रहे हैं। इस अविस्मरणीय ऐतिहासिक महोत्सव को अपने ह्रदय में कालांतर तक स्थापित रखने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर भगवान राम से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए।
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गणमान्य अथितियों एवं दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाला यह कार्यक्रम हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत उत्सव और वर्षों की भक्ति और समर्पण की परिणति को दर्शाता है। कार्यक्रमों की श्रृंखला में श्रद्धेय महाकाव्य, रामायण के प्रति श्रद्धा अर्पित की गई और इस महत्वपूर्ण अवसर के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम में भगवान राम द्वारा अपनाए गए मूल्यों से प्रेरित समकालीन कलात्मक अभिव्यक्तियों को भी शामिल किया गया। इस दौरान श्री राम पर केंद्रित एक गीतमय नृत्य प्रस्तुत किया गया।
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कार्यक्रम के दौरान गणमान्य अथितियों में प्रोफेसर बी. के कुठियाला (चेयरमैन दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय) उपस्थित रहे। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर भावना पाण्डेय ने कहा कि श्रीराम का जीवन और उनके आदर्श हम सभी के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेगा, उनके नैतिक मूल्यों को शिक्षा से जोड़कर देखा जा सकता है। महाविद्यालय के चेयरमैन बी के कुठियाला जी ने कहा कि हमें महाविद्यालय को एक शैक्षिक केंद्र के साथ-साथ एक बौद्धिक केंद्र के रूप में भी स्थापित करना होगा। श्री राम के जीवन के सभी पहलुओं पर विचार कर उनसे सीख लेनी चाहिए, शिक्षक श्री राम को केंद्र में रखकर अपने विषय से जोड़कर कुछ नए शोध भी कर सकते हैं।
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