दिल्ली में बसा ‘इंद्रप्रस्थ’
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम धर्म-संस्कृति

दिल्ली में बसा ‘इंद्रप्रस्थ’

अपने कार्यकर्ताओं को देश के गौरवशाली अतीत, संतों-महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों से परिचित कराने के लिए अभाविप ने बुराड़ी में 52 एकड़ में ‘इंद्रप्रस्थ नगर’ नाम से अस्थायी टेंट सिटी बनाया था। इसमें 10,000 विद्यार्थियों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था थी

by अवंतिका
Dec 20, 2023, 12:22 pm IST
in धर्म-संस्कृति, दिल्ली, आजादी का अमृत महोत्सव
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन यह इंद्रप्रस्थ कैसा था? अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में इसकी एक झलक दिखी। दिल्ली में बुराड़ी के ‘डीडीए ग्राउंड’ में ‘इंद्रप्रस्थ नगर’ नाम से भव्य एवं विशाल अस्थायी टेंट सिटी का निर्माण किया गया था।

महाभारत काल में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन यह इंद्रप्रस्थ कैसा था? अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में इसकी एक झलक दिखी। दिल्ली में बुराड़ी के ‘डीडीए ग्राउंड’ में ‘इंद्रप्रस्थ नगर’ नाम से भव्य एवं विशाल अस्थायी टेंट सिटी का निर्माण किया गया था। 52 एकड़ में बनी टेंट सिटी में 10,000 से अधिक विद्यार्थियों के रहने एवं खाने-पीने की व्यवस्था की गई थी। इसी में विशाल दत्ता जी डिडोलकर प्रदर्शनी सभागार भी था।

खास बात यह थी कि टेंट सिटी को 13 नगरों में बांटा गया था और इनके नाम संतों, महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए थे। नगरों के नाम थे- संत ज्ञानेश्वर, अहिल्या बाई होल्कर, मदन मोहन मालवीय, भगवान बिरसा मुंडा, गुरु तेग बहादुर, सुब्रमण्यम भारती, महाराणा प्रताप, गुरु नानक देव, भगवान विश्वकर्मा, रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बाई, रानी गाईदिनल्यू और लाचित बड़फूकन। इन नगरों में भारतीय संस्कृति, परंपराओं को मूर्ति, पेंटिंग और इतिहास से जुड़ी जानकारियों को दर्शाया गया था। इसमें राम मंदिर और अक्षरधाम मंदिर के अलावा रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति छात्रों के बीच विशेष लोकप्रिय रही।

सनातन धर्म को मिटाने तथा क्षेत्र, भाषा, जाति व पांथिक आधार पर देश-समाज को बांटने के षड्यंत्र के बीच अभाविप अधिवेशन देशभर से आए छात्र-छात्राओं में राष्ट्रीयता का भाव में पिरोने में सफल रहा।

यहां बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं सेल्फी ले रहे थे। पूरा परिसर ‘भारत माता की जय’, ‘जय प्रताप’ और जय शिवचर के उद्घोष से गूंज रहा था। मुख्य कार्यक्रम स्थल दत्ता जी डिडोलकर को समर्पित था, जबकि परिसर के एक पंडाल का नाम संघ के सहसरकार्यवाह स्व. मदनदास जी के नाम पर रखा गया था। परिसर के द्वार का नाम महाराजा सूरजमल और सम्राट मिहिर भोज के नाम पर रखा गया था। ‘इंद्रप्रस्थ नगर’ में दत्ता जी डिडोलकर की स्मृति में प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।

आठ विषयों और नौ हिस्सों में विभाजित प्रदर्शनी में शिवाजी महाराज की शौर्यगाथा, विश्वगुरु भारत, स्वाधीनता का अमृत महोत्सव, अभाविप के विभिन्न आयामों व कार्यों, दिल्ली के वास्तविक इतिहास, दिल्ली में हुए प्रमुख छात्र आंदोलन एवं अभाविप के 75 वर्षों की ध्येय यात्रा को मूर्तियों और पेंटिंग के माध्यम से प्रदर्शित किया गया था। इन्हें देशभर के अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों ने तैयार किया था, जिन्हें सम्मानित भी किया गया।

महाभारत कालीन नगर ही क्यों?

