चर्चा बटोरने वाली इस खौफनाक वारदात को पादरी थॉमस कोट्टूर ने नन सेफी के साथ मिलकर 1992 के मार्च महीने में अंजाम दिया था। कोट्टायम के कॉन्वेंट (ननों के आश्रम) में सिस्टर अभया ने फादर थॉमस और सिस्टर सेफी को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। जिसके चलते फादर ने सिस्टर के ऊपर हमला कर दिया था। इस हमले में वो बेहोश हो गई थीं जिसके बाद फादर थॉमस ने सिस्टर सेफी और एक अन्य के साथ मिलकर सिस्टर अभया को कॉन्वेंट के ही कुएं में फेंक दिया था। 7 मार्च 1992 को सिस्टर अभया का शव बरामद किया गया था। हत्या के समय सिस्टर अभया की उम्र 21 वर्ष थी।
मर्डर को सुसाइड साबित करने का किया प्रयास
फादर थॉमस और सिस्टर सेफी ने मिलकर इस मर्डर को सुसाइड साबित करने की साजिश रची थी। शुरुआती केस में स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच ने भी इसी एंगल से केस की जांच की थी बाद में जब सीबीआई के पास जांच गई तो धीरे-धीरे परतें खुलती चली गईं और 2008 में आरोपी को गिरफ्तार किया गया। बाद में तिरुवनंतपुरम में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने दोषी पाए गए फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों को सिस्टर अभया का कत्ल करने और उसके बाद सबूत मिटाने जैसी गंभीर धाराओं में दोषी पाया गया था।
एक चोर की गवाही बनी आधार
इस केस में राजू नाम के एक चश्मदीद की गवाही मुख्य आधार बनी। जब यह अपराध हुआ तब राजू चोर था और वह चोरी के उद्देश्य से उस कॉन्वेंट में घुसा था जहां यह घटना घटी। उसने हत्या की घटना को अपनी आँखों से देखा था। वहीं जांच टीम ने भी राजू की बात को आधार माना साथ ही कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा कि राजू चोरी की नीयत से वहां गया था और उसने वहां आरोपियों को मर्डर की इस वारदात को अंजात देते देखा।
बयान बदलने के लिए दिया गया करोड़ों का लालच
सिस्टर अभया केस के गवाह राजू ने मीडिया से बात करते हुए बताया था कि कई लोगों द्वारा उसे गवाही बदलने के लिए करोड़ों रुपयों का लालच दिया गया। लेकिन वह सभी ऑफर को ठुकराते हुए अपने बयान पर अडिग रहा। हत्यारों को सजा मिलने से वह बहुत खुश है।
इंसाफ मिलने तक दुनियां में नहीं रहे माता पिता
राजू के अनुसार अभया की उम्र उसके बच्चों की जितनी ही थी इसलिए वह उसकी बच्ची की तरह ही थी। उसने कहा था मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि किसी भी बच्ची या बच्चे को इस तरह की मुसीबत का सामना ना करना पड़े। बता दें कि इस केस के फैसले और सजा के ऐलान के समय अभया के माता पिता जिंदा नहीं थे ऐसे में राजू ने ही अभया के परिजनों के तौर पर मीडिया से बात करते हुए कहा था “मेरी बेटी को आज इंसाफ मिल गया है”।
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