‘‘31 जुलाई की दोपहर बढ़कली चौक पर करीब 2,000 लोगों की भीड़ दंगा कर रही थी। वे लोग वहां से गुजरने वाली हर गाड़ी की जांच कर रहे थे।जिस गाड़ी में किसी देवी-देवता का चित्र मिलता तो उसे पलटकर आग लगा देते और गाड़ी में कोई कलावा बांधे मिलता, तो उसे जमकर पीटा जाता। इस नजारे के बाद सभी हिंदू अपनी दुकानें बंद कर खेतों के रास्ते से घर भाग गए। अब वहां किसी भी हिंदू की दुकान नहीं बची है।’’
गत 31 जुलाई को हरियाणा के मुस्लिम-बहुल क्षेत्र मेवात में हिंदुओं पर हुए हमले ने 1999 के कारगिल युद्ध का स्मरण करा दिया। सबको पता है कि 1999 में पाकिस्तानी फौजियों ने कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद वे लोग वहां से ढलान की तरफ भारतीय सैनिकों पर गोलियां दाग रहे थे। ठीक उसी तरह मेवात के जिहादी तत्वों ने नल्हड़ स्थित शिव मंदिर के पास की पहाड़ियों पर बैठकर ब्रज मंडल यात्रा में शामिल लोगों पर हमला किया। यात्रा में शामिल विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र कुमार जैन ने कहा भी कि मेवात की घटना से अंदाजा लग गया कि कारगिल युद्ध में किस तरह हमारे वीर जवानों पर पाकिस्तानियों ने हमले किए थे।
कुछ लोग कह रहे हैं कि मेवात हमले के पीछे कांग्रेस है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी इस घटना के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने साफ-साफ कांग्रेस विधायक मम्मन खान का नाम लिया है। इस बात में दम लग रहा है। इन दिनों सोशल मीडिया में फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मम्मन खान का एक वीडियो चल रहा है। इसमें वे विधानसभा के अंदर कह रहे हैं, ‘‘यदि मोनू मानेसर मेवात आ गया, तो कच्चे प्याज की तरह उसे फोड़ डालूंगा।’’ यह वही मोनू है, जिस पर मेवात के दो गोतस्करों की हत्या का आरोप है। कुछ मुस्लिम नेता और संगठन इसी मोनू पर हमले का ठीकरा फोड़कर हमलावरों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें एक मम्मन खान भी है। हमले के बाद मम्मन खान ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘किसी भी साथी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैंने विधानसभा में भी आपकी लड़ाई लड़ी थी और मेवात में भी आपकी लड़ाई में ही रहूंगा।’’
पाञ्चजन्य ने पहले ही चेताया
पाञ्चजन्य (25 नवंबर, 2012) में ‘मेवात को पाकिस्तान बनने से बचाओ’ शीर्षक से आवरण कथा प्रकाशित हुई थी। इसमें विस्तार से बताया गया था कि मेवात में हिंदुओं के विरुद्ध किस तरह की हरकतें हो रही हैं। उस समय इस रपट के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईबी से जांच करने को कहा था। जांच हुई भी और पाञ्चजन्य में उठाए गए सभी मामलों को सही पाया गया। इसके बाद भी मेवात को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई गई।
