देहरादून। उत्तराखंड में 30 मदरसों में 749 हिंदू बच्चे इस्लामिक शिक्षा ले रहे हैं, यह खबर इन दिनों सुर्खियों में है। सरकार ने इसके जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, अब इसके पीछे एक और खेल शुरू हो गया है।
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अवैध मदरसों के खिलाफ जांच कराए जाने और पांच मदरसों को बंद करवा कर उन्हे ध्वस्त किए जाने के बाद, मदरसों के प्रबंधकों में डर बैठ गया है कि कहीं अगला नंबर उनका न लग जाए, इसलिए वे सोशल मीडिया के जरिए ये प्रचार करने की कोशिश में हैं कि मदरसे एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में हैं और यहां आरटीई के जरिए हिंदू बच्चों को दाखिला कराया गया है। जबकि हकीकत ये है कि इन मदरसों में इस्लामिक शिक्षा ही दी जाती है और एनसीआरटीसी के पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए उनके पास अध्यापक तक नहीं है।
जानकारी में ये भी आया है कि अभी देहरादून और अन्य जिलों में ऐसे मदरसे हैं, जहां हिंदू बच्चे है, अब ये भी जांच का विषय है बन गया है जो बच्चे यहां हिंदू है वो वास्तव में हिंदू है भी की नही,इस मामले में प्रशासन सत्यापन भी करवा रहा है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने उत्तराखंड के शासन के अधिकारियों को कड़ा पत्र लिखकर उन्हें नौ नवंबर को दिल्ली में तलब किया है। इस मामले में अल्पसंख्यक मामलों के सचिव एल फेनाई को जवाब देने के लिए वहां जाना होगा। हरिद्वार के डीएम धीराज गर्ब्याल ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है और वह इसकी जांच करवा रहे हैं। एक दो दिन में इस बारे में स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर ये हुआ क्यों और कैसे ?
उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यह प्रकरण बेहद गंभीर है हम इस मामले की तह तक जाएंगे और हिंदू बच्चों को स्कूलों में भर्ती किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अवैध मदरसे बंद किए जाएंगे, जो मान्यता प्राप्त हैं उन्हें मानकों का ध्यान रखना होगा अन्यथा वे भी कानून के चंगुल से बच नहीं पाएंगे।
टिप्पणियाँ