बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव पिछले दिनों देवघर गए। वहां पूजा—पाठ करने के बाद वे बासुकीनाथ भी गए। इससे पहले उन्होंने गोपालगंज के एक मंदिर में भी पूजा की थी। लोगों का कहना है कि इसके पीेछे लालू की एक चाल है। लालू केवल दिखाने के लिए मंदिर जा रहे हैं। यदि सच में वे सच्चे सनातनी होते तो वे अपनी पार्टी राजद के नेताओं को सनातन विरोधी बयान देने से रोकते।
सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजेश कहते हैं, ”लालू यादव एक रणनीति के अंतर्गत मंदिर—मंदिर घूम रहे हैं, ताकि उनके नेताओं के हिंदू विरोधी बयान ढक जाएं। लालू के इशारे के बिना उनका कोई नेता बयान दे ही नहीं सकता है। इसलिए चाहे बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर हों, राजद नेता जगदानंद सिंह हों, शिवानंद तिवारी हों या फिर मनोज झा, ये सब लालू यादव के कहने पर ही हिंदू विरोधाी बयान दे रहे हैं।”
बता दें कि 14 सितंबर को बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने एक बार फिर से रामचरितमानस के लिए आपत्तिजनक बातें की हैं। उन्होंने रामचरितमानस के अरण्य कांड की एक पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पोटेशियम सायनाइड है। इससे पहले इस वर्ष जनवरी महीने में चंद्रशेखर ने नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा था कि रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। चंद्रशेखर ने कुछ दिन पहले मोहम्मद साहब को मर्यादापुरुषोत्तम भी कहा था, जबकि यह शब्द श्रीराम के लिए प्रयोग होता है। यानी उन्होंने श्रीराम का भी अपमान किया है।अभी कुछ ही दिन पहले राजद नेता जगदानंद सिंह ने कहा था कि तिलक लगाकर घूमने वालों ने देश को गुलाम बनाया है। ऐसे ही लालू के बेहद करीबी शिवानंद तिवारी और मनोज झा भी सनातन विरोधी बयान देने के लिए सदैव सामने आ जाते हैं। राजद के नेता उन उदयनिधि स्टालिन के बयान के पक्ष में भी ताल ठोक कर खड़े हो जाते हैं, जो सनातन को मिटाना चाहते हैं।
यह सब लालू यादव की शह और अनुमति के बिना हो नहीं सकता है। इसलिए लोगों की उस बात में दम लग रहा है कि लालू यादव एक रणनीति के तहत मंदिर जा रहे हैं।
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