नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक पत्र को पीआईएल मानते हुए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और डीएफओ को राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों से अतिक्रमण हटाकर फ़ोटो न्यायालय में भेजने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने दिल्ली निवासी गांधी के एक पत्र को जनहित याचिका के रूप में ले लिया। खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजमार्गों समेत राजकीय राजमार्गों के किनारे राजस्व या वन भूमि में अतिक्रमण कर बैठे लोगों को हटाने के निर्देश दिये हैं। खंडपीठ ने प्रदेश के सभी 13 जिलाधिकारियों और उन डीएफओ को जिनके क्षेत्र में ये सड़क आती हैं, उनको अतिशीघ्र अतिक्रमण हटाने को कहा है। न्यायालय ने इन सभी से अतिक्रमण के पहले और हटाए जाने के बाद कि फ़ोटो न्यायालय को दिखाने को भी कहा है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के 2009 का आदेश है जिसमें हर राज्य के उच्च न्यायालय को अतिक्रमण हटाओ अभियान की देखरेख करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस बारे में हर जिले में डीएम की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स भी बनाई गई है। उत्तराखंड सरकार ने पूर्व में ही अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया हुआ है, जिसकी रिपोर्ट भी हाई कोर्ट को भेजी जा रही है।
टिप्पणियाँ