मम्मन की इन पंक्तियों का अर्थ तो यही निकलता है कि कांग्रेस ने ही जिहादियों को ब्रज मंडल यात्रा में शामिल हिंदुओं पर हमले के लिए उकसाया। सावन के महीने में मेवात में ब्रज मंडल यात्रा वर्षों से निकलती रही है। इस बात को मेवात के उपायुक्त प्रशांत पवार भी मानते हैं। उन्होंने पत्रकारों को बताया, ‘‘यात्रा से पहले 27 जुलाई को अमन कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें दोनों पक्ष के लोगों से आश्वासन मिला था कि यात्रा शांतिपूर्वक संपन्न करने में सभी सहयोग करेंगे।’’ इसे देखते हुए ही 31 जुलाई को यह यात्रा नल्हड़ मंदिर में पूजा-पाठ करके शुरू हुई थी। अभी यात्रा नल्हड़ से एक किलोमीटर ही आगे बढ़ी थी कि मुसलमानों की भीड़ ने हिंदुओं पर हमला कर दिया। इसके बाद यात्रा में शामिल गाड़ियां पीछे होने लगीं, तो पीछे से भी एक भीड़ ने उन पर हमला कर दिया। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
डॉ. सुरेंद्र कुमार जैन और कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने श्रद्धालुओं को संभाला और उन्हें नल्हड़ के शिव मंदिर वापस भेज दिया। कुछ देर में उस मंदिर के सामने भी मुस्लिम दंगाई आ गए। उन लोगों ने यात्रा में शामिल कारों, बसों और अन्य वाहनों को आग लगा दी और जो सामने दिखा, उस पर गोलियां भी बरसाने लगे। इसी गोलीबारी में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यकर्ता अभिषेक की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसके बाद तलवार से उनके गले को काट दिया गया। जब पुलिस आई तो ये दंगाई मंदिर के पास की पहाड़ियों पर चढ़ गए और वहां से गोलियां चलाने लगे।
मेव कभी हिंदू ही थे
देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मेवात। गुरुग्राम से अलवर के रास्ते आगे बढ़ने पर सोहना के बाद मेवात का इलाका शुरू हो जाता है। यहां मेव मुसलमानों का दबदबा है। मेव पहले हिंदू ही थे। मेव एक जाति है। अभी भी कुछ मेव हिंदू हैं। मेवात का इलाका हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फैला है। 14 वीं शताब्दी में तुगलक वंश के समय मेवात के लोगों को जबरन मुसलमान बनाया गया। फिर भी ये लोग शताब्दियों तक अपनी पहचान बचाने में सफल रहे, किंतु 1920 के बाद मजहबी संगठनों ने इन लोगों को अपने रंग में रंगना शुरू कर दिया। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि यहां के मुसलमान पाकिस्तान की मांग का समर्थन करने लगे। पर जब पाकिस्तान बना तो यहां के बहुत कम मुसलमान पाकिस्तान गए। लेकिन अब लगता है कि ये लोग मेवात को ही ‘पाकिस्तान’ बनाने में लगे हैं। हरियाणा के मेवात क्षेत्र को कट्टरवादियों ने बहुत पहले ही ‘बांग्लादेश’ बना दिया है। एक रपट के अनुसार बांग्लादेश में करीब 8 प्रतिशत हिंदू रह गए हैं, यही स्थिति मेवात की भी हो गई है। जबकि 1947 में बांग्लादेश में करीब 30 प्रतिशत और मेवात में भी लगभग 30 प्रतिशत हिंदू थे। आज हरियाणा के मेवात में हिंदुओं के साथ वह सब हो रहा है, जो बांग्लादेश या पाकिस्तान में होता है। जैसे हिंदुओं को झूठे मुकदमों में फंसाना। हिंदुओं के यहां डाका डालना। इस कारण मेवात के हिंदू पलायन करते रहे हैं।
508 गांव हिंदू-विहीन
