बीजिंग में कुर्सी पर बैठी कम्युनिस्ट सरकार में अंदरखाने सब ठीक नहीं चल रहा है। इन कयासों को एक बार फिर बल मिला है वहां के रक्षा मंत्री के दो महीने से ‘लापता’ होने के बाद बर्खास्तगी से। रक्षा मंत्री ही नहीं शी जिनपिंग सरकार में वित्त मंत्री की भी छुट्टी कर दी गई है। अभी पिछले जुलाई माह में ही वहां ‘लापता’ चल रहे विदेश मंत्री को पद से हटा दिया गया था। ये सभी निर्णय एक रहस्य की चादर में लिपटे हुए हैं क्योंकि तीनों को ही बिना किसी स्पष्ट कारण के हटाया गया है।
हटाए गए रक्षा मंत्री ली शांगफू को स्टेट काउंसिल से भी निकाल दिया गया है। पूर्व विदेश मंत्री किन गॉन्ग को भी इसी तरह देश के चोटी के सांसदों, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति आदि के मतों के आधार पर स्टेट काउंसिल के पद से हटाया गया है। ली शांगफू दो महीने से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखे थे। उनके इस ‘लापता’ होने के पीछे कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि राष्ट्रपति शी उनसे नाराज चल रहे हैं।
इससे पूर्व तत्कालीन विदेश मंत्री किन को भी महीनों तक ‘लापता’ पाया गया था। उनके किसी टीवी एंकर से नजदीकी संबंधों की अफवाह उड़ने के बाद से ही वे किसी कार्यक्रम में भी नजर नहीं आए थे। और जुलाई में सीधे उनकी बर्खास्तगी की ही खबर दी गई। इसी तरह कल कम्युनिस्ट सत्ता ने अपने वित्त मंत्री ल्यू कुन को भी पद से हटाया है। हालांकि उनके स्थान पर लॉन फेआन के नाम की घोषणा कर दी गई है। सरकार की एक और घोषणा में बताया गया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री वांग जिगांग भी पद से हटाए गए हैं। उनकी जगह यिन ह्जून को पद पर बैठाया गया है। वांग मार्च 2018 में ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री बनाए गए थे।
चीन में सरकार में चल रही इस उठापटक पर जानकारों का मानना है कि चीन की सरकार ऐसे किसी व्यक्ति को आगे बढ़ते नहीं देख सकती जो भविष्य में सत्ता के लिए कोई भी चुनौती पेश कर सकता हो। इसी तरह चीन के उद्योगपतियों को भी कम्युनिस्ट नेताओं द्वारा संदेह की नजर से देखा जाता है कि कहीं ये ताकतवर उद्योगपति देश को अपने इशारों पर न नचाने लगें।
किन के गायब होने को लेकर भी कई तरह की बातें उड़ी थीं। वे श्रीलंका, विएतनाम तथा रूस के अधिकारियों से इसी साल 25 जून को मिले थे। उसके बाद से ही वे सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आ रहे थे। कहा यह भी गया वे ‘बीमार’ हैं। इतना ही नहीं, बात यह भी उड़ी थी कि उनका हांगकांग की एक टीवी एंकर के साथ संबंध हैं।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अकूत धन के स्वामियों अपने लिए एक संभावित खतरा मानती है। राष्ट्रपति शी जिंनपिंग की सत्ता गत कुछ वर्ष से धनपति उद्योगपतियों की संपत्ति पर नजर रखे हुए है। कम्युनिस्ट पार्टी यह जता देना चाहती है कि कोई हो, कुछ भी करता हो, वह पार्टी से ऊपर की हैसियत नहीं रख सकता।
बर्खास्त रक्षा मंत्री ली शांगफू सार्वजनिक रूप से अंतिम बार ‘अफ्रीका चाइना पीस एंड सिक्योरिटी फोरम’ के मौके पर देखे गए थे। यह कार्यक्रम बीजिंग में हुआ था जिसमें उनका ही मुख्य भाषण था। शांगफू अभी मार्च 2023 में ही रक्षा मंत्री बनाए गए थे और तब कहा गया था कि वे राष्ट्रपति जिपनिंग के बहुत नजदीकी थे।
हैरानी की बात यह भी है कि जब चीन के रक्षा मंत्री ‘लापता’ हुए थे उस दौरान सैन्य हार्डवेयर खरीद को लेकर हुए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही थी। गत जुलाई में जांच शुरू हुई थी। जबकि उंगलियां उठने पर चीन की सेना की तरफ से बयान आया या दिलवाया गया था कि वह जांच तो अक्तूबर 2017 से ही चल रही है। यहां बता दें कि शांगफू ने उससे एक महीने पहले, यानी सितंबर 2017 में ही सेना का उपकरण विभाग संभाला था।
किन के गायब होने को लेकर भी कई तरह की बातें उड़ी थीं। वे श्रीलंका, विएतनाम तथा रूस के अधिकारियों से इसी साल 25 जून को मिले थे। उसके बाद से ही वे सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आ रहे थे। कहा यह भी गया वे ‘बीमार’ हैं। इतना ही नहीं, बात यह भी उड़ी थी कि उनके हांगकांग की एक टीवी एंकर के साथ संबंध हैं।
तत्कालीन विदेश मंत्री किन राष्ट्रपति शी के काफी निकट के नेता माने जाते थे। 2021 में वे अमेरिका में चीन के राजदूत बनाए गए थे। दिसंबर 2022 में उन्हें देश का विदेश मंत्री बनाया गया। कभी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भरोसेमंद सहयोगी माने जाने वाले किन का भी यूं अचानक गायब होना लोगों को हजम नहीं हुआ था।
कुछ विशेषज्ञों की राय है कि चीन की अर्थव्यवस्था डावांडोल चल रही है, बाजार को काफी झटका लगा है। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से उसकी आर्थिक स्थिति पटरी से उतर रही है। ऐसे में लोगों का ध्यान भटकाने के लिए चीन सरकार के स्तर पर ऐसे अजीबोगरीब फैसले ले रहा है।
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