बिहार के सरकारी विद्यालयों में 2024 में होने वाले अवकाशों का एक कैलेंडर जारी हुआ। इसमें रक्षाबंधन, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, मकर संक्रांति, तीज, विश्वकर्मा पूजा और जिउतिया की छुट्टी रद्द कर दी गई है
गत नवंबर को बिहार के सरकारी विद्यालयों में 2024 में होने वाले अवकाशों का एक कैलेंडर जारी हुआ। इसमें रक्षाबंधन, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, मकर संक्रांति, तीज, विश्वकर्मा पूजा और जिउतिया की छुट्टी रद्द कर दी गई है। दूसरी ओर ईद और बकरीद की छुट्टी बढ़ा दी गई है। 2023 के कैलेंडर में ईद पर एक दिन और बकरीद पर दो दिन की छुट्टी थी। अब इन दोनों अवसरों पर तीन-तीन दिन की छुट्टी रहेगी। इस कैलेंडर को शिक्षा विभाग के अपर सचिव के.के. पाठक के आदेश पर जारी किया गया है। इसके अनुसार ग्रीष्मावकाश (15 अप्रैल से 15 मई) सिर्फ विद्यार्थियों के लिए रहेगा। इस दौरान शिक्षक और शिक्षकेत्तर-कर्मी प्रशासनिक कार्य करेंगे। शिक्षक और अभिभावकों की बैठकें भी होती रहेंगी। विद्यालय के प्रधानाचार्य अपने स्तर से कोई छुट्टी रद्द नहीं कर सकते।
बिहार में पहली बार उर्दू और सामान्य विद्यालयों के लिए अलग-अलग कैलेंडर जारी किए गए हैं। शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि सभी उर्दू प्राथमिक, मध्य एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों और मकतबों में साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को रहेगा। रविवार को विद्यालय खुला रहेगा। इसके साथ ही मुस्लिम-बहुल इलाकों में स्थित सामान्य विद्यालय भी उर्दू विद्यालय की तरह रविवार की जगह शुक्रवार को अवकाश घोषित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी।
हिंदुओं के त्योहारों की छुट्टियों में कटौती करके मुस्लिम त्योहारों की छुट्टियां अधिक क्यों की हैं? सरकार के इस निर्णय पर उसके मंत्री भी असहमत दिख रहे हैं। बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी कहते हैं कि इस तरह के फैसले से जनभावना आहत होगी। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में नीतीश कुमार को बचाते हुए कहा कि हो सकता है शिक्षा मंत्री ने इस कैलेंडर को न देखा हो, मुख्यमंत्री को पता चलेगा तो वे जरूर संज्ञान लेंगे।
भाजपा इस कैलेंडर का जमकर विरोध कर रही है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि जिस तरह से लालू यादव और नीतीश कुमार हिंदुओं की भावानाओं पर चोट कर रहे हैं, भविष्य में उन्हें ‘मोहम्मद नीतीश कुमार’ और ‘मोहम्मद लालू यादव’ के नाम से जाना जाएगा। राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इसे तुष्टीकरण राजनीति की पराकाष्ठा बताते हुए कहा है कि एक ओर नीतीश कुमार हिंदुओं को जातियों में बांट रहे हैं, तो दूसरी ओर मुस्लिम तुष्टीकरण कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा, ‘नीतीश बाबू, बिहार की जनता आपके तुष्टीकरण के खेल को बखूबी समझ रही है।’
भाजपा की इस प्रतिक्रिया के बाद बिहार सरकार ने सफाई देते हुए कहा है कि छुट्टियों में कोई कटौती नहीं की गई है। पहले की तरह 2024 में भी 60 छुट्टियां दी गई हैं। वास्तव में इस कुतर्क के जरिए सरकार ने अपने कुकृत्य को ढकने का प्रयास किया। सरकार यह नहीं बता रही है कि उसने हिंदुओं के त्योहारों की छुट्टियों में कटौती करके मुस्लिम त्योहारों की छुट्टियां अधिक क्यों की हैं? सरकार के इस निर्णय पर उसके मंत्री भी असहमत दिख रहे हैं। बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी कहते हैं कि इस तरह के फैसले से जनभावना आहत होगी। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में नीतीश कुमार को बचाते हुए कहा कि हो सकता है शिक्षा मंत्री ने इस कैलेंडर को न देखा हो, मुख्यमंत्री को पता चलेगा तो वे जरूर संज्ञान लेंगे।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इसका संज्ञान लिया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 28 नवम्बर को बिहार सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने को कहा है। कानूनगो ने कहा है कि बिहार के शिक्षा विभाग ने हिंदू त्योहारों के अवसर पर छुट्टियों की संख्या कम कर दी है, जबकि ईद जैसे अन्य त्योहारों के लिए पर्याप्त छुट्टियां दी जा रही हैं। आयोग ने कहा है कि आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार, इस मामले में यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी बच्चों को अपने धार्मिक त्योहार मनाने का समान अवसर मिले। आयोग ने इस पर बिहार सरकार से सात दिन के भीतर जवाब मांगा है।
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