चंडीगढ़। एक समय था जब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चीन द्वारा कब्जाए इलाके को यह कहकर सांत्वना प्रकट की थी कि वह इलाका बंजर है, जहां घास का तिनका भी नहीं होता। उन्हीं की पार्टी के रक्षामंत्री ए.के. एंटनी ने यूपीए -2 की सरकार में चीन के अविकसित सीमावर्ती इलाकों पर कहा था कि हम सड़कें बनाएंगे तो चीन की सेना आसानी से भारत में घुस जाएगी परन्तु अब वहां के हालात बदलने लगे हैं।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने चंडीगढ़ में पत्रकारों को बताया कि पहले की सरकारों ने रक्षा से जुड़े इस क्षेत्र में बजट को लेकर उतना ध्यान नहीं दिया लेकिन वर्तमान रक्षा मंत्री के नेतृत्व में बीआरओ के बजट में 43 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। पहले यह बजट 3500 करोड़ रुपये तक था, जिसे इस साल बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपये किया गया है। चीन के साथ लगती सीमा पर भारतीय सेना सड़कों का जाल बिछा रही है। तीन वर्षों में सीमा सड़क संगठन ने भारत-चीन सीमा पर आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से 300 परियोजनाएं पूरी की हैं, जो सामरिक और सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से देश के लिए अहम हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी बीआरओ की हिमांक एयर डिस्पैच यूनिट का निरीक्षण करने पहुंचे थे। यहां बन रहे विश्व के सबसे बड़े 3डी प्रिंटिंग बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना सीमा तक पहुंचने के लिए आधारभूत ढांचे के विकास के मामले में चीन से कहीं भी कम नहीं है। अगले पांच साल में हम चीन को पीछे छोड़ देंगे। सीमा पर सड़क और पुल समेत 300 परियोजनाएं तैयार करने के अलावा 60 ऐसी और परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जो दिसंबर 2023 तक तैयार होंगी। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने रक्षा से जुड़े इस क्षेत्र में बजट को लेकर उतना ध्यान नहीं दिया लेकिन वर्तमान रक्षा मंत्री के नेतृत्व में बीआरओ के बजट में 43 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। पहले यह बजट 3500 करोड़ रुपये तक था, जिसे इस साल बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपये किया गया है। इसके चलते देश सामरिक दृष्टि से और भी सुदृढ़ हुआ है। महानिदेशक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख और तवांग में नई मशीनों और तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस मौके पर एडीजी बीआरओ हरेंद्र कुमार, ब्रिगेडियर गौरव एस कार्की, मुख्य अभियंता प्रोजेक्ट हिमांक (लेह) कर्नल केएस लवाना, कमांडर 753 टास्कफोर्स प्रोजेक्ट हिमांक, प्रोजेक्ट मैनेजर एलएंडटी कंस्ट्रक्शन रामचंद्र एसए और अन्य मौजूद रहे।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि नेविगेशन तकनीक का इस्तेमाल कर बीआरओ ने छह माह तक बंद रहने वाले सबसे दुर्गम जोजिला दर्रे को रिकॉर्ड 65 दिन में खोलकर इतिहास रचा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में इसे 110 जबकि 2022 में 73 दिनों में खोला गया था। यहां 30 से 40 फुट तक बर्फ जमी रहती है।
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