प्रज्ञा, निमीषा, संदीप और प्रणेश पहले हिंदू थे। ये चारों पहले अपने मुस्लिम दोस्तों के चक्कर में आए। बाद में लव जिहाद का शिकार हुए और फिर आतंकवादी बना दिए गए। प्रज्ञा पश्चिम बंगाल की रहने वाली है, तो निमीषा केरल की।
प्रज्ञा का नाम कर दिया गया आयशा, निमीषा को बना दिया फातिमा, संदीप शर्मा को बनाया आदिल और प्रणेश पिल्लई को जावेद शेख बना कर थमा दिया हथियार। यह है जिहादियों का कारनामा। प्रज्ञा, निमीषा, संदीप और प्रणेश पहले हिंदू थे। ये चारों पहले अपने मुस्लिम दोस्तों के चक्कर में आए। बाद में लव जिहाद का शिकार हुए और फिर आतंकवादी बना दिए गए। प्रज्ञा पश्चिम बंगाल की रहने वाली है, तो निमीषा केरल की। संदीप उत्तर प्रदेश का है, तो प्रणेश केरल का था। इस समय प्रज्ञा बांग्लादेश और निमीषा अफगानिस्तान की जेल में हैं। संदीप जम्मू-कश्मीर की जेल में है, तो प्रणेश 2004 में ही गुजरात में पुलिस के हाथों मारा गया है।
इन चारों को जिहादियों ने ऐसी घुट्टी पिलाई कि ये अपने परिवार, घर-द्वार, सगे-संबंधी सबको छोड़कर दबे पांव घर से भागकर जिहादियों के पास पहुंच गए और अपने ही देश के विरुद्ध काम करने लगे। घर वाले खोजते रहे, लेकिन महीनों तक कहीं कोई खोज-खबर नहीं लगी। काफी समय बाद जानकारी मिली तो मीडिया और पुलिस के जरिए कि आपकी बेटी या बेटा तो आतंकवादी बन चुका है।
मारी गई प्रज्ञा की बुद्धि
सबसे पहले प्रज्ञा की बात करते हैं। उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिन पहले बांग्लादेश में आयशा जन्नत नामक एक महिला आतंकवादी को पकड़ा गया है। यह जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) की महिला शाखा की प्रमुख है। जांच में पता चला है कि आयशा पहले हिंदू थी और उसका नाम प्रज्ञा देबनाथ था। प्रज्ञा पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के धनियाखाली थाना के पश्चिम केशवपुर ग्राम की रहने वाली है। 2009 में जब वह कक्षा 9 में पढ़ती थी तो एक स्थानीय मौलवी के संपर्क में आई। उसी ने प्रज्ञा को लव जिहाद के जाल में फंसाया। बाद में उसे आयशा नाम देकर जेएमबी की गतिविधियों में शामिल किया और इस तरह वह आतंकवादी बन गई।
जेएमबी में शामिल होने के बाद आयशा की शादी ओमान में रहने वाले एक मुसलमान से टेलीफोन के जरिए कराई गई। कहा जाता है कि पहले आयशा को हिंदू लड़कियों के बीच इस्लाम का प्रचार-प्रसार करने के लिए कई इस्लामी संगठन पैसा उपलब्ध कराते थे। बाद में आयशा खुद ही धन उगाही करने लगी। यह भी कहा जा रहा है कि आयशा 2016 तक पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में सक्रिय रही। 24 सितंबर, 2106 को वह कोलकाता गई और वहीं से उसने अपनी मां को बताया कि उसने इस्लाम कबूल कर लिया है। इसके बाद उसे कोलकाता से बांग्लादेश भेज दिया गया। वहां उसे फर्जी नाम से रखा गया। ढाका पुलिस के अनुसार आयशा ढाका और ढाका से लगे हुए क्षेत्रों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा, 24 उत्तर व दक्षिण परगना, दिनाजपुर, नदिया, बीरभूम व बर्धमान जिलों में स्थित मदरसों में जाकर मजहबी शिक्षा देती थी और मुसलमान युवकों को जिहाद के लिए प्रेरित करती थी। उसके गांव वालों का कहना है कि प्रज्ञा को धोखे से मुसलमान बनाया गया और उसकी ऐसी स्थिति कर दी गई कि वह चाहकर भी उससे निकल नहीं पाई।
केरल से काबुल पहुंची निमिषा
केरल की रहने वाली निमिषा इन दिनों काबुल की एक जेल में है। वह केरल के एक प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही थी। उसके साथ पढ़ने वाले सज्जाद सलीम ने 2012 में उसे अपने जाल में फंसाया और उसके साथ निकाह कर लिया और उसका नाम रख दिया फातिमा। कुछ दिन में ही वह गर्भवती हो गई तो सज्जाद ने उसे तलाक दे दिया। फिर एक मुस्लिम संगठन ने मदद के नाम पर उसका दोबारा निकाह करवाया। इसके बाद गर्भवती फातिमा को अफगानिस्तान भेज दिया गया। वहां उसे आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। अब वह आईएसआईएस आतंकी होने के आरोप में काबुल की जेल में बंद है। यह जानकारी जनवरी, 2020 में बाहर आई थी। इससे पहले चार साल तक उसका कोई अता-पता नहीं था।
