आज भारत में शायद ही कोई जगह हो जहां सतमोला चूर्ण और पाचक गोलियों का नाम अनजाना हो। इस कंपनी के चेयरमैन अनिल मित्तल ने सतमोला समूह को आज जिस ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, उसमें, अगर कहें कि उनका रात-दिन का अथक परिश्रम लगा है तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
बड़े—बुजुर्ग कह गए हैं कि किसी व्यक्ति की सफलता में उसकी सेहत का बड़ा योगदान होता है। सेहत सही तो सब सही। इसी सेहत के लिए भोजन और फिर उसके पाचन का अपना ही महत्व है। और इन सबका पाचन सही रहे, इसकी कुंजी थमाती है कंपनी-सतमोला।
आज भारत में शायद ही कोई जगह हो जहां सतमोला चूर्ण और पाचक गोलियों का नाम अनजाना हो। इस कंपनी के चेयरमैन अनिल मित्तल ने सतमोला समूह को आज जिस ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, उसमें, अगर कहें कि उनका रात-दिन का अथक परिश्रम लगा है तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
सतमोला कंपनी आज सिर्फपाचक चूर्ण और गोलियां ही नहीं बनाती, बल्कि विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट नमकीन, पापड़, अचार, माउथफ्रेशनर, रस्क और मिठाइयों में भी कंपनी ने खासा नाम कमाया है। एक दौर था जब अनिल मित्तल ने अभावग्रस्त जीवन देखा था, क्योंकि परिवार उतना संपन्न नहीं था और किनारी बाजार, चांदनी चौक, दिल्ली में एक 40 गज के मकान में रहता था। अनिल जी बताते हैं कि उनके पिता-माता ने बहुत छोटे पैमाने पर काम शुरू किया था।
पैसे की तंगी रहती थी, इसलिए ग्रेजुएशन के बाद, 1983 में युवा अनिल ने संकल्प किया कि जी-जान से मेहनत करके पिता के शुरू किए चूर्ण के व्यवसाय को इतना बड़ा बनाएंगे कि दुनिया देखेगी। बस, फिर क्या था, 17 साल के अनिल ने अपने छोटे भाई सुनील के साथ मिलकर अन्य चीजें बनानी शुरू कीं और आज वे अपने पुत्र 34 वर्षीय नवांश और 27 वर्षीय भतीजे विदुल के साथ मिलकर एक टीम के नाते काम करते हुए नोएडा और साहिबाबाद में 2-2 फैक्ट्रियां संभाल रहे हैं।
उच्च गुणवत्ता वाला नमकीन और अनेक प्रकार की मिठाइयां बाजार में उतारीं। आज सतमोला का नाम आसमान छू रहा है। उल्लेखनीय है कि सेवा भावी अनिल मित्तल 2003 से ही अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ अपनी आय का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा सेवा कार्यों में लगा रहे हैं।
नवांश ने विदेश से एमबीए की उपाधि लेने के बाद, अपने पिता से कारोबार के गुर सीखे और उसमें अपनी युवा ऊर्जा झोंकी। तो श्री सुनील मित्तल के पुत्र विदुल ने भी उच्च शिक्षा पूरी कर अपने पारिवारिक उद्यम को दिन दूनी-रात चौगुनी गति से बढ़ाने के लिए भरपूर मेहनत की।
दोनों युवाओं की बदौलत कंपनी ने नए क्षेत्रों में नए तरीकों से प्रवेश किया और उच्च गुणवत्ता वाला नमकीन और अनेक प्रकार की मिठाइयां बाजार में उतारीं। आज सतमोला का नाम आसमान छू रहा है। उल्लेखनीय है कि सेवा भावी अनिल मित्तल 2003 से ही अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ अपनी आय का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा सेवा कार्यों में लगा रहे हैं।
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