रंगा हरि जी ने अपनी अंतिम इच्छा में इस बात पर जोर दिया था कि उनका अंतिम संस्कार किसी भी जाति-नियंत्रित श्मशान में नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में उनका अंतिम संस्कार करने का अंत्येष्टि स्थल आइवर माथम ही था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री रंगा हरि जी ने 29 अक्तूबर की सुबह कोच्चि के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। माधव निवास, केरल प्रांत कार्यालय, कोच्चि से हरि जी की अंतिम यात्रा 30 अक्तूबर को सुबह 6 बजे शुरू हुई। अंतिम यात्रा सुबह 8.30 बजे तनल बालाश्रमम्, मयनूर (त्रिशूर) पहुंची। वहां उनके पार्थिव शरीर को सुबह 11 बजे तक लोगों के दर्शन के लिए रखा गया। उसके बाद पंबाडी आइवर माथम में प्रांत प्रचारक एस. सुदर्शन, विद्या निकेतन (विद्या भारती की केरल शाखा) के प्रदेश महासचिव आर.वी. जयकुमार और हरि जी के परिजनों ने उन्हें मुखाग्नि दी।
इस अवसर पर हजारों स्वयंसेवक उन्हें अंतिम प्रणाम करने के लिए उपस्थित थे। रंगा हरि जी ने अपनी अंतिम इच्छा में इस बात पर जोर दिया था कि उनका अंतिम संस्कार किसी भी जाति-नियंत्रित श्मशान में नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में उनका अंतिम संस्कार करने का अंत्येष्टि स्थल आइवर माथम ही था। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिवंगत रंगा हरि जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत, केरल के राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान, गोवा के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस (सेवानिवृत्त आईएएस) ने दिवंगत रंगा हरि जी को श्रद्धांजलि दी।
रंगा हरि जी महान व्यक्ति थे। उनका व्यक्तित्व नि:स्वार्थ भाव से भरा था और उन्होंने उसी के अनुरूप जीवन जिया। उनका जीवन लाखों स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणा था; वह उनके लिए एक आदर्श थे। उनका जाना न सिर्फ संघ के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए क्षति है। अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख के रूप में, हरिजी लाखों स्वयंसेवकों और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ घुले-मिले। उनका जीवन और मार्गदर्शन उनके लिए महान प्रेरणा था।
इनके अलावा संघ के प्रांत संघचालक एडवोकेट के.के. बलराम, दक्षिण क्षेत्र प्रचारक ए. सेंथिल, वरिष्ठ प्रचारक एस. सेतुमाधवन, सीमा जागरण मंच के अखिल भारतीय संयोजक ए. गोपालकृष्णन, प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार, पूर्व राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ पत्रकार तरुण विजय, हिंदू ऐक्यवेदी के अध्यक्ष के.पी. शशिकला, शिक्षक और कार्यकारी अध्यक्ष वलसन थिलनकेरी, विवेकानंद केंद्र वैदिक विजन (कोडुंगल्लूर) के अध्यक्ष डॉ. एम. लक्ष्मीकुमारी, भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष ए.एन. राधाकृष्णन, सिने निदेशक मेजर रवि, अभिनेता देवन, संघ के दक्षिण क्षेत्र के कार्यकारी सदस्य पी.आर. शशिधरन, सह संपर्क प्रमुख पी.एन. हरिकृष्णकुमार, प्रांत कार्यवाह पी.एन ईश्वरन, सह प्रांत प्रचारक ए. विनोद और वी. अनीश, प्रांत कार्यवाह सदस्य ए.आर. मोहनन और कई अन्य स्वयंसेवकों ने भी हरि जी को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की।
अंतिम संस्कार के बाद पंबड़ी में शोक सभा हुई। इस अवसर पर सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि रंगा हरि जी महान व्यक्ति थे। उनका व्यक्तित्व नि:स्वार्थ भाव से भरा था और उन्होंने उसी के अनुरूप जीवन जिया। उनका जीवन लाखों स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणा था; वह उनके लिए एक आदर्श थे। उनका जाना न सिर्फ संघ के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए क्षति है। अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख के रूप में, हरिजी लाखों स्वयंसेवकों और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ घुले-मिले। उनका जीवन और मार्गदर्शन उनके लिए महान प्रेरणा था।
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