दिल की बीमारियों से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा देश में ही नहीं, विश्वभर में बढ़ रहा है। सीडीसी (सेट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अकेले वर्ष 2021 में अमेरिका में दिल की बीमारियों की वजह से छह लाख से अधिक लोगों की जान चली गई।
बात जब शरीर को स्वस्थ रखने की हो तो दिल को सुरक्षित रखने को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। दिल की बीमारियों से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा देश में ही नहीं, विश्वभर में बढ़ रहा है। सीडीसी (सेट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अकेले वर्ष 2021 में अमेरिका में दिल की बीमारियों की वजह से छह लाख से अधिक लोगों की जान चली गई। इस हिसाब से पांच में से एक व्यक्ति की मृत्यु हृदयाघात या दिल की अन्य बीमारियों की वजह से हो रही है। भारत में भी यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। देश में दिल की बीमारियों से होने वाली मौत पर राज्यसभा में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने बताया कि वर्ष 1990 में देश में दिल की बीमारियों से होने वाली मौत का आंकड़ा 15.2 प्रतिशत था, जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया।
पैदल चलने के फायदे
- यूरोपियन सोसाइटी आॅफ कार्डियोलॉजी द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार नियमित बीस से 25 मिनट पैदल चलकर जीवन के पांच से छह साल बढ़ाये जा सकते हैं। यह अध्ययन तीस से साठ साल के आयुवर्ग के लोगों के बीच किया गया।
- पैदल चलना मस्तिष्क के अच्छे हार्मोन्स को सक्रिय करता है, इससे रचनात्मकता बढ़ती है। सुबह के समय प्रकृति के बीच पैदल चलना या हरी घास पर चलना आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
- पैदल चलने से मांसपेशियां मजबूत होती है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि यदि आप अपने साथी के साथ पैदल चलते हैं तो यह रिश्तों को मजबूत करता है, साथ पैदल चलने से आपसी सामंजस्य बढ़ता है।
- पैदल चलने को एक तरह का मेडिटेशन भी माना गया है, जिसमें आप चलते हुए प्रकृति के बीच शुद्ध हवा को अंदर लेते हैं।
- पैदल चलते हुए नाक से सांस लेने पर यह फेफड़ों को मजबूत करता है, बिना हेडफोन लगाये पैदल चलना चाहिए।
ल्ल तीस मिनट तक पैदल चलकर 150 कैलोरी खर्च की जा सकती है।
केंद्र सरकार ने नॉन कम्युनिकेबल या गैर संचारी बीमारियों की मॉनिटरिंग के लिए एक विशेष कार्यक्रम लॉन्च किया है, इसके तहत द नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आफ कैंसर, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, डायबिटीज और स्ट्रोक (एनसीडीसीएस) पर विशेष ध्यान दिया गया। बीते कुछ साल से एस्चेमिक या अकस्मात हृदयाघात के मामले बढ़े हैं। इसकी वजह दिल की बीमारी के लक्षण की पहचान न हो पाना और खानपान में लापरवाही या सही डायट का पता न होना पाया गया है। हृदयाघात की वजह से होने वाली मृत्यु में कम उम्र के ऐसा युवा अधिक देखे जा रहे हैं जो जिम में घंटों पसीना बहाते हैं या फिर जिम ट्रेनर की सलाह पर डायट लेते हैं। कुछ दिन पहले गाजियाबाद में ट्रेड मिल पर वर्कआउट करते हुए एक युवा का मौके पर ही देहांत हो गया। तो क्या यह माना जाए कि डायट में कुछ गड़बड़ी हैं। आइए! जानने की कोशिश करते हैं कि क्या हमारी कुछ गलतियां ही अनजाने हमारे दिल को बीमार कर रही हैं? सो एक नजर सबसे पहले अपनी डायट और दिनचर्या पर डालें।
