केरल की वामपंथी सरकार की छत्रछाया में ड्रग्स का व्यापार दिन दोगुना और रात चौगुना फल-फूल रहा है। इसके साथ ही बढ़ रहा है ड्रग्स के कारण अपराध। ड्रग्स की तस्करी और इसके गोरखधंधे का सबसे बड़ा अड्डा है केरल का कोच्चि शहर। यहीं पर सबसे ज्यादा मादक पदार्थों की तस्करी और उपयोग होता है। इस शहर में एक भी पुलिस स्टेशन ऐसा नहीं बचा है, जहां पर ड्रग्स के एक से अधिक मामले न दर्ज हों। केरल के स्थानीय समाचार पत्र केरल कौमुदी की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले 2022 में ही अन्य वर्षों की तुलना में ड्रग्स के मामलों में 300 फीसदी से अधिक वृद्धि देखने को मिली है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जब देश में कोरोना की लहर चल रही थी और हर जगह लॉकडाउन था तो इसमें कुछ कमी देखी गई थी, लेकिन कोरोना के बाद इसमें बेतहाशा बढ़त देखने को मिली। केरल के कोच्चि के साथ ही त्रिशुर, इडुक्की और कन्नूर जैसे जिलों में भांग, एमडीएमए ड्रग्स के उपयोगकर्ताओं की संख्या में तेजी से उछाल आया है। हाल ही में DANSAF टीम और कडक्कवूर पुलिस ने तीन युवकों को गिरफ्तार किया जो खुद को बचाने के लिए आक्रामक नस्ल के कुत्तों के साथ ड्रग्स का कारोबार कर रहे थे। ये लोग छात्रों और विदेशियों को ड्रग्स की सप्लाई करते थे। वे नशीले पदार्थों को छोटे-छोटे पैकेजों में बिक्री के लिए रखते थे। पुलिस को उनके पास से एमडीएमए, गांजा और नशीली दवाओं का सामान मिला। गुप्त सूचना के आधार पर मौके पर पहुंची पुलिस टीम पर पालतू कुत्तों ने हमला कर दिया। बाद में किसी तरह से पुलिस ने कुत्तों को एक कमरे में बंद करने के बाद युवकों को गिरफ्तार किया।
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हालांकि, ये कोई पहला मामला नहीं है, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केरल में इस तरह के कई सारे ड्रग्स के सिंडिकेट सीक्रेटली काम कर रहे हैं। आरोपी ड्रग्स के जरिए हिंसा और उत्पीड़न जैसी वारदातों को भी अंजाम दे रहे हैं। शराब की दुकानों को सामूहिक रूप से बंद करने के फैसले के कारण शुरुआत में भांग और एमडीएमए की बिक्री में तेजी आई। जो लोग नशे के आदी हो जाते हैं वे फिर पैसों के लिए नशे का व्यापार करने लगते हैं। तिरुवनंतपुरम के मनवीयम विधि में ड्रग गिरोहों द्वारा हिंसा और तोड़फोड़ की कई घटनाएं हुई हैं। ऐसे लोगों द्वारा अनुचित रासायनिक नशे के कारण की जाने वाली हिंसा एक गंभीर सामाजिक खतरा बन गई है। नशीली दवाओं की तस्करी और उपयोग मुख्य रूप से कुछ कॉलोनियों, खाली घरों और जंगली इलाकों में खाली पड़े घरों में की जाती है। इसमें अब तो स्कूली बच्चे, पुरुष और महिलाएं भी फंस चुके हैं।
पुलिस, उत्पाद शुल्क विभाग ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए काम कर रहे हैं, इन कोशिशों में वैज्ञानिकता की कमी के कारण ये नाकाफी साबित हो रहे हैं।
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