नई दिल्ली । राष्ट्रगान के अपमान की शिकायत पर भाजपा विधायकों को दिए गए बंगाल पुलिस के नोटिस पर रोक लगाने का कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने आदेश दिया है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा विधायकों पर 29 नवंबर को विधानसभा परिसर में राष्ट्रगान के अपमान करने का आरोप लगाया था। जिस पर भाजपा विधायक शंकर घोष और अन्य ने भाजपा के विधायकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया था। फिलहाल जांच पर अंतरिम रोक 17 जनवरी तक है।
बता दें कि एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार राज्य सरकार और कोलकाता पुलिस को इस मामले में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। सोमवार को न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की उसी पीठ ने भाजपा विधायकों को गिरफ्तारी सहित किसी भी दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की थी। जस्टिस सेनगुप्ता ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में 29 नवंबर की घटना के वीडियो फुटेज की जांच के बाद अंतरिम रोक का आदेश दिया।
भाजपा विधायकों के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि जब तृणमूल कांग्रेस के विधायक बाबा साहेब बीआर अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान गा रहे थे तो भाजपा विधायक चोर, चोर के नारे लगा रहे थे। हालांकि, गुरुवार को वीडियो फुटेज की जांच के बाद जस्टिस सेनगुप्ता ने कहा कि चूंकि फुटेज में केवल सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों की भीड़ देखी जा सकती है, इसलिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है कि राष्ट्रगान का अपमान हुआ है।
वहीं जब राज्य सरकार के वकील ने दावा किया कि विपक्षी विधायकों की फुटेज अन्य सीसीटीवी वीडियो में है, तो न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि यदि सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों की भीड़ एक ही फुटेज में नहीं देखी जा सकती है, तो यह कैसे पता लगाया जा सकता है कि क्या भाजपा विधायक राष्ट्रगान की आवाज सुन सकते हैं?
जस्टिस सेनगुप्ता ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि राष्ट्रगान का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के तौर पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई किसी स्थान पर अचानक राष्ट्रगान गाने लगे तो क्या कोई बुजुर्ग मरीज बिस्तर से उठकर खड़ा हो जाएगा? यह देखना होगा कि क्या राष्ट्रगान को सम्मान देने के लिए गाया गया था या इसका इस्तेमाल प्रतिद्वंद्वी को फंसाने के लिए किया गया था।
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