नई दिल्ली। प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक डॉ एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को चेन्नई में निधन हो गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने डॉ स्वामीनाथन के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शोक संदेश में कहा कि भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के निधन से आधुनिक भारत के निर्माण में एक उज्ज्वल अध्याय समाप्त हो गया। हम उनके परिवार के सदस्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। डॉ. स्वामीनाथन राष्ट्र के सर्वांगीण कल्याण के लिए समर्पित व्यक्ति थे। आम आदमी के प्रति उनकी चिंता अनुकरणीय थी और यह करुणा ही है जिसने उन्हें हरित क्रांति लाने और लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। उनकी कृषि क्षेत्र में शोध की मूलभूत पहल हमेशा सभी शोधकर्ताओं को प्रेरित करती रहेगी। डॉ. स्वामीनाथन, जिन्होंने खाद्यान्न उत्पादन में भारत को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया, अपनी भव्य दृष्टि, दृढ़ धैर्य और विनम्रता के माध्यम से देश के लिए एक प्रतीक बन गए। उनका यशस्वी जीवन नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा। हम ईश्वर से दिवंगत आत्मा को चिर शांति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।
कृषि को समर्पित किया जीवन
7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कृषि विज्ञान में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय से कृषि में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। एमएस स्वामीनाथन के माता-पिता चाहते थे कि वह मेडिकल की पढ़ाई करें, लेकिन उन्होंने कृषि को जीवन समर्पित किया। स्वामीनाथन के परिवार में उनकी तीन बेटियां सौम्या स्वामीनाथन, मधुरा स्वामीनाथन और नित्या स्वामीनाथन हैं।
आर्थिक पारिस्तथिकी के जनक
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने उन्हें आर्थिक पारिस्तथिकी का जनक कहा था। स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआर) के महानिदेशक रहे। स्वामीनाथन को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें पद्म श्री (1967), पद्म भूषण (1972), पद्म विभूषण (1989), वोल्वो इंटरनेशनल एनवायरमेंट पुरस्कार (1999) समेत कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मान प्राप्त हुए थे। वह चेन्नई के तारामणि में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख थे।
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