प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह द्वारा की गई टिप्पणी उनके लिए इतनी महंगी साबित हो रही है कि ये दोनों बचने की जितनी कोशिश कर रहे हैं, उतने ही दलदल में फंस रहे हैं
अमदाबाद जिला सत्र न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को शनिवार यानी कल अदालत में हाजिर होने के लिए कहा है। मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर की गई टिप्पणी से जुड़ा है। दरअसल, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह अपने विरुद्ध जारी समन को रुकवाने के लिए सत्र न्यायालय गए थे, लेकिन अदालत ने दोनों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वे अदालत में हाजिर हों। बता दें कि इस वर्ष 17 अप्रैल को अमदाबाद की मेट्रो कोर्ट ने इन दोनों को समन जारी किया था। इसके बाद 23 मई को भी समन जारी किया गया। इस समन से बचने के लिए ये दोनों गुजरात उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक गए, लेकिन कहीं भी इन्हें राहत नहीं मिली। इन दोनों को देश के बड़े—बड़े वकील भी नहीं बचा पा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि गत 25 अगस्त को वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल को कठघरे में खड़े होने से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के सामने अनेक तर्क दिए, पर उनकी एक नहीं चली। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि जब आरोपित न्यायालय में हाजिर होगा तो वहां अपनी सभी बात रख सकता है। इसलिए आरोपित को कठघरे में जाने दीजिए। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अगस्त को गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया।
बता दें कि इस मामले में 11 अगस्त को गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने के केजरीवाल के अनुरोध को खारिज कर दिया था। इसके बाद केजरीवाल ने राहत पाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल ने आर.टी.आई. के जरिए गुजरात विश्वविद्यालय से प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मांगी थी, लेकिन गुजरात विश्वविद्यालय ने यह कहते हुए जानकारी देने से मना कर दिया था कि पूरी जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके बाद केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने गुजरात विश्वविद्यालय को केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था। बाद में यह मामला गुजरात उच्च न्यायालय पहुंचा। उच्च न्यायालय ने इस वर्ष 31 मार्च को सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही यह भी कहा था कि आआपा प्रमुख की आरटीआई याचिका को देखने से यह “सुखद सार्वजनिक हित विचारों” पर आधारित होने के बजाय “राजनीतिक रूप से परेशान करने वाली और प्रेरित” प्रतीत होती है।
इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने अनेक बार प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता को लेकर बहुत ही हल्की बातें कहीं।
इन सबको देखते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के विरुद्ध मानहानि का मामला दायर कराया था। पीयूष पटेल द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए “अपमानजनक” बयान दिए थे। शिकायतकर्ता का कहना है कि गुजरात विश्वविद्यालय को निशाना बनाने वाली उनकी टिप्पणियां अपमानजनक थीं और इससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची, जिसने जनता के बीच अपना एक स्थान बनाया है। पटेल ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि दोनों नेताओं के बयान व्यंग्यात्मक थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे।
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