नई दिल्ली। पिछले हफ्ते संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण विधेयक अब कानून बन गया है। इस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है। यह नए संसद भवन में पारित होने वाला पहला विधेयक बना।
लोकसभा में 20 सितंबर को विधेयक को पारित किया गया था। इसमें 454 सदस्यों ने पक्ष में और दो ने इसके विरोध में मतदान किया। 21 सितंबर को, नारी शक्ति वंदन अधिनियम को राज्यसभा में ‘सर्वसम्मति से’ पारित किया गया था।
संसद में विधेयक के ऐतिहासिक पारित होने के बाद पीटी उषा, केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी और मीनाक्षी लेखी समेत अन्य महिला सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट किया था। राज्यसभा में इससे पहले 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया था, लेकिन इसे लोकसभा में नहीं लाया गया और बाद में संसद के निचले सदन में यह रद्द हो गया। पिछले सप्ताह दोनों सदनों में विधेयक के विधायी बाधाओं को दूर करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम देश में महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत करेगा।
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