मेवात के सभी 508 गांव लगभग हिंदू-विहीन हो चुके हैं। किसी-किसी गांव में हिंदुओं के दो-चार परिवार ही रह गए हैं। मेवात पहले गुरुग्राम जिले का भाग था। 4 मई, 2005 को मेवात को अलग जिला बनाया गया और नूंह को जिला मुख्यालय का दर्जा दिया गया। मेवात जिले का क्षेत्रफल 1,784 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले में कुल छह प्रखंड हैं-पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, नगीना, नूंह, तावडू और हथीन। हिंदू इन कस्बाई नगरों में रह रहे हैं। जो संपन्न हिंदू थे वे गुरुग्राम, दिल्ली आदि शहरों में बस चुके हैं। जो बेचारे हिंदू किसी कस्बे में भी घर नहीं ले सकते वे मजबूरीवश अपने गांवों में ही रह रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।
बता दें कि नल्हड़ मंदिर की छत और प्रांगण में लगभग 3,000 श्रद्धालु, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, करीब पांच घंटे तक बंधक बने रहे। वहां से जान बचाकर निकलीं गीता गुर्जर रुआंसी होकर कहती हैं, ‘‘मंदिर के सामने वाली पहाड़ी से गोलियां चलाई जा रही थीं। मेरे सामने ही कई भाइयों के पैरों में गोली लगी। एक गोली तो मेरे सिर के पास से होकर भी गुजरी। भगवान की कृपा से हम लोग मौत के मुंह से निकल पाए।’’ उन्होंने यह भी बताया, ‘‘मंदिर में घंटों हजारों लोगों के फंसे रहने से वहां पीने का पानी भी खत्म हो गया, ऊपर से गर्मी थी। लोग प्यास से तड़पते रहे। मेरे जैसे सैकड़ों लोगों ने शौचालय का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।’’ एक अन्य यात्री राहुल ठाकुर ने बताया, ‘‘मंदिर पर तीन तरफ से गोलियां चल रही थीं।
जब भी कोई गोली आती तो लगता, कि अब शायद अपना कोई साथी हमारे बीच नहीं रहेगा। यदि प्रशासन और एक घंटे भी देर करता तो शायद हममें से कोई नहीं बचता। वहां जितने भी लोग थे, उनका जैसे पुनर्जन्म हुआ।’’ श्रद्धालुओं को लेकर पानीपत से आए राजीव भाटिया भावुक होते कहते हैं, ‘‘हमें चारों तरफ से घेर लिया गया था। साथ में महिलाएं और बच्चे भी थे। सभी घंटों डर के साये में रहे। मंदिर के बाहर खड़ी हमारी बस और अन्य गाड़ियों को जला दिया गया। घटना बहुत ही निराश करने वाली रही। हमें भगवान ने बचा लिया।’’ मंदिर में फंसे लोगों को निकालने में देर रात तक लगे रहे सामाजिक कार्यकर्ता सागर मलिक मानते हैं कि मेवात में हिंदुओं पर आतंकी हमला हुआ है। इसलिए हमलावरों के साथ वही होना चाहिए, जो आतंकवादियों के साथ सुरक्षा बल करते हैं।
उल्लेखनीय है कि जिहादियों ने हिंदुओं पर हमला करने से पहले पूरी तैयारी कर रखी थी। यहां तक कि उन्होंने मंदिर में फंसे हिंदुओं को निकालने के लिए गुरुग्राम से आने वाले पुलिसकर्मियों पर भी हमले किए। पुलिस थाने को भी जला दिया गया। इस कारण देर शाम तक ही पुलिस बल मंदिर तक पहुंच पाया। उसके बाद मंदिर से लोगों को निकालने का अभियान चला। यह कार्य रात के डेढ़-दो बजे तक चलता रहा। डॉ. सुरेंद्र कुमार जैन कहते हैं, ‘‘मेवात मानो मिनी पाकिस्तान बन गया है। 31 जुलाई को नूंह में ‘डायरेक्ट एक्शन’ जैसा वातावरण था।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मेवात में मुसलमान भले ही बहुसंख्यक होंगे, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप उसको हिंदुओं का कब्रिस्तान बना देंगे? यह दुष्कृत्य किसी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’’
लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेवात हिंदुओं के लिए कब्रिस्तान बन चुका है। 31 जुलाई को सोहना से दो किलोमीटर दूर बजरंग दल, बादशाहपुर प्रखंड के संयोजक प्रदीप शर्मा को जिहादियों की भीड़ ने पीट-पीट कर अधमरा कर दिया। उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका। 1 अगस्त को उनका निधन हो गया। 31 जुलाई की शाम को ही शक्ति सिंह नामक एक व्यक्ति की भी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। चार बच्चों के पिता शक्ति सिंह भादस गांव के रहने वाले थे।
वे बढ़कली चौक पर एक हलवाई की दुकान में काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। शाम को काम खत्म कर वे अपने घर के लिए निकले तभी उन्हें रास्ते में मुसलमानों की भीड़ ने घेर लिया। वे जान की भीख मांगते रहे, लेकिन जिहादियों ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें वहीं मारकर सड़क के किनारे फेंक दिया। पुलिस ने देर रात उनके शव को बरामद किया। दूसरे दिन शव का पोस्टमार्टम हुआ। घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल है। पिन्गवां में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जसवंत गोयल कहते हैं, ‘‘शक्ति सिंह यात्रा स्थल से बहुत दूर थे। इसके बाद भी उनकी बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी गई। उनकी हत्या केवल इसलिए कर दी गई क्योंकि वे हिंदू थे।’’ उन्होंने यह भी बताया कि मेवात में जो कुछ हो रहा है, वह एक साजिश के तहत हो रहा है।
जिहादी हिंसा का हुए शिकार
शक्ति सिंह
मिठाई की दुकान से काम करके घर लौट रहे शक्ति सिंह को मुसलमानों ने पीट-पीटकर मार डाला। चार बच्चों के पिता शक्ति परिवार के कमाने वाले अकेले व्यक्ति थे।
अभिषेक
बजरंग दल के कार्यकर्ता अभिषेक को गोली मारी गई। बाद में दंगाइयों ने उनका गला रेत दिया औरफिर पत्थरों से कुचला।
नीरज कुमार
गुरुग्राम पुलिस के एक होमगार्ड नीरज की मुस्लिम भीड़ ने लाठी-डंडों से हमला कर और पत्थरों से कुचलकर हत्या कर दी।
गुरुसेवक
पथराव के कारण गुरुसेवक की मौत हो गयी। उन पर दंगाइयों ने तब हमला किया जब वह गुरुग्राम से मेवात जा रहे थे।
प्रदीप शर्मा
बजरंग दल के कार्यकर्ता प्रदीप शर्मा को उन्मादी भीड़ ने बेरहमी से पीटा था। इलाज के दौरान सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई।
लिया बदला!
जिहादियों की भीड़ ने उस दिन नूंह के साइबर थाने पर भी हमला किया। माना जा रहा है कि ऐसा करके जिहादियों ने पुलिस से बदला लिया। बता दें कि मेवात साइबर अपराध का गढ़ बन चुका है। देश के 90 प्रतिशत साइबर अपराधी मेवात के हैं। गत अप्रैल महीने में लगभग 5000 पुलिसकर्मियों की सहायता से मेवात के अनेक हिस्सों मेें छापा मारा गया था और उस दौरान 65 साइबर अपराधी पकड़े गए थे। कहा जा रहा है कि अप्रैल का गुस्सा 31 जुलाई को फूटा।
मेवात में बसे हैं रोहिंग्या
मीडिया हरियाणा के नूंह में भड़के हिंदू विरोधी दंगों के मूलभूत कारणों और जिले में हिंदुओं की हालत को छुपा रहा है। ‘पाञ्चजन्य’ ने नूंह जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग करने की ठानी। बल्लभगढ़ से होडल और फिर होडल से नूंह से 35 किलोमीटर दूर स्थित नांगल जाट गांव तक जा रही एक गाड़ी पर सवार होकर हम किसी तरह नूंह तक पहुंचने में सफल रहे। नांगल जाट से लेकर नूंह तक पड़ने वाले सभी गांव मुस्लिम बाहुल्य हैं।
