नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 98 वें स्थापना दिवस पर नागपुर के ऐतिहासिक रेशिम बाग मैदान में परम्परागत तरीके से विजयादशमी कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रमुख अतिथि सुप्रसिद्ध गायक व संगीतकार पद्मश्री शंकर महादेवन मंच पर मौजूद थे। मुख्य उद्बोधन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने दिया।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते कहा कि देश में पिछले कुछ समय से नफरत पैदा करने की कोशिश हो रही हैं। यह शक्तियां लोगों को भड़का कर हिंसा फैलाने पर आमादा हैं, जिसके चलते छोटी-सी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जाता है। देश और विदेश में हिंसा भड़काने के लिए एक “टूलकिट गैंग” सक्रिय है। सरसंघचालक ने अपील करते हुए कहा कि समय रहते इन बातों को पहचानना चाहिए और खुद को इस दुष्प्रचार के घातक जाल से बाहर निकालना चाहिए। समाज को विघटित करने तथा आपस में अलगाव एवं संघर्ष बढ़ाने के भी पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं। हांलाकि ये लोग खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी कहते हैं, लेकिन 1920 के दशक से ही मार्क्स को भुला रखा था। वे सभी सांसारिक व्यवस्था, मांगलिक, संस्कार और संयम के विरोधी हैं। देश में अपने राजनीतिक हितों के लिए प्रतिद्वंद्वी को हराने के उद्देश्य से ऐसी अवांछनीय ताकतों के साथ सहयोग करना अविवेकपूर्ण है। सरसंघचालक ने जोर देकर कहा कि समाज की एकता के लिए हमें राजनीति से हटकर सोचना होगा।
मणिपुर हिंसा किसने भड़काई..?
मणिपुर में हुई जातीय हिंसा पर चिंता जताते हुए डॉ. मोहन भागवत ने कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि विगत एक दशक से शांतिपूर्ण रहे मणिपुर में अचानक यह संघर्ष कैसे भड़क गया ? क्या हिंसा करने वालों में सीमा पार उग्रवादी भी थे ? अपने अस्तित्व के भविष्य को लेकर भयभीत मणिपुरी के मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच इस आपसी संघर्ष को जातीय या धार्मिक स्वरूप देने का प्रयास क्यों और किसने किया और क्या इसमें बाहरी ताकतें शामिल थीं ? इन सवालों के साथ ही डॉ. भागवत ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को हल करने के लिए बहु-आयामी प्रयासों की आवश्यकता है। जहां राजनीतिक इच्छाशक्ति, तदनुरूप सक्रियता और कार्य कुशलता समय की मांग है, वहीं आपसी अविश्वास की खाई को पाटने में समाज के प्रबुद्ध नेतृत्व को भी विशेष भूमिका निभानी होगी।
खिलाड़ियों, वैज्ञानिकों और केंद्र सरकार को बधाई
विजयादशमी संबोधन में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने एशियाई खेलों में भारत के ऐतिहासिक प्रदर्शन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। साथ ही चंद्रयान की सफलता पर दुनिया ने भारत की शक्ति, बुद्धि और कौशल की झलक भी देखी। वैज्ञानिकों की कुशलता को देश के नेतृत्व से बल प्राप्त हुआ है। हमारा देश हर दृष्टि से अग्रणी है। आर्थिक स्थिति में भी प्रगति देखने को मिल रही है। हमने स्टार्टअप की क्रांति भी देखी है।
मन में भी विराजमान हों श्रीराम
संरसंघचालक जी ने कहा कि 22 जनवरी को श्री रामलला अयोध्या में बने रहे भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होंगे। व्यवस्था की बाधाओं और सुरक्षा की सावधानियों को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में इस शुभ अवसर पर सीमित संख्या में ही लोग शामिल हो सकेंगे। बाद में अपनी सुविधानुसार जाकर रामलला के दर्शन कर सकेंगे। अयोध्या में राम मंदिर में श्री रामलला के प्रवेश के साथ ही सरसंघचालक ने सभी से अपने हृदय में स्थान रखने और अयोध्या को अपने हृदय में सजाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अयोध्या में हो रहे आयोजन के समय पर हम अपने अपने मंदिरों और स्थानों पर भव्य कार्यक्रम आयोजित कर सहभागिता प्रकट करें।
बाबासाहेब के आदर्शों पर चलना चाहिए
सरसंघचालक ने आह्वान किया कि, देश में एकता बनाये रखने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर ने संविधान में एकता का सिद्धांत दिया है। देश को उनके आदर्शों पर चलना होगा। यदि हम पूज्य डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर द्वारा संविधान प्रदान करते समय संविधान सभा में दिये गये दो भाषणों पर ध्यान दें तो हमें इसका सार समझ में आ जायेगा। सभी को उनके भाषणों का अध्ययन करना चाहिए।
मतदान समाज का राष्ट्रीय कर्तव्य
इस अवसर पर डॉ. मोहन भागवत ने लोकतंत्र के पर्व और मतदान के महत्व का भी स्मरण कराया। उन्होंने कहा कि आगामी 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे। चुनाव के मैदान में भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिशें अपेक्षित नहीं होतीं, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। समाज को बांटने वाली ऐसी चीजों से हमे खुद को दूर रखना चाहिए। मतदान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। सभी को इसका पालन करना चाहिए। सभी को देश की एकता, अखंडता, अस्मिता और विकास के मुद्दे को ध्यान में रखकर मतदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपलब्ध विकल्पों में से जो सबसे अच्छा विकल्प हो, उस पर वोट करना चाहिए।
देश एक गीत है तो हमारे स्वयंसेवक उसके पीछे की सरगम
प्रसिद्ध संगीतकार शंकर महादेवन ने कहा कि जब मैं स्वयंसेवकों को देखता हूँ वो देश में कोई भी घटना हो, कोई भी प्रॉब्लम हो, जब जरूरत है वो भी पीछे खड़े होकर चुपचाप अपने देश के लिए काम करते हैं तो अगर हम कहेंगे कि हमारा देश एक गीत है तो हमारे स्वयंसेवक उसके पीछे की सरगम हैं। जो गीत को जान देते हैं। इस वक्त मैं ऐसा महसूस कर रहा हूँ। विश्व भर में भारत और भारतीय नागरिक को पूरा विश्व सम्मान की नजरों से देखने लगा है। इसलिए मैं कहता हूँ कि जहाँ भी हो, जहाँ भी जाओ, जब भी जाओ सर उठाकर गर्व से कहो मैं भारत का नागरिक हूँ।
डॉ हेडगेवार जी को प्रणाम
संघ स्थापना दिवस पर विजयादशमी संबोधन से पहले संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री शंकर महादेवन (संगीतकार और गायक) ने स्मृति मंदिर जाकर संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की प्रतिमा और द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य गुरूजी की स्मृति पर पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पूर्व नागपुर के स्वयंसेवकों द्वारा निकाले गए पथ संचलन (रूच मार्च) का भी अवलोकन किया। समारोह स्थल पर पहुंच कर शस्त्र पूजन किया । समारोह में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, संत और संघ के प्रमुख पदाधिकारी और स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
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