स्वस्थ दिल के लिए फाइबर जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार सुबह की शुरुआत नाश्ते से होती है। भूलकर भी नाश्ता को छोड़ना नहीं चाहिए। यह वह समय होता है जब आपके शरीर को दिन भर के काम में लगने वाली ऊर्जा के लिए पर्याप्त मात्रा में कैलोरी की जरूरत होती है। नाश्ते में सभी जरूरी पोषक तत्व होने चाहिए, नाश्ते में जो कुछ भी लिया जाए, उसमें फाइबर भरपूर मात्रा में हो, इसके लिए मिलेट्स या सुपर फूड से बनी रोटी, दलिया, पोहा या फिर स्प्राउट्स लिये जा सकते हैं। हाई सैचुरेटेड फैट जैसे मोजेरिला चीज, केक, पास्ता, बर्गर, चाकलेट्स नाश्ते की थाली में बिल्कुल नहीं होने चाहिए। यदि आपको डेयरी या दूध से बनी चीजों से एलर्जी नही है तो नाश्ते में डेयरी उत्पाद जैसे पनीर, दही, छाछ, दूध और मक्खन को शामिल किया जा सकता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के 2021 में किये गये एक अध्ययन के अनुसार प्रतिदिन खाने में 25 ग्राम फाइबर का प्रयोग करने वालों को दिल की बीमारी या हृदयघात का खतरा फाइबर बिल्कुल नहीं लेने वालों की अपेक्षा कम देखा गया। ट्राइग्लीसराइड युक्त चीजें जैसे, वैफल्स, सॉस, पैनकेक और शुगर युक्त पैटीज खराब कोलस्ट्राल को बढ़ाने में कारगर हैं। इनसे बचना चाहिए।
अंडा कितना है बेहतर
अंडे और कोलेस्ट्राल को लेकर अब तक कई अध्ययन किये जा चुके हैं, लेकिन 2021 में हुए अध्ययन को अंतिम परिणाम माना गया, जिसके अनुसार दिनभर में एक से अधिक अंडे का इस्तेमाल कोलेस्ट्राल को बढ़ा सकता है। अंडे को पीली जर्दी के साथ खाने पर यह कोलेस्ट्राल के खतरे को बढ़ा सकता है।
जिम से बेहतर है पैदल चलना और योग
पैदल चलने की आदत न सिर्फ मांसपेशियों को मजबूत बनाती है बल्कि विशेषज्ञों का एक बड़ा वर्ग इस बात का स्वीकार करता है कि जिम में घंटों पसीने बहाने की जगह, प्रकृति के बीच पैदल चल कर कैलोरी को कम करना अधिक फायदेमंद है। लेकिन दस हजार कदम रोजाना चलने का मानक अमेरिका द्वारा तैयार किया गया है।
भारतीयों पर यह मानक सही नहीं बैठता। इसलिए जरूरी है, नियमित दस हजार कदम को अपनाने से पहले जनरल फिजिशियन से अवश्य संपर्क कर लें। बावजूद इसके तेज गति से कदम बढ़ाने या चलने को, अन्य किसी भी तरह के व्यायाम से अधिक बेहतर माना गया है।
किसके लिए सुरक्षित दस हजार कदम
नियमित पैदल चलने के अभ्यास से पहले उम्र के आधार पर कुछ सामान्य पैरामीटर जांचे जाने चाहिए। इसे एबीसी या एअर, ब्रीदिंग और सकुर्लेशन (रक्तसंचार) कहा गया है। बीपी भी टहलने के घंटे और समय को निर्धारित करता है। 60 से 70 साल की उम्र के बाद के बढ़े हुए बीपी या कम रक्तचाप को नियमित दो से तीन किलोमीटर पैदल चलने से नियंत्रित किया जा सकता है। एम्स के कम्युनिटी मेडिसन विभाग द्वारा किये गये एक अध्ययन में देखा गया कि तीन महीने नियमित दवाओं के साथ नियमित पैदल चलने और साइकिल चलाने को शामिल करने से बीपी की दवाओं को कम किया जा सका। अध्ययन में प्रोटीन और फाइबर युक्त आहार के साथ पैदल चलने के अभ्यास का भी प्रयोग किया गया। पैदल चलने से बर्न की गयी कैलोरी के साथ ही यदि नियमित आहार में अधिक वसा और काबोर्हाइड्रेड होगा तो पैदल चलने से सेहत पर पड़ने वाला फायदा कम हो सकता है। इसलिए दिल को सुरक्षित रखने के सभी प्रयासों में डायट को भी अहम स्थान दिया जाता है।
नमक कितना?
