म्यांमार में सैन्य शासन लागू होने के बाद अब वहां भी मानवीय संकट पैदा हो गया है। संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि एक तिहाई आबादी या 18 मिलियन से अधिक लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। इस आवश्यकता से निपटने के लिए अगले वर्ष 1 बिलियन डॉलर के डोनेशन की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि म्यांमार में जब से सैन्य शासन आय़ा है, लोगों की हालत खराब होती जा रही है। बता दें कि तीन साल पहले म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की की लोकतांत्रिक सरकार को गिराकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। तीन साल बीतने के बाद संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय की एक रिपोर्ट सोमवार को प्रकाशित इसमें कहा गया है, “म्यांमार 2024 में गहरे मानवीय संकट के कगार पर खड़ा है। फरवरी 2021 में सेना के कब्जे के बाद से म्यांमार की जनता डर के माहौल में रहने के लिए मजबूर है।”
संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के लिए अंतरिम मानवीय सहायता समन्वयक मार्कोलुइगी कोर्सी ने चेतावनी दी, “विस्थापन, बाधित स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, खाद्य असुरक्षा, कुपोषण, जबरन भर्ती और मानवीय संकट सहित सुरक्षा जोखिमों के परिणामस्वरूप 6 मिलियन जरूरतमंद बच्चों के साथ संकट का खामियाजा बच्चे भुगत रहे हैं।”
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म्यांमार में 18.6 मिलियन लोगों को सहायता की जरूरत
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 18.6 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है, वह तख्तापलट से पहले एक साल पहले की तुलना में 1 मिलियन अधिक और 2020 में 19 गुना अधिक है। इसमें दावा किया गया है कि लोगों का 11 दिसंबर 2023 तक लगभग 2.6 मिलियन लोगों को अपने घरों से बाहर निकाल दिया गया था। खास बात ये है कि ये आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि से 1.1 मिलियन ज्यादा है। बता दें कि देश के उत्तर में सेना और जातीय अल्पसंख्यक लड़ाकों के बीच युद्ध बढ़ता जा रहा है। खास बात ये है कि दावा किया गया है कि 2024 तक ये स्थिति और अधिक हालात बदतर हो सकते हैं।
गंभीर हालात को देखते हुए OCHA ने 5.3 मिलियन लोगों की मदद के लिए सोमवार को $994m डोनेशन की मांग की। कोर्सी ने कहा, “हम 2023 में देखी गई कम फंडिंग को फिर से नहीं दोहराना चाहते। पिछले साल ये केवल 29% ही पूरा किया जा सका है।
गौरतलब है कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र रूस यूक्रेन युद्ध, इजरायल हमास युद्ध के बाद भी मानवीय सहायता देने की मांग की थी।
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