प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर अभाविप के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार भाटिया ने कहा कि कलुषित मानसिकता वाले कुछ इतिहासकारों ने देश के गौरवशाली इतिहास के साथ षड्यंत्र किया, जो समय के साथ उजागर होता गया। इसी प्रकार, जब देश की राजधानी दिल्ली की बात आती है, पांडव कालीन इस प्राचीन शहर, जिसका मूल नाम इंद्रप्रस्थ था, के वैभवशाली इतिहास को इन कुटिल और तथाकथित इतिहासकारों ने सिर्फ मुगलों के इतिहास तक सीमित कर दिया।

राष्ट्र पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाने वाले अभाविप ने अपने अमृत वर्ष अधिवेशन में दिल्ली के प्राचीन इतिहास को पुन: चित्रित करने का जिम्मा उठाया और देश के गौरवपूर्ण इतिहास एवं महापुरुषों की गौरवगाथा को सबके सामने प्रस्तुत किया। इस नगर के मुख्य द्वार पर भव्य पांडव किला बनाया गया था, जिसके मुख्य द्वार का नाम इंद्रप्रस्थ था। पूरे अधिवेशन परिसर में भारत को गौरवान्वित करने वाले वीर-वीरांगनाओं, प्रतापी राजाओं, महापुरुषों और अभाविप के 75 वर्ष की गौरवपूर्ण यात्रा के महान अध्याय यात्रियों की आठ प्रकार की प्रतिमाएं लगाई गई थीं, जिनमें महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल, महाराजा मिहिर भोज, रानी दुर्गावती, छत्रपति शिवाजी महाराज, पृथ्वीराज चौहान, दत्ता जी डिडोलकर एवं मदनदास देवी की प्रतिमा शामिल थी।

सिटी को 13 नगरों में बांटा गया था और इनके नाम संतों, महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए थे।

नगरों के नाम थे-

संत ज्ञानेश्वर, अहिल्या बाई होल्कर, मदन मोहन मालवीय

भगवान बिरसा मुंडा, गुरु तेग बहादुर, सुब्रमण्यम भारती

महाराणा प्रताप, गुरु नानक देव, भगवान विश्वकर्मा

रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बाई, रानी गाईदिनल्यू,  लाचित बड़फूकन।

प्रदर्शनी में विश्व गुरु भारत के गौरवशाली इतिहास के चित्रण के लिए राष्ट्रीय कला मंच आगे आया और छात्रों के लिए पेंटिंग इंटर्नशिप का आयोजन किया गया। इसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, आगरा विश्वविद्यालय और मेरठ सहित देश के महत्वपूर्ण संस्थानों से कला के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर सहभाग किया। पेंटिंग इंटर्नशिप के लिए 150 छात्रों का चयन किया गया था। विश्व गुरु भारत और गुरुकुल पद्धति विषय पर पेंटिंग बनाने वाली अंग्रेजी आनर्स की छात्रा अंजलि ने बताया कि भारत के पुरातन इतिहास को नजदीक से जानने-समझने और देखने के लिए यह अधिवेशन खास रहा। साथ ही, यह समझने का भी अवसर मिला कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध है।

लॉ के छात्र मनोज ने कहा कि भारत का फिर से विश्व गुरु बनने का सपना पूरा होने जा रहा है। चित्तौड़गढ़ से आए सुनील पांडे का कहना था कि अधिवेशन में आने के बाद उन्हें यह बात समझ में आई कि भारत माता की सेवा केवल राजनीति के जरिए ही नहीं, अन्य कार्य से भी हो सकती है। इसी तरह, प्रदर्शनी में बलिया (उत्तर प्रदेश) की श्रुति, पटना (बिहार) की माधुरी, देवघर (झारखंड) की अमृता, हिसार (हरियाणा) से आने वाले साहिल व श्रेष्ठी ने भारतीय मंदिरों पर आधारित अपनी कला का प्रदर्शन किया।