दिल्ली में एक वयस्क औसतन रोजाना नौ ग्राम, जबकि हरियाणा में दस ग्राम नमक का सेवन कर रहा है। भारतीय खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा अधिक होती है। लगातार उच्च रक्तचाप बने रहने से धमनियां कठोर हो जाती हैं, जिससे आॅक्सीजन और खून का प्रवाह कम होने लगता है। अधिकतर यह देखा गया है कि नमक का अधिक सेवन करने वाले लोगों के चेहरे पर बहुत जल्द झुर्रिंयां आने लगती हैं। इसकी वजह धमनियों में आक्सीजन और खून का प्रवाह सामान्य नहीं हो पाना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक वयस्क को अपने नियमित आहार में केवल पांच ग्राम नमक का सेवन ही करना चाहिए। नमक और सोडियम शब्द एक-दूसरे के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, हालांकि इनका मतलब अलग-अलग है। नमक में सोडियम और क्लोराइड के रूप में क्लोरीन भी शामिल होता है। खाने में इस्तेमाल होने वाला सोडियम दिल के लिए नुकसानदेह हो सकता है। महत्वपूर्ण यह है कि हमारे द्वारा उपयोग किये जाने वाले सोडियम का 75 प्रतिशत हिस्सा पैक्ड फूड और रेस्तरां में मिलने वाले खाद्य पदार्थों से आता है।
कसरत, नींद और जागरुकता जरूरी
हृदय संबंधी बीमारियों से बचने और हृदय को स्वस्थ बनाये रखने के लिए शारीरिक गतिविधि अनिवार्य है। शारीरिक गतिविधि के तौर पर सामान्य तीव्रता के कसरत सप्ताह में लगभग 150 मिनट या श्रमसाध्य कसरत सप्ताह में 75 मिनट करें। तेज चलना, तैराकी, साइक्लिंग और नृत्य जैसी गतिविधियां कार्डियोवैस्कुल फिटनेस, निम्न रक्तचार को बेहतर बनाती हैं और मोटापे को नियंत्रित करती हैं। अत्यधिक वजनी होना या मोटापा हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है। मोटे लोगों को संतुलित आहार और नियमित कसरत के संयोजन से वजन में धीमे-धीमे और सतत कमी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
अत्यधिक तनाव आपके हृदय के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके लिए गहरी सांस लेना, ध्यान, योग जैसी तनाव कम करने की तकनीकों को लागू करना चाहिए। अपनी देखभाल को प्राथमिकता दें और जरूरत पड़ने पर मित्रों, परिवार या चिकित्सक की मदद लें। हर रोज सात से नौ घंटे की अच्छी नींद का लक्ष्य रखें। सोने में अनियमितता हृदय रोग का जोखिम बढ़ाती है, इसलिए सोने का समय बनायें और आरामदायक नींद का माहौल रखें।
हृदय संबंधी बीमारियों पर नियंत्रण के लिए नियमित जांच कराना आवश्यक है। इससे उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल स्तर, डायबिटीज जैसे जोखिम की पहचान करने और उनसे निबटने और बीमारी को आगे बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी। हृदय संबंधी संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना महत्वपूर्ण है। पूरे दिन पर्याप्त पानी पीते रहें और अत्यधिक मीठे और कैफीनयुक्त पेय से बचें। हृदय रोगों से बचने के लिए व्यक्ति का स्वयं को हृदय रोगसंबंधी जोखिमों, लक्षणों एवं चेतावनी संकेतों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। जागरूकता से जल्दी उपचार संभव हो सकेगा और अच्छे परिणाम आएंगे।
प्रोटीन अच्छा पर मात्रा हो सीमित
स्वास्थ्य को लेकर लोग पहले से सजग हुए हैं लेकिन अधूरी जानकारी का परिणाम बेहतर नहीं होता। प्रोटीन के मामले में यही देखने को मिल रहा है। 25 से 45 साल के युवा शरीर सौष्ठव (बॉडी बिल्डिंग) के लिए प्रोटीन का अधिक सेवन करते हैं, जो न सिर्फ मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, बल्कि सिक्स पैक्स एब्स के लिए एक जरूरी तत्व है। लेकिन प्रोटीन को कितनी मात्रा में लिया जाएं जो दिल के लिए घातक न हो, इसकी जानकारी कम ही युवाओं को होती है। खाद्य पदार्थ के अतिरिक्त प्रोटीन को आप अन्य माध्यम जैसे प्रोटीन पाउडर या शेक के रूप में ले रहे हैं तो एक बार फिर अपने डायट चार्ट को देखें। दरअसल विशेषज्ञ रात के खाने में प्रोटीन की मात्रा बिल्कुल कम रखने की सलाह देते हैं। प्रोटीन का स्रोत मीट, मछली या मांस है तो ध्यान रहे कि यह भुना हुआ हो, डीप फ्राई बिल्कुल नहीं होना चाहिए। मछली में उपस्थित ओमेगा थ्री वास्कुलर डिजीज या धमनियों में संकुचन को दूर करने के साथ खून के प्रवाह को बेहतर करती है, लेकिन अधिक प्रयोग नुकसानदायक हो सकता है। इसके अलावा जिम जाने वाले युवाओं को जो प्रोटीन पाउडर दिया जाता है, उसमें मांसपेशियों को बनाने के लिए स्टेरायड भी मिलाकर दिया जाता है। जो मांसपेशी तो बना देता है लेकिन दिल की धमनियों को अवरुद्ध कर देता है, जिससे एस्चेमिक या अकस्मात़ हार्ट अटैक की समस्या बढ़ रही है।
(प्रस्तुत जानकारी एम्स की प्रमुख आहार विशेषज्ञ
डॉ. परमीत कौर द्वारा दी गई)
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