नूंह में भारी पुलिसबल और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान तैनात थे। दूर-दूर तक कोई व्यक्ति नहीं दिख रहा था। बहुत देर तक घूमने के बाद हमें मोहम्मद आमिर नामक एक व्यक्ति मिला, जिससे हमारी बातचीत हुई। बातचीत के दौरान उसने वह खुलासा कर दिया, जो होश उड़ा देने वाला था। वह व्यक्ति म्यांमार का रोहिंग्या मुसलमान था, जो उसके मुताबिक नूंह में 2013 से रह रहा था।
उसने बताया कि वह अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुआ था, जिसमें उसकी मदद भारत से ही की गई थी। उसके अनुसार, नूंह में ऐसे सैकड़ों रोहिंग्या मुसलमान अवैध तरीके से अपना घर बसा कर रह रहे हैं। आमिर ने हमें बताया कि नूंह के ही उसके एक दोस्त ने अपनी आईडी पर उसे सिम और मोबाइल फोन दिलाया था।
अब उसका पूरा परिवार मेवात में बस गया है। आमिर ने बताया कि वह मजदूरी करता है, लेकिन उसने दंगों से जुड़ी जानकारी साझा करने से मना कर दिया। यह जानकारी मिली है कि रोहिंग्याओं की एक बड़ी बस्ती मेवात में पैठ जमा चुकी है। क्या इनका संबंध दंगों से भी है? – अंबुज भारद्वाज
जसवंत गोयल की बात पूरी तरह ठीक लगती है। यदि ऐसा नहीं होता तो उस दिन मेवात के अन्य हिस्सों में हिंदुओं पर हमले नहीं होते। यात्रा पर हमला करने के साथ ही बढ़कली चौक, फिरोजपुर झिरका, नूंह आदि जगहों पर हिंदुओं की दुकानों और मकानों को लूट लिया गया। इसके बाद उनमें आग लगा दी गई। बढ़कली चौक स्थित मेवात की प्रसिद्ध तेल मिल को भी जिहादियों ने नहीं छोड़ा। इस मिल से प्रत्यक्ष रूप से दर्जनों लोगों के घरों का चूल्हा जलता था। अब मिल की जगह राख का ढेर है। मिल के मालिक शिव कुमार आर्य कहते हैं,
‘‘31 जुलाई की दोपहर में ही बढ़कली चौक का माहौल बिगड़ने लगा। मुसलमानों की भीड़ ने सबसे पहले वहां की पुलिस चौकी पर हमला किया। पुलिस वाले जान बचाने के लिए भाग खड़े हुए। हिंदू भी अपनी-अपनी दुकानें बंद कर घर चले गए। इसके बाद दंगाइयों ने चुन-चुन कर हिंदुओं की दुकानों में लूटपाट की और फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया।’’
शिव कुमार आर्य भाजपा के जिला महामंत्री हैं। उनका कहना है कि दंगाइयों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया। बढ़कली चौक पर पेट्रोल पंप के पास किराने की दुकान चलाने वाले मदनलाल सैनी और उनके चचेरे भाई जय सिंह की दुकान को भी जला दिया गया। उस दिन बढ़कली चौक पर जो हुआ, उसके प्रत्यक्षदर्शी हैं मदनलाल। उन्होंने बताया, ‘‘31 जुलाई की दोपहर बढ़कली चौक पर करीब 2,000 लोगों की भीड़ दंगा कर रही थी। वे लोग वहां से गुजरने वाली हर गाड़ी की जांच कर रहे थे।जिस गाड़ी में किसी देवी-देवता का चित्र मिलता तो उसे पलटकर आग लगा देते और गाड़ी में कोई कलावा बांधे मिलता, तो उसे जमकर पीटा जाता। इस नजारे के बाद सभी हिंदू अपनी दुकानें बंद कर खेतों के रास्ते से घर भाग गए। अब वहां किसी भी हिंदू की दुकान नहीं बची है।’’ बढ़कली चौक पर बाईक के पुर्जों की दुकान चलाने वाले सोनू मिस्त्री बहुत दु:खी हैं। वे कहते हैं, ‘‘अब कुछ नहीं बचा। दंगाइयों ने दुकान का पूरा सामान लूट लिया। तीन मोटरसाइकिलों में आग लगा दी। लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। 31 जुलाई की दोपहर से ही परिवार के सभी लोग घर में बंद हैं। बच्चे भयभीत हैं। रात में कोई सो नहीं पाता। हम लोग कहां जाएं और कैसे गुजारा करें?’’ नूंह के एक कारोबारी नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं,
