आज भोर में उस संघर्ष का हमारे लिए अतीव दुखदायक अंत हुआ है। श्री मदनदास जी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संघ की योजना से दिए गए पहले प्रचारक थे। अनेक वर्षों तक परिषद के संगठन मंत्री का दायित्व उन्होंने संभाला।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले द्वारा 24 जुलाई को स्व. मदनदास जी को श्रद्धांजलि देते हुए यह विज्ञप्ति जारी की गई।
श्री मदनदास जी के जाने से हम सबने अपने ज्येष्ठ सहयोगी को खो दिया है। गत अनेक वर्षों से स्वयं की शारीरिक अस्वस्थता से उनका संघर्ष चल रहा था। आज भोर में उस संघर्ष का हमारे लिए अतीव दुखदायक अंत हुआ है। श्री मदनदास जी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संघ की योजना से दिए गए पहले प्रचारक थे। अनेक वर्षों तक परिषद के संगठन मंत्री का दायित्व उन्होंने संभाला।
‘‘मदनदास देवी जी के देहावसान से अत्यंत दु:ख हुआ। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र सेवा को अर्पित कर दिया। उनसे मेरा न सिर्फ घनिष्ठ जुड़ाव रहा, बल्कि हमेशा बहुत कुछ सीखने को मिला। शोक की इस घड़ी में ईश्वर सभी कार्यकर्ताओं और उनके परिवारजनों को संबल प्रदान करें।’’
— नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
‘‘मदनदास जी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का वैचारिक आधार बनाने और कार्यकर्ताओं में संगठन के दर्शन को विकसित करने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया। कार्यकर्ताओं से उनका रिश्ता पारिवारिक था। वे संगठन में कार्यकर्ता के काम की ही नहीं, बल्कि उसके पूरे जीवन की परवाह करते थे। उनकी तीक्ष्ण बुद्धि, प्रेमपूर्ण स्वभाव और आत्मीयता जैसे गुणों के चलते देश में हजारों कार्यकर्ता तैयार हुए। ’’— मिलिंद मराठे, पूर्व अध्यक्ष, अभाविप
स्वर्गीय श्री यशवंत राव केलकर जी के सान्निध्य में उन्होंने संगठन कला की गुणवत्ता को परिपूर्ण बनाया। बाद में 90 के दशक में उनकी योजना संघ के दायित्व में हुई। प्रदीर्घ समय तक उस चुनौती भरे कालखंड को यशस्वी ढंग से निभाने में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही। हम सब उस समय विभिन्न दायित्वों पर उनके सान्निध्य में काम कर रहे थे। उनकी पैनी निरीक्षण शक्ति, उत्तम सूझबूझ, प्रचारक व्यवस्था के अनुशासन का कठोर पालन व सबके साथ घुलने-मिलने वाला संवादी परंतु सजग स्वभाव हमें बहुत कुछ सिखा गया है।
स्वस्थ रहकर वे हमारा नेतृत्व करते हुए हमको आगे बढ़ाते रहें, यह हम सबकी इच्छा थी, परंतु कार्य हेतु किए कठोर परिश्रम ने उनके शरीर को धीरे-धीरे जर्जर बना दिया। मनुष्य प्रयत्नों पर नियति भारी हो गई और आज का दु:खद प्रसंग हमारे सामने हम देख रहे हैं, परंतु सुख-दु:ख की चिंता न करते हुए कर्तव्य मार्ग पर सतत आगे बढ़ने का प्रत्यक्ष उदाहरण भी श्री मदनदास जी के जीवन के रूप में हमारे सामने है। अपनी जीवन तपस्या के कारण उनको उत्तम गति प्राप्त होगी ही, शोक-संतप्त सभी के साथ अपनी संवेदना को जताते हुए मैं श्री परमेश्वर से हम सबके लिए उचित धैर्य की याचना करता हूं तथा श्री मदनदास जी की पवित्र स्मृति में हमारी व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से श्रद्धांजलि अर्पण करता हूं।
