स्वामी जी की हत्या के साजिशकर्ता आज भी खुले घूम रहे हैं तथा धड़ल्ले से कन्वर्जन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए लक्ष्मणानंद जी का पूरा जीवन समर्पित था।
गत 3 जनवरी को भुवनेश्वर में प्रतिपक्ष के नेता जय नारायण मिश्र ने एक संवाददाता सम्मेलन में मांग की कि राज्य सरकार स्वामी लक्ष्मणानंद जी की हत्या के संदर्भ में जो जांच हुई है, उसकी रपट को सार्वजनिक करे। उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्ग के लाखों लोगों के उत्थान का कार्य करने वाले स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या को 15 साल बीत चुके हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि उनकी हत्या के लिए गठित न्यायिक आयोगों की रपट को राज्य सरकार सार्वजनिक नहीं कर रही है।
इसके पीछे क्या रहस्य है तथा किन लोगों को बचाने देने के लिए जांच रपट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है, राज्य की जनता सरकार से इसका उत्तर मांग रही है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी की हत्या के साजिशकर्ता आज भी खुले घूम रहे हैं तथा धड़ल्ले से कन्वर्जन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए लक्ष्मणानंद जी का पूरा जीवन समर्पित था।
जनजातीय इलाकों में कन्वर्जन कराने वाले तत्वों के लिए वह बड़ी बाधा थे। इस कारण देश विरोधी तत्व उनकी हत्या करने की साजिश रच रहे थे। 25 दिसंबर, 2007 को उन पर जानलेवा हमला हुआ था और गंभीर हालत में उन्हें कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भर्ती कराया था। तब राज्य सरकार ने उन्हें सुरक्षा देने की बात कही थी। इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई और 2008 में जन्माष्टमी के दिन उनकी व उनके चार सहयोगियों की हत्या कर दी गई। इसके लिए तीन न्यायिक आयोगों का गठन किया गया था।
दो आयोगों ने अपनी रपट राज्य सरकार को दे दी है, लेकिन अभी तक उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है। देवाशीष होता नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इस मामले के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उनके आवेदन पर सुनवाई करने के बाद कटक स्थित उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
-डॉ. समन्वय नंद
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