‘‘पूरे मेवात से हिंदुओं को भगाने के लिए मानो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश रची जा रही है। यहां के हिंदुओं को आतंकित करने के लिए रोजाना कुछ न कुछ उपद्रव किया जाता है। छोटी-छोटी बात पर आए दिन हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाता है। लव जिहाद के द्वारा हिंदू लड़कियों को मुस्लिम बनाया जा रहा है।’’ पुन्हाना के सामाजिक कार्यकर्ता और हरियाणा गोसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष भानीराम मंगला कहते हैं, ‘‘हिंदुओं पर हमले की पूरी तैयारी थी। हमलावरों ने अपने घरों की छतों पर पत्थर और अन्य हथियार जमा कर रखे थे।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मेवात के हिंदू वर्षों से प्रताड़ित हैं। इस बार सारी सीमाएं पार हो गई हैं। दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हो तभी यहां हिंदू रह सकते हैं, अन्यथा कश्मीर घाटी की तरह मेवात से भी बचे-खुचे हिंदू पलायन कर जाएंगे।’’
मेवात के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंघला के अनुसार अब तक इस हमले के लिए 41 एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं और 116 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन एक सच यह भी है कि पुलिस पीड़ित हिंदुओं की एफ.आई.आर. दर्ज करने में कोताही कर रही है। बढ़कली के कई हिंदुओं ने बताया, ‘‘पुलिस एफ.आई.आर. दर्ज नहीं कर रही। कहती है कि जांच चल रही है। समय के साथ सब कुछ होगा।’’
‘हानि की भरपाई दंगाइयों से’
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नूंह की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई सरकारी कोष से की जाएगी, जबकि निजी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई उपद्रवियों की पहचान कर उनसे कराई जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने दंगाइयों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग
हिंदुओं पर हमले के लिए सोशल मीडिया का जमकर दुरुपयोग किया गया। जब यात्रा शुरू हुई तभी कुछ मुस्लिम युवा मोटरसाइकिल के साथ उसमें शामिल हो गए। उन लोगों ने यात्रा का वीडियो बनाकर अपने उन साथियों को भेजा, जिन्हें उस वक्त सोशल मीडिया पर सक्रिय रखा गया था। इसके साथ ही जगह-जगह ऐसे लोगों की तैनाती की गई थी, जो सोशल मीडिया में यात्रा को लाइव देख रहे थे और वे लोग उसके बारे में भीड़ को पूरी जानकारी दे रहे थे। इससे कई दिन पहले फेसबुक पर अफवाहें फैलाई गर्इं। पुÞराने वीडियो शेयर कर लोगों को भड़काया गया।
श्मशान भूमि पर कब्जा
मेवात के ग्रामीण क्षेत्रों से हिंदुओं के पलायन के बाद मंदिरों की जमीन और श्मशान भूमि पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है। इस कारण जो भी हिंदू ग्रामीण क्षेत्रों में बचे हैं, उन्हें बड़ी दिक्कत हो रही है। हिन्दुओं को अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार सड़क के किनारे करना पड़ता है।
