स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने बुडापेस्ट में चल रही विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शान के साथ सफलताएं हासिल कर एक बार फिर देश का मान बढ़ाया है। इस क्रम में सबसे बड़ी बात यह है कि नीरज ने भाला फेंक स्पर्धा में एक और इतिहास रचने की दहलीज की ओर कदम भी बढ़ा दिए हैं। नीरज निरंतर दमदार प्रदर्शन करते हुए सफलताएं अर्जित कर रहे हैं। लगता है जैसे इतिहास रचने की आदत सी पड़ गई है उन्हें। उसी का नतीजा है कि रविवार की देर रात होने वाले विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में उनसे उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।
नीरज के सामने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के रूप में एक और महामंच तैयार है। नीरज ने विश्व एथलेटिक्स की भाला फेंक स्पर्धा में 88.77 मीटर की दूरी तय करते हुए इस स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने के साथ-साथ 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। उनकी इन सफलताओं ने देशवासियों को दोहरी खुशी दी है। यह क्वालीफाइंग दौर में शीर्ष पर रहे नीरज के लिए दो शिखर लांघने जैसी उपलब्धि है। इसके बाद नीरज में जबरदस्त आत्मविश्वास दिखा उन्होंने उम्मीद जतायी कि वह देश के लिए विश्व एथलेटिक्स में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने के लिए अपनी जी-जान लड़ा देंगे। यह नए भारत के खेल जगत की बदली हुई छवि है। नीरज का लक्ष्य स्पष्ट रूप से शिखर छूने की है।
नीरज सहित मनु और किशोर भी फाइनल में
अच्छा लगता है कि पिछले टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता नीरज ने अगले वर्ष होने वाले ओलंपिक खेलों में भी अपनी जगह पक्की कर ली है। और भी अच्छा लगता है जब नीरज सहित भारत के डीपी मनु और किशोर जेना भी फाइनल में भाग लेते दिखेंगे। ऐसा पहली बार होगा कि किसी विश्व चैंपियनशिप की एक ही स्पर्धा के फाइनल के लिए भारत के तीन खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया है। हालांकि नीरज के अलावा मनु और किशोर से पदक जीतने की उम्मीद पालना थोड़ी जल्दबाजी होगी क्योंकि ये दोनों ही खिलाड़ी पहली बार विश्व चैंपियनशिप में भाग ले रहे हैं। लेकिन नीरज की सफलता का इंतजार जरूर रहेगा। विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बनने का सपना संजोये नीरज ने अगर रविवार की रात यह सफलता हासिल कर ली तो वह उनके लिए एवरेस्ट का शिखर फतह हासिल करने जैसी उपलब्धि होगी।
फाइनल के लिए ऊर्जा बचाकर रखी है : नीरज
भाला फेंक फाइनल स्पर्धा से पहले नीरज ने अपने प्रदर्शन पर संतुष्टि जताते हुए कहा- “क्वालीफाइंग दौर में सबकुछ मेरी योजना के अनुरूप हुआ। टोक्यो ओलंपिक में अपने प्रतिद्वंद्वियों की गलती से सबक लेकर मैंने रणनीति बनाई थी कि अपने पहले ही थ्रो में मैं इतनी ताकत लगा दूंगा जो फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में सफल हो जाऊं। 90 मीटर के करीब भाला फेंक कर मैंने फाइनल में भी जगह बना ली और आगे के लिए अपनी ऊर्जा भी बचा ली। अच्छी बात यह थी कि बुडापेस्ट का माहौल, मौसम, ट्रैक और मेरा पहला थ्रो सबकुछ बहुत अच्छा रहा जिससे फाइनल के लिए आत्मविश्वास बढ़ा है। विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक जैसे महामंच पर दबाव तो रहता ही है, लेकिन सफलता के लिए फाइनल दौर में किसी भी एथलीट के शारीरिक व मानसिक संतुलन पर काफी कुछ निर्भर करता है। मैंने अच्छी तैयारी की है। मैं विश्व के शीर्षस्थ एथलीटों के साथ कम्पीट कर चुका हूं इसलिए उनसे पार पाने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए। तकनीकी दृष्टि से भी मैं खुद को अन्य प्रतिभागियों से कुछ अलग तैयार करता हूं। अब मैं खुद को ऐसी स्थिति में पा रहा हूं कि अगर अपना शत-प्रतिशत प्रदर्शन करने में सफल रहा तो 90 मीटर की दूरी और स्वर्ण पदक मेरी पहुंच से दूर नहीं है।”
वास्तव में यह नीरज की प्रतिभा, उनकी फॉर्म और उनका आसमान छूता मनोबल ही है जिसके कारण उन पर हम सबका विश्वास बढ़ता जा रहा है। नीरज विश्व भाला फेंक स्पर्धाओं के हर मंच पर स्वर्णिम सफलताएं हासिल कर चुके हैं। उनकी पदकों की झोली में सिर्फ विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण की कमी रह गई है। व्यग्रता के साथ नीरज के उस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने का इंतजार हम सभी को रहेगा।
भाग्यशाली हैं हम खेलप्रेमी जो पूरे शांत भाव और आत्मविश्वास के साथ निरंतर शिखर की ओर कदम बढ़ाते नीरज की ऐतिहासिक सफलताओं के साक्षी बन रहे हैं।
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