धारचूला। पिछले दिनों केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि हम ऐसा मार्ग बना रहे हैं कि एक दिन में धारचूला से कैलाश पर्वत के दर्शन करके आप लौट आएंगे। उनकी ये योजना कई साल पहले तैयार हो गई थी। जानकारी के मुताबिक व्यास घाटी के रहने वाले रं समुदाय ने बहुत साल पहले ही एक मार्ग खोज लिया था, जो भारत की सीमा से कैलाश के दर्शन करवा रहा था।
यहां तक पहुंचना आसान नहीं था, लेकिन स्थानीय लोगों ने करीब तीन किमी के इस कठिन पैदल मार्ग को तैयार कर लिया, जहां से चोटी पर पहुंचकर तिब्बत-चीन में कैलाश पर्वत के करीब 50 किमी दूर से साफ दर्शन हो रहे हैं। इस मार्ग को फिलहाल आईटीबीपी अपने गश्त के लिए इस्तेमाल कर रही है। कोविड के बाद से चीन ने भारत की कैलाश मानसरोवर यात्रा पर पाबंदी लगाई हुई है। हालांकि नेपाल से ये यात्रा चल रही है, लेकिन वहां से इस यात्रा का खर्च करीब दो लाख रुपए प्रति यात्री आ रहा है।
इधर भारत और उत्तराखंड सरकार ने व्यास घाटी में ॐ पर्वत और आदि कैलाश यात्रा को जारी रखा है। अब कैलाश दर्शन यात्रा को शुरू करने जा रही है। व्यास घाटी की आदि कैलाश यात्रा अब जीपों से हो रही है। नाभीढांग तक जीप जा रही है, जहां से ॐ पर्वत के दर्शन होते हैं। यहां से नौ किमी की चढ़ाई करके लीपूपास होते हुए कैलाश मानसरोवर की पैदल यात्रा समाप्त होती थी, फिर तिब्बत तकलाकोट कस्बा आता है, वहां से वाहनों में शेष सफर तय होता है।
भारत सरकार ने लीपूपास तक सड़क तैयार कर ली है। यहीं से तीन किमी पैदल चढ़ाई करके दाई तरफ शिवभक्त अपने आराध्य देव शिव के निवास कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकेंगे। जो लोग आर्थिक कारणों से तिब्बत जाकर कैलाश के दर्शन नहीं कर पाते उनके लिए यहां से कैलाश दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी कर सकेंगे।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड से प्रभु शिव के कैलाश दर्शन का सौभाग्य देश-विदेश के शिव भक्तों को मिलने जा रहा है, ये हमारा सौभाग्य है कि पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस पुनीत कार्य को पूरा करवाने में मदद की। उन्होंने कहा कि कैलाश दर्शन से व्यास घाटी में तीर्थाटन के नए मार्ग खुल जाएंगे।
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