गोवंश की हत्या
स्थानीय लोगों ने बताया कि पूरे मेवात में सूर्योदय से पहले ही सैकड़ों गोवंश की हत्या हो जाती है। फिर उनके मांस को एक किलो, आधा किलो की थैलियों में बंद करके बेचा जाता है। मांस बेचने के लिए लोग गांव-गांव घूमते हैं। उनकी संख्या दूध बेचने वालों से अधिक होती है। यहां तस्करी से गोवंश लाया जाता है। गो हत्यारों को मेवात के स्थानीय नेताओं का संरक्षण प्राप्त है।
जहां देखो वहां मस्जिदें एवं मदरसे
पूरे मेवात में बड़ी संख्या में अवैध मस्जिदों और मदरसों का निर्माण हुआ है। मुख्य सड़क के किनारे हर मोड़ पर मस्जिदें हैं। 8-10 गांवों के बीच एक बड़ा मदरसा है। कोई भी अपराध करके अपराधी सड़क के किनारे की मस्जिद में छिप जाते हैं। जो अपराधी मस्जिद में छिप जाता है वह पुलिस की पकड़ से बाहर हो जाता है, क्योंकि पुलिस मस्जिद के अंदर तलाशी लेने से बचती है। एकाध बार पुलिस ने ऐसा किया तो पुलिस पर ‘मजहबी किताब के अपमान’ का आरोप लगाकर खूब हंगामा मचाया गया।
तब्लीगी जमात
दरअसल तब्लीगी जमातें मेवात के मुसलमानों में कट्टरवाद घोलने का काम कर रही हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जमात के लोग गांव-गांव घूमते हैं और मुस्लिम युवाओं को जिहाद और लव जिहाद के लिए उकसाते हैं। साथ ही हिंदुओं को मुस्लिम बनाने का काम करते हैं। मेवात के अधिकतर मुस्लिम युवा ट्रक चालक हैं। इस बहाने उन्हें पूरे भारत में जाने का मौका मिलता है। ये युवा आए दिन कहीं न कहीं से हिंदू युवतियों को साथ ले आते हैं। कुछ दिन यौन शोषण करते हैं फिर उन्हें आपस में ही बेच देते हैं। आर्य वेद प्रचार मंडल, मेवात ने ऐसी अनेक युवतियों को बचाया है।
विहिप ने किया देशव्यापी प्रदर्शन
कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि कुछ विघ्न संतोषी सेकुलरों ने आज सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई कि विहिप-बजरंग दल के इन प्रदर्शनों पर रोक लगाई जाए। माननीय न्यायालय ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद विहिप-बजरंग दल के प्रदर्शन तय कार्यक्रम के अनुसार पूरे देश में हुए। इनमें समाज की बड़ी भागीदारी रही।
पुलिस की पिटाई
मेवात में आएदिन पुलिसकर्मियों की पिटाई होती है। 31 जुलाई को भी पुलिस थाने पर हमला किया गया। कई जगह पुलिसकर्मियों को पीटा भी गया। जब भी पुलिस किसी अपराधी, तस्कर, बलात्कारी या हत्यारे की धर-पकड़ के लिए जाती है तो स्थानीय लोग पुलिसकर्मियों को घेर कर पीटते हैं। दिल्ली में भी मेवात के मुस्लिम युवा डकैती, हत्या, छीना-झपटी, बलात्कार आदि घटनाओं में शामिल पाए जाते हैं। दिल्ली में उन्हें ‘मेवाती गिरोह’ के नाम से जाना जाता है।
आतंकवादियों की शरणस्थली
मेवात से अनेक आतंकवादी पकड़े गए हैं। यही नहीं, आतंकवादी हाफिज सईद की मदद से मेवात के उटावड़ गांव में एक मस्जिद बन रही थी, जिसका काम 2018 में जाकर रुक सका। उस समय एनआईए ने इस मस्जिद को लेकर कई खुलासे किए थे।
मेवात में चल रहीं इन गतिविधियों का सीधा असर वहां के हिंदुओं पर पड़ता है। इसलिए राज्य सरकार को मेवात के संदर्भ में बहुत ही सख्ती के साथ काम करने की आवश्यकता है।
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