अवकाश प्राप्त शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड में आरोपी आतिफ मुजफ्फर और फैसल को एटीएस एवं एनआईए के विशेष न्यायाधीश ने दोषी ठहराया है। आरोपियों को 11 सितंबर को सजा सुनाई जाएगी। आतिफ मुजफ्फर और फैसल को एक अन्य मामले में पहले ही फांसी की सजा मिल चुकी है। ये दोनों आरोपी आतंकी विचारधारा से प्रभावित हैं।
कानपुर जनपद में अवकाश प्राप्त शिक्षक की 24 अक्टूबर 2016 को हत्या कर दी गई थी। रमेश बाबू शुक्ला की हत्या किसी दुश्मनी के कारण नहीं की गई थी। उनकी हत्या मात्र इसलिए की गई थी क्योंकि उन्होंने माथे पर तिलक और हाथ में कलावा बांध रखा था। बताया जाता है कि जिहादी सोच से प्रभावित आरोपी आतिफ मुजफ्फर और फैसल ने रमेश बाबू शुक्ला की हत्या कर दी थी। इस घटना की एफआईआर कानपुर के चकेरी थाने में दर्ज की गई थी। इसके बाद पुलिस ने इस हत्याकांड की विवेचना शुरू की। तभी एटीएस को खबर मिली कि आतंकी सैफुल्लाह लखनऊ में रह रहा है। आतंकी सैफुल्लाह की संलिप्तता उज्जैन बम ब्लास्ट में पाई गई थी। 7 मार्च 2017 को एटीएस ने लखनऊ के उस मकान को घेर लिया। मुठभेड़ में सैफुल्लाह मारा गया। उस मकान के अंदर से भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार बरामद हुआ। इसके बाद इस मामले की विवेचना एनआईए को सौंपी गई। आगे की विवेचना में यह पाया गया कि सैफुल्लाह के मकान से बरामद हथियार का प्रयोग कानपुर के शिक्षक की हत्या में भी किया गया था।
इसके बाद एनआईए ने कानपुर जनपद के चकेरी मोहल्ले से फैसल को गिरफ्तार किया। फैसल ने एनआईए को बताया कि सैफुल्लाह उसके मोहल्ले का ही रहने वाला था और वह आईएसआईएस की विचारधारा प्रभावित था। सैफुल्लाह और उसके साथी आतिफ ने शपथ ली थी कि जब तक वो लोग विदेश नहीं जा पा रहे हैं, तब तक भारत में रह कर ही आतंकवाद फैलाएंगे। इसी जिहाद के कारण ही 24 अक्टूबर को राम बाबू शुक्ला की हत्या कर दी थी।
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