पूरा परिसर ‘भारत माता की जय’, ‘जय प्रताप’ और जय शिवचर के उद्घोष से गूंज रहा था। मुख्य कार्यक्रम स्थल दत्ता जी डिडोलकर को समर्पित था, जबकि परिसर के एक पंडाल का नाम संघ के सहसरकार्यवाह स्व. मदनदास जी के नाम पर रखा गया था। परिसर के द्वार का नाम महाराजा सूरजमल और सम्राट मिहिर भोज के नाम पर रखा गया था। ‘इंद्रप्रस्थ नगर’ में दत्ता जी डिडोलकर की स्मृति में प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।

इन्होंने जी-20, चंद्रयान और भारत की अमृतकाल की उपलब्धियों को मिट्टी से बनी कलाकृतियों से दर्शाया था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि अधिवेशन में आए विद्यार्थी बेहद अनुशासित थे। आयोजन स्थल ही नहीं, पारंपरिक परिधानों में नॉर्थ कैम्पस तक पांच किलोमीटर की शोभायात्रा के दौरान जय घोष करते हुए भी हजारों विद्यार्थियों अनुशासित और संयमित दिखे।

कुल मिलाकर सनातन धर्म को खत्म करने तथा क्षेत्र, भाषा, जाति और पांथिक आधार पर देश-समाज को बांटने के षड्यंत्र के बीच अभाविप का यह अधिवेशन देश के कोने-कोने से आए 10,000 से अधिक छात्र-छात्राओं में राष्ट्रीयता का भाव में पिरोने में सफल रहा। अधिवेशन के अंतिम दिन हर ओर राष्ट्रीयता का नाद था। वंदे मातरम् और भारत माता जय की गूंज थी। भगवा वेश-भूषा में लिपटी नगरी की आभा और इसका ओज देखते ही बन रहा था।

युवाओं का उत्साह और विभिन्नता में एकता की विशिष्टता को अंगीकार कर देश को शीर्ष पर ले जाने का प्रखर स्वप्न भी दिखा, जो भारतीय मूल्य आधारित होगा। अधिवेशन में विभिन्न कस्बों, गांवों और शहरों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए इस तरह के महाकुंभ में शामिल होने का पहला मौका था। चार दिन शीर्ष पदाधिकारी और कार्यकर्ता साथ रहे। भाषा अलग-अलग होने के बावजूद भावों, विचारों और संस्कृति को साझा करने की कोशिश करते दिखे। लघु भारत का यह अनुभव उनके अंदर सामूहिकता का भाव भरने में कामयाब रहा है।

Topics: saffron attireChandrayaan and India's immortalityमहाभारतglorious history of the countryजी-20G-20Mahabharataविश्व गुरु भारतभगवा वेश-भूषाचंद्रयान और भारत की अमृतकालदेश के गौरवशाली इतिहासVishva Guru India
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Tejasvi Surya Brazil Supports Operation Sindoor

ऑपरेशन सिंदूर के साथ खड़ा हुआ ब्राजील, भारत को बताया हर मौसम दोस्त, पाकिस्तानी आतंकवाद की निंदा भी

Panchjanya Bhagwat Geeta Ab Shukla

क्यों चुने गए अर्जुन..? : पाञ्चजन्य के गुरुकुलम में एबी शुक्ल ने खोला गीता का रहस्य

Sikar Falguni Mela

सीकर का फाल्गुन लक्‍खी मेला : जानें कौन थे बर्बरीक जो बने खाटू के श्याम बाबा

बेहद जरूरी है भारत में धर्म और रिलीजन का अंतर स्‍पष्‍ट करना, भयंकर हैं इसके खतरे

महाभारत में 5 गांव मांगे जाने की ये है कहानी, जानिये कौन से हैं ये 5 गांव

हिन्‍दू विजय : अयोध्‍या धाम के बाद बागपत लाक्षागृह केस में आया एतिहासिक फैसला, मुस्लिम पक्ष की हार

बागपत: मजार और कब्रिस्तान नहीं, ये है महाभारत काल का लाक्षागृह, 53 साल बाद आया फैसला, हिंदुओं को मिला अधिकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies