आज अयोध्या में भगवान रामलला का भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। आगामी 22 जनवरी को उनके श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा गर्भगृह में होगी। जिसका उत्सव पूरे देश में मनाया जाएगा। लेकिन इसके लिए हुए आंदोलन में ना जाने कितने ही कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इससे पूरा देश परिचित है।
आज जब भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है तो इन बलिदानियों के परिजनों का सपना भी साकार हो रहा है। लेकिन क्या आपको पता है उन दिनों भगवान राम की भक्ति उत्तर प्रदेश में अपराध बन गई थी। और रामभक्त होने पर लोगों को अपराधियों की तरह ही जेल में डाल दिया जाता था। आज पाञ्चजन्य आपको ऐसे ही एक जिंदा कारसेवक की कहानी खुद उसकी जुबानी बताने जा रहा है जिसके लिए भगवान राम के प्रति श्रद्धा उसका अपराध बन गई।
उस कारसेवक का नाम मनोज कुमार अग्रवाल है जो कि अलीगढ के निवासी हैं। मनोज कुमार अग्रवाल तब महज 23 साल के थे। वे जब अयोध्या कूच कर रहे थे, तब उन्हें अलीगढ़ रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था।
कारसेवा को विश्व हिंदू परिषद् ने किया था आह्वान
मनोज कुमार अग्रवाल ने पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि उस समय विश्व हिन्दू परिषद का आह्वान था कि पूरे देश में जिला स्तर पर कारसेवक अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। उन्होंने बहुत ज्यादा वंदिशें लगाई हुईं थी जिसका कारण था कि किसी भी तरह से कई व्यक्ति पूरे उत्तर प्रदेश से अयोध्या कारसेवा के लिए ना पहुंचे।
रामभक्ति बनी अपराध, रामभक्त बने अपराधी
मुलायम सिंह का कहना था अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। सभी कारसेवकों को रेलों से उतारा जा रहा था। हमारा अपना जत्था लगभग 150 लोगों की थी। जब हमारा जत्था हरिगढ़ (अलीगढ) के रामलीला मैदान से रेलवे स्टेशन से प्रस्थान किया तो रेल से उतार कर सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। हमलोग का कोई अपराध था इसलिए हमें राम भक्ति का अपराध दिया गया था। 28 अक्तूबर 1990 में हमें गिरफ्तार कर लिया गया था।
जेल में लगाई संघ की शाखा
उन्होंने बताया कि हमलोग हरिगढ़ जनपद के जेल में थे। जहां लगातार रामभक्तों की संख्या बढती ही जा रही थी। वहां पर हमलोग संघ की शाखा भी लगाया करते थे। जेल के जेलर भी राष्ट्रवादी विचार के थे तो किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई। कुल मिलाकर जेल का माहौल ठीक-ठाक था। जेल में हमलोगों से मिलने सभी वर्गों के लोग बड़ी संख्या में आया करते थे।
जेल के बाहर था मुगल काल जैसा माहौल
मनोज जी से जब हमने पूछा की उस समय का माहौल कैसा था तो उन्होंने बताया कि उस समय केसरिया पटका लगाकर कोई व्यक्ति बाहर निकलता था तो गिरफ्तार कर लिया जाता था। तिलक लगाकर निकलता था, तो गिरफ्तार कर लिया जाता था। लोग पुलिस वाले के सामने राम-राम कहने से भी डरते थे। उस समय जेल के बाहर बिल्कुल मुगल काल जैसा माहौल था परंतु हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल दृढ़ था।
कारसेवकों की गिरफ्तारी पर लगाए जा रहे थे अल्ला हू अकबर के नारे
उन्होंने आगे बताया कि कारसेवा करने की इच्छा रखने वाले हजारों-लाखों लोग अयोध्या की ओर बढ़ कर रहे थे। उन्हें प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में रोका जा रहा था, ताकि वे अयोध्या ना पहुंच सकें। उसी समय हरिगढ़ में कारसेवकों को गिरफ्तार कर जेल में डाला जा रहा था। इन्हीं कारसेवकों में से एक मैं भी था। तब मैं महज 23 साल का था। हम जब अयोध्या जा रहे थे, तब हमें हरिगढ़ रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया था। उस समय जब हम गिरफ्तार हो रहे थे, तब यहां पर मुसलमान लोग “अल्ला हू अकबर” का नारा लगाया करता था।
पुलिस से बचकर अयोध्या पहुंचे साथी हुए बलिदान
बातचीत के दौरान अपने एक साथी को याद करते हुए मनोज जी ने भावुकता के साथ बताया कि उनके एक साथ साथी थे भगवान राम जी वे पुलिस प्रशासन से बचकर अयोध्या कारसेवा के लिए पहुंच गए लेकिन वहां पर वह मुलायम सरकार द्वारा दिए गए आदेश के बाद कारसेवकों पर हुई गोलीबारी में 2 नवम्बर 1990 को गोली लगने से बलिदान हो गये।
बेरहमी से मारती थी पुलिस, आज भी होता है दर्द
मनोज अग्रवाल ने आगे बताया कि हमारा परिवार संघ से जुड़ा हुआ था तो राष्ट्रीयता के संस्कार हमें घर से ही मिले हुए थे। परिवार हमारा व्यावसायी था, इसलिए हमें नौकरी की चिंता नहीं थी। लेकिन जब हमें गिरफ्तार किया गया, तब उस रात में डंडे से हमारी इतनी बूरी तरह पिटाई की गयी थी कि आज भी घुंटनों में उसका दर्द रहता है। लेकिन अब भव्य मंदिर का निर्माण हो गया तो हम अपना दर्द भूला देते हैं।
रामभक्ति को बनाया जाता था चालान का आधार
कारसेवकों को जेल भेजे जाते समय एक प्रमाण पत्र दिया गया था, जिसमें लिखा था कि उनका अपराध क्या है और किस धारा के तहत उन्हें जेल भेजा जा रहा है। उस प्रमाण पत्र पर साफ तौर पर लिखा था, उनका चालान रामभक्ति के कारण हुआ। जी हां, उनके ऊपर धारा तो 107/116 लगी थी, लेकिन आगे उसमें लिखा है ‘रामभक्त चालानी’।
500 सालों का सपना हो रहा पूरा
इस समय तो योगी जी की सरकार है और सभी जगह माहौल साकारात्मक है। आज 500 साल का राम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष सफल हो गया। हमलोग बड़े सौभाग्शाली हैं जो अयोध्या में राम मंदिर बनते हुए देख रहे हैं। बचपन से ही रामलला कब आएंगे का नारा लगाया करते थे। इसके लिए अनेकों बार जेल गए, पुलिस की लाठियां खायी। मंदिर बनते ही आज हम सबका सपना पूरा हो गया।
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