गोविंद गुरु
जन्म : 1858, बांसिया, डूंगरपुर (राजस्थान)
बलिदान : 30 अक्तूबर, 1931
19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में अंग्रेजों के विरुद्ध भील समुदाय ने एक सशक्त आंदोलन किया।
इस आंदोलन का नेतृत्व गोविंद गुरु ने किया। उन्होंने भीलों को संगठित करने के लिए 1883 में सम्प सभा की स्थापना की। वे लगभग 20 वर्ष तक राजस्थान, गुजरात एवं मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध संघर्ष करते रहे।
11 नवंबर, 1913 को मानगढ़ पहाड़ी पर उन्होंने एक विशाल समागम किया, जिसमें हजारों भील एकत्रित हुए। अंग्रेजी सेना ने कायरता दिखाते हुए निहत्थे भीलों पर गोलियां बरसा दीं।
कहा जाता है कि इस कारण उस दिन 1,500 से अधिक भील बलिदान हुए। संयोग से गोविंद गुरु बच गए। इसके बाद भी वे अंग्रेजों का विरोध करते रहे। 30 अक्तूबर, 1931 को उनका देहांत हो गया।
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