बिहार सरकार हिंदू भावनाओं के विरुद्ध ताबड़तोड़ निर्णय ले रही है, लेकिन जब राष्ट्रशक्ति अपना बल दिखाती है तो सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़ते हैं। यह बात गत दो निर्णयों से समझा जा सकता है। 29 अगस्त को बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने हिंदू पर्वों के ठीक पहले 14 छुट्टियां रद्द कर दीं। हिंदुओं को सिर्फ 4 कार्य—दिवस का अवकाश दिया गया था। इसका जबर्दस्त विरोध हुआ। सरकार ने रक्षाबंधन का अवकाश भी रद्द कर दिया था। शिक्षा विभाग के निर्णय के विरुद्ध 30 अगस्त से ही प्रदर्शन प्रारंभ हो गया। 31 अगस्त को शिक्षाकर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर विद्यालयों में अपना कार्य किया। विद्यालयों में उपस्थिति नगण्य रही। 700 विद्यार्थियों वाले विद्यालय में 14 विद्यार्थी भी नहीं आए। महिला शिक्षिकाओं ने आदेश की प्रतियां जलाईं। उनका मानना था कि तीज और जिउतिया जैसे पर्व में निर्जला रहना पड़ता है। भाजपा भी सरकार पर हमलावर रही। भाजपा के अनेक नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार राज्य में शरिया कानून लागू कर रही है। इसका जनमानस पर असर भी दिख रहा है। इस कारण राज्य सरकार परेशान हो गई और अंत में उसे 4 सितंबर को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा।
इसी प्रकार चेहल्लुम के ताजिया जुलूस से बचाव के लिए मुंगेर में राष्ट्रनायकों की प्रतिमा ढकी जा रही थी। जब मुंगेर की जनता ने सड़कों पर उतरने की धमकी दी तो जिला प्रशासन ने यह कार्य बंद कर दिया। ध्यान रहे कि मुंगेर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का संसदीय क्षेत्र है।
ऐसा लगता है कि बिहार की तथाकथित सेकुलर सरकार सिर्फ तुष्टिकरण के आधार पर चल रही है। बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक ने बिहार के विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था ठीक करने के नाम पर 14 छुट्टियां रद्द कर दी थीं। एक प्रकार से सरकार ने हिंदू पर्वों के अवकाशों में कटौती की थी। यह निर्णय 29 अगस्त को लिया गया। 31 अगस्त को रक्षाबंधन था। वैसे पहले से 30 अगस्त को रक्षाबंधन की छुट्टी निर्धारित थी, लेकिन 29 अगस्त को ही सामान्य प्रशासन विभाग ने यह छुट्टी 31 अगस्त को निर्धारित की। एक प्रकार से रक्षाबंधन की पूर्व निर्धारित छुट्टी की पूर्व संध्या पर बिहार के शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया कि रक्षाबंधन समेत कई छुट्टियां अब बिहार के लोगों को नहीं मिलेंगी।
पहले 30 अगस्त से 31 दिसंबर तक 25 छुट्टियां निर्धारित थीं, लेकिन निर्णय के बाद 11 छुट्टियां ही बचीं। रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और गुरुनानक जयंती जैसे पर्वों पर होने वालीं छुट्टियां रद्द कर दी गईं। तीज और जिउतिया से लेकर नवरात्रि तक के अवकाश में कटौती हुई, लेकिन चेहल्लुम जैसे सामान्य मुस्लिम पर्वों पर छुट्टियां यथावत रखी गईं। इन 11 छुट्टियों में 3 दिन रविवार है। एक प्रकार से 8 छुट्टियां ही मिलतीं। इसका विरोध स्वाभाविक रूप से हुआ और अब सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा।
कह सकते हैं कि बिहार सरकार हिंदुओं की एकता के सामने झुक गई। यह कोई साधारण बात नहीं है। बता दें कि अभी दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़े घमंड के साथ कहा था कि शिक्षा विभाग ने जो किया है, वह ठीक है। इसके बावजूद सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा है।
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