ईरान की ‘मोरल पुलिस’ ने राजधानी तेहरान में 16 साल की बेहिजाब कुर्द लड़की को इतना पीटा कि वह कोमा में चली गई। अस्पताल में उसका इलाज तो चल रहा है, लेकिन हालत गंभीर बनी हुई है। अर्मिता नाम की यह लड़की मेट्रो में बैठी थी जिसे स्टेशन पर ही पुलिस ने घसीटते हुए रेल से उतारकर बेरहमी से पीटा था।
इस घटना से एक बार फिर इस शिया देश में जबरदस्त आक्रोश उपजा है। उल्लेखनीय है कि लगभग एक साल पहले ही 22 साल की महसा अमिनी को भी बेहिजाब देखकर पुलिस ने हिरासत में लेकर जबरदस्त पिटाई की थी, जिसमें उसकी जान चली गई थी। उस घटना से पूरे ईरान में हिजाब विरोधी दंगे भड़क उठे थे, जिसकी तपिश आज भी महसूस की जा रही है।
अर्मिता को अगर कुछ हो गया तो ईरान एक बार फिर हिजाब विरोधी दावानल का सामना कर सकता है। तेहरान मेट्रो स्टेशन पर जिस तरह पुलिस 16 साल की उस लड़की की पिटाई कर रही है, उसका पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ‘मोरल पुलिस’ के विरुद्ध फिर से लोग लामबंद होने लगे हैं।
ईरान की सत्ता महसा अमिनी की मौत के बाद के हालात जानती है, वह जानती है कि पूरे ईरान में गुस्से का दावानल फूट पड़ा था और सिर्फ महिलाओं ने ही नहीं, बल्कि पुरुषों और छात्र—छात्राओं तक ने भी सड़कों पर उतरकर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया था। पुलिस को इस बात की आशंका है कि कहीं फिर से उस पैमाने का संकट न खड़ा हो जाए।
कुर्द समुदाय के अधिकार समूह हेंगॉ की ओर से उस लोमहर्षक घटना का पूरा ब्योरा जारी किया गया है। 16 साल की लड़की, अर्मिता गारवांड तेहरान में मेट्रो से जा रही थी, उसे डिब्बे से महिला पुलिसकर्मियों ने बुरी तरह घसीटते हुए उतारा और प्लेटफार्म पर ही उसकी पिटाई करने लगीं। पुलिस की इस बेरहम पिटाई से घायल अर्मिता अस्पताल पहुंचते तक कोमा में चली गई।
इस घटना पर ईरान के अधिकारियों ने कहा है कि पिटाई जैसे आरोप फर्जी हैं। वह लड़की ब्लड प्रेशर गिरने के कारण बेहोश हुई थी। जबकि हेंगॉ संगठन का कहना है कि लड़की पिटाई से बुरी तरह घायल हुई थी। उसे बहुत गंभीर चोटें आई हैं। पुलिस के बड़े अधिकारी बेवजह ब्लड प्रेशर कम होने की फर्जी कहानी गढ़ रहे हैं।
अर्मिता की नाजुक हालत देखकर लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। अनहोनी की आंशका में पुलिस सतर्क हो चुकी है। तेहरान के जिस फज्र हॉस्पीटल में सुरक्षा घेरे के बीच अर्मिता का इलाज किया जा रहा है, वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। घायल अर्मिता के परिजनों तक को उससे मिलने की इजाजत नहीं दी गई है। ईरान की सत्ता महसा अमिनी की मौत के बाद के हालात जानती है, वह जानती है कि पूरे ईरान में गुस्से का दावानल फूट पड़ा था और सिर्फ महिलाओं ने ही नहीं, बल्कि पुरुषों और छात्र—छात्राओं तक ने भी सड़कों पर उतरकर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया था। पुलिस को इस बात की आशंका है कि कहीं फिर से उस पैमाने का संकट न खड़ा हो जाए।
लगभग एक साल पहले सितम्बर माह में ही 22 साल की महसा अमिनी को बेहिजाब देखकर पुलिस ने पकड़ा था। हिरासत में उसकी जबरदस्त पिटाई की गई। जैसे ही दो महिला पत्रकारों ने पूरी घटना अखबार में छापी, लोगों का आक्रोश भड़क उठा और ईरान देश एक तरह से विरोध प्रदर्शनों की आग में झुलसने लगा। दूसरी तरफ, सरकार ने भी कड़ाई बढ़ा दी और हिजाब न पहनने पर दंड दोगुना कर दिया। इसकी परवाह न करते हुए भी प्रदर्शन होते रहे, सैकड़ों मारे गए, हजारों लोगों गिरफ्तार हुए। लेकिन उसकी तपिश अब भी सुर्ख है।
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