आयशा पहले हिंदू थी और उसका नाम प्रज्ञा देबनाथ था। प्रज्ञा पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के धनियाखाली थाना के पश्चिम केशवपुर ग्राम की रहने वाली है। 2009 में जब वह कक्षा 9 में पढ़ती थी तो एक स्थानीय मौलवी के संपर्क में आई। उसी ने प्रज्ञा को लव जिहाद के जाल में फंसाया। बाद में उसे आयशा नाम देकर जेएमबी की गतिविधियों में शामिल किया और इस तरह वह आतंकवादी बन गई।
निमिषा इन दिनों काबुल की एक जेल में है। वह एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी। उसके साथ पढ़ने वाले सज्जाद सलीम ने 2012 में उसे अपने जाल में फंसाया और उसके साथ निकाह कर लिया और उसका नाम रख दिया फातिमा। कुछ दिन में ही वह गर्भवती हो गई तो सज्जाद ने उसे तलाक दे दिया। फिर एक मुस्लिम संगठन ने मदद के नाम पर उसका दोबारा निकाह करवाया। इसके बाद गर्भवती फातिमा को अफगानिस्तान भेज दिया गया।
आदिल का असली नाम संदीप शर्मा है और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। 2009-10 में वह काम की तलाश में जम्मू-कश्मीर गया। वहां उसका एक मुस्लिम लड़की से प्यार हो गया। लड़की के घर वालों ने कहा कि मुसलमान बनोगे तो तुम्हारा निकाह करा दिया जाएगा। वह मुसलमान बन गया और निकाह कर लिया। इसके बाद उसके ससुराल के लोगों ने ही उसका परिचय लश्करे तोयबा के आतंकवादियों से कराया।
सिल्विया रोमानो की व्यथा
इटली की रहने वाली सिल्विया रोमानो 18 महीने बाद गत 11 मई को सर से नख तक ढककर जब घर पहुंची तो लोग दंग रह गए। उसे भी जबरन इस्लाम कबूल कराया गया और उसका नाम भी आयशा हो गया है। इसके साथ भी जिहादियों ने वही किया, जो प्रज्ञा या निमिषा के साथ किया था। 24 साल की सिल्विया केन्या में ‘अफ्रीका मिलेले’ नामक एक संगठन के लिए काम करती थी। नवंबर, 2018 में आतंकवादी संगठन अल-शबाब के आतंकवादियों ने उसका अपहरण कर लिया था। इसके बाद उसे सोमालिया में रखा गया। वहीं उसको इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया गया। आतंकवादियों से सिल्विया को छुड़ाने के लिए इटली सरकार पर दबाव था। कहा जा रहा है कि इटली सरकार ने आतंकवादियों को भारी रकम देकर सिल्विया को छुड़ाया है। हालांकि सरकार ने इस बात से इनकार किया है। लेकिन जैसे ही लोगों को पता चला कि सिल्विया ने इस्लाम कबूल कर लिया है तो वे उसके विरोध में उतर गए हैं।
संदीप को बना दिया आदिल
आदिल इन दिनों जम्मू-कश्मीर की जेल में बंद है। आदिल का असली नाम संदीप शर्मा है और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। कहा जाता है कि 2009-10 में वह काम की तलाश में जम्मू-कश्मीर गया। वहां उसका एक मुस्लिम लड़की से प्यार हो गया। लड़की के घर वालों ने कहा कि मुसलमान बनोगे तो तुम्हारा निकाह करा दिया जाएगा। वह मुसलमान बन गया और उससे निकाह कर लिया। इसके बाद उसके ससुराल के लोगों ने ही उसका परिचय लश्करे तोयबा के आतंकवादियों से कराया। यानी उसे आतंकवादी बनाने के लिए निकाह की आड़ में एक साजिश रची गई। आतंकवादी बनने के बाद उससे भी वही करवाया जाने लगा, जो आतंकवादी करते हैं। जुलाई, 2017 में वह अनंतनाग में पुलिस के हत्थे चढ़ा और तब से जेल में है। उसकी बीवी ने और किसी के साथ निकाह कर लिया है। आदिल पहला गैर-कश्मीरी युवक था, जो लश्करे तोयबा में शामिल हुआ था।
प्रणेश बन गया शेख
प्रणेश पिल्लई मूल रूप से केरल का रहने वाला था। माता-पिता ने बहुत ही अरमान के साथ उसे पढ़ने के लिए मुम्बई भेजा था। वहां वह जिहादियों के चक्कर में आ गया। जिहादियों ने उसे भी फंसाने के लिए लव जिहाद का सहारा लिया। एक साजिश के तहत उसे मुसलमान बनाया गया और नाम रखा गया जावेद शेख। फिर इसका निकाह इशरत जहां से कर दिया गया। वही इशरत, जो लश्कर की आतंकवादी थी और जिसे 15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस ने मार गिराया था। उसके साथ जावेद को भी मारा गया था। निकाह के बाद जावेद और इशरत को पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ जोड़ा गया और वे दोनों लश्कर के लिए काम करने लगे थे। गुजरात पुलिस ने इन दोनों के साथ पाकिस्तान के रहने वाले जीशान जौहर उर्फ अब्दुल गनी और अमजद अकबर अली राना उर्फ सलीम को भी मार गिराया था।
इन हिंदू युवाओं के साथ जो कुछ हुआ है, वह एक षड्यंत्र के तहत हुआ है। इस षड्यंत्र को समझने और खत्म करने की जरूरत है, नहीं तो फिर किसी प्रज्ञा या निमिषा को क्रमश: आयशा और फातिमा बनने से कोई रोक नहीं सकता है।
2 Augest 2020
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