जब भारत में पांच राज्यों के लिए चुनाव प्रचार चल रहा है और इन राज्यों में कांग्रेस कम से कम मुख्य प्रतिद्वंद्वी जरूर है। कांग्रेस में राहुल गांधी शीर्ष नेता जरूर हैं, तब क्या इसे मात्र संयोग माना जाए कि राहुल को उसी समय उज्बेकिस्तान की यात्रा पर जाना ज्यादा महत्वपूर्ण लगा?
भारत के पांच राज्यों में चुनाव की सरगर्मी चरम पर है। कई लोग यह मानते हैं कि इन पांच राज्यों के चुनाव भारत में 2024 में होने वाले आम चुनाव का एक पूर्वाभ्यास हैं। इसे तर्क का विषय मानें, अथवा धारणा का, संकेत यह है कि इन पांच राज्यों के चुनावों में ही नहीं, 2024 में होने वाले आम चुनाव में भी विदेशी हस्तक्षेप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, भारतीय रणनीतिक हितों की रक्षा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ रुख और पश्चिमी दबाव के आगे झुकने से इनकार करने से यह कार्य बहुत सरल नहीं रह गया है। लेकिन हमें यह जरूर ध्यान में रखना चाहिए कि विदेशी शक्तियां निश्चित रूप से भारत में ऐसी सरकार की दिशा में कार्य करेंगी, जो उनके हितों और उनके हस्तक्षेप के प्रति अंतर्निहित या स्पष्ट तौर पर राजी हों।
भले ही दुनिया को इस बात का अहसास है कि भारत में मोदी और भाजपा को पराजित कर सकना संभव नहीं है, लेकिन यह अहसास बाहरी खिलाड़ियों को मोदी को कमजोर करने की कोशिश करने से नहीं रोकेगा।
इस पृष्ठभूमि में, राहुल गांधी की उज्बेकिस्तान यात्रा का समय गंभीर प्रश्न पैदा करता है। जब भारत में पांच राज्यों के लिए चुनाव प्रचार चल रहा है और पांचों राज्यों में कांग्रेस कम से कम मुख्य प्रतिद्वंद्वी जरूर है और कांग्रेस में राहुल गांधी शीर्ष नेता जरूर हैं, तब क्या यह मात्र संयोग माना जा सकता है कि राहुल गांधी को उसी समय उज्बेकिस्तान की यात्रा करना ज्यादा महत्वपूर्ण महसूस हुआ हो?
विशेष तौर पर इसलिए कि उसी समय उज्बेकिस्तान में अमेरिका की एक ऐसी अधिकारी भी उपस्थित थीं, जो दुनिया भर में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने वाली चौकड़ी का एक अंग हैं। उस व्यक्ति के विवरण में जाने की आवश्यकता नहीं है। सारी चीज स्वयंसिद्ध हैं। संभवत: यह इस बात का एक ‘शक्तिशाली’ संकेत है कि परदे के पीछे और देश की सीमाओं से परे क्या कुछ हो रहा हो सकता है।
क्रोनोलॉजी देखना एक नया चलन है। तो आइए, क्रोनोलॉजी देखें।
सबसे पहले कनाडा ने भारत पर आरोप मढ़े और फिर ‘5 आईज’ का संदर्भ देकर अमेरिका इस विवाद में शामिल हो गया। भारत ने जवाबी कूटनीतिक सख्ती दिखाई, तो नौसेना के पूर्व अधिकारियों को कतर ने मौत की सजा सुना दी। इसी बीच पाकिस्तान ने सीमा पर फायरिंग की और शांत प्रगतिशील होते जा रहे कश्मीर में अचानक ‘टारगेट किलिंग’ की घटनाएं शुरू हो गईं।
उधर मालदीव में सत्ता परिवर्तन हुआ और भारत के मात्र कुछ दर्जन सैनिकों को हटाने की बात आई। जो व्यक्ति मालदीव में चुनाव जीता है उसे कुछ इस्लामी देशों का पूरा समर्थन चुनाव जीतने के लिए मिलने की बात एक ऐसा खुला रहस्य है जिसकी चर्चा करना भी कोई जरूरी नहीं मानता।
पूर्वी सीमा पर अगर देखें तो शेख हसीना सरकार को लगातार और खुले तौर पर विदेशी शक्तियों द्वारा धमकियां दिए जाने की बात सामने आई है। संयोगवश भारत के मीडिया ने इसका भी कोई उल्लेख नहीं किया है।
इस तरह के प्रयासों का मुकाबला जनता अपने आत्मविश्वास के बूते ही कर सकती है। इस दृष्टि से देखा जाए तो तमाम अन्य मुद्दे गौण हो जाते हैं और मुख्य मुद्दा यह हो जाता है कि भारत की जनता अपने हितों के लिए कितनी सजग है, अपनी रक्षा के प्रति कितनी सजग है और अपने आत्मविश्वास को किस तरह बनाए रखती है।
हम इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि भारत के पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरियों की जितनी भी भारत विरोधी गतिविधियां चल रही हैं या चलती रही हैं, उन सबके लिए बांग्लादेश में उनकी पसंद की सरकार होना एक अनिवार्य आवश्यकता जैसी है। यही स्थिति पूर्वोत्तर में आईएसआई के तंत्र की, विभिन्न प्रकार के तस्करी गिरोहों की और ड्रग माफिया की है। उन्हें भी बांग्लादेश में एक मददगार सरकार की जरूरत होती है।
नेपाल पर जिस तरह के दबाव बनाने की कोशिश बड़ी शक्तियों द्वारा की जा रही है उसकी अनदेखी भारत कैसे कर सकता है? क्या यह सिर्फ संयोग है कि नेपाल के विदेश मंत्री को पहले चीन तलब करता है और उसके तुरंत बाद अमेरिका?
स्पष्ट रूप से इस तरह की सारी कसरत का लक्ष्य भारत का चुनाव है। बहुत खुले शब्दों में कहा जाए तो कई शक्तियां इस प्रयास में लगी हैं कि चुनाव के पहले-पहले भारत के लोगों में नैराश्य और आशंका का भाव पैदा कराया जाए।
इस तरह के प्रयासों का मुकाबला जनता अपने आत्मविश्वास के बूते ही कर सकती है। इस दृष्टि से देखा जाए तो तमाम अन्य मुद्दे गौण हो जाते हैं और मुख्य मुद्दा यह हो जाता है कि भारत की जनता अपने हितों के लिए कितनी सजग है, अपनी रक्षा के प्रति कितनी सजग है और अपने आत्मविश्वास को किस तरह बनाए रखती है।
@hiteshshankar
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