लखनऊ में श्रद्धाञ्जलि सभा : ऊर्जा-पुंज थे मदनदास जी
लखनऊ के निराला नगर स्थित माधव भवन सभागार में स्व. मदनदास जी की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा हुई। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री सुरेश जोशी ने कहा कि मदनदास जी का व्यक्तित्व पारदर्शी था। मदनदास जी की विशेषता थी कि जहां जो कहना चाहिए, वह कहते थे। जहां रोकना चाहिए, वहां रोकते थे और जहां प्रतिकार करना चाहिए, वहां प्रतिकार भी करते थे। मदनदास जी में व्यक्तियों को समझने की अद्भुत क्षमता भी थी। कार्यकर्ताओं को पर्याप्त समय देना मदनदास जी की विशेषता थी। वे किसी को उसके दुर्गुणों के आधार पर अलग कर देना ठीक नहीं मानते थे, वे उसका मानसिक विकास करते थे।
‘‘मदनदास जी ने देश के हजारों कार्यकर्ताओं को कर्म की दृष्टि दी, उन्हें जीवन की दिशा दी, उन्हें संस्कार दिए और जीवन को उद्देश्य दिया। सभी युवाओं को हमेशा यह महसूस होता था कि वे उनके वरिष्ठ सहकर्मी हैं। वे हमेशा ऐसे किसी भी कार्यकर्ता के लिए उपलब्ध रहते थे जो उनका मार्गदर्शन चाहता था। हमने उनसे सीखा है कि संगठन के सामने कठिनाइयां आने पर भी संगठन के विचार को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने संगठन विज्ञान का गहन अध्ययन किया था। कार्यकर्ताओं को यात्रा कैसे करनी है, बैठकें कैसे करनी हैं, बातचीत कैसे करनी है, ऐसी कई बातें वे सिखाते थे।’’— जे. पी. नड्डा, अध्यक्ष, भाजपा
देश में हजारों कार्यकर्ता मदनदास जी को अपना मानते थे। यह बड़े मन व अपनेपन के साथ जीवन जीने के कारण ही संभव हुआ। यदि कोई कार्यकर्ता गलत करता या बोलता तो उसे ठीक करते, किंतु लचीलापन नहीं अपनाते थे कि चल जाएगा। फिसलन के बाद हाल पूछने वाले बहुत मिलते हैं, किंतु मदनदास जी फिसलने से पहले बचाने वाले थे।
सभा में राष्ट्रधर्म के निदेशक मनोजकांत ने कहा कि मदनदास जी का जीवन जितना औपचारिक था, उतना अनौपचारिक भी था। वे छोटे-छोटे समूहों में कार्यकर्ताओं से वार्ता करते थे व गीत का अभ्यास कराते थे। मैं ऋषि परंपरा के जिन प्रचारकों को जानता था, उनमें से वे एक थे।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल ने कहा कि मदनदास जी के सान्निध्य से अपार ऊर्जा मिलती थी। वे कार्यकर्ताओं के निरंतर विकास की चिंता करते थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि मदनदास जी संगठन के शिल्पी थे। महामंडलेश्वर यतीन्द्रानंद महाराज ने कहा कि संघ के विविध क्षेत्रों में रहकर जो प्रचारक कार्य करते हैं, उनका जीवन बड़ी कठिनाइयों से बीतता है, लेकिन वे कभी उन्हें व्यक्त नहीं करते हैं, उसमें से एक आदर्श जीवन मदनदास जी का था।
श्रद्धांजलि सभा में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री स्वान्त रंजन, क्षेत्र प्रचारक श्री अनिल, प्रांत प्रचारक श्री कौशल, इतिहास संकलन योजना के सह संगठन मंत्री श्री संजय, उप मुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री श्री स्वतंत्रदेव सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री दिनेश शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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