ऋषिकेश : जी 20 की अध्यक्षता के रूप में भारत वैश्विक स्तर की विभिन्न नीतियां तैयार कर रहा है। इसी श्रृंखला में भौगोलिक तथा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भारतीय हिमालय क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं को लेकर जी 20 कार्यक्रमों के तहत हिमालय के सतत् विकास के लिए हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की अगुवानी में गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान रिसर्च एवं इन्फोर्मेशन सिस्टम (आरआईएस), कलिंगा इंस्टीट्यूटऑफ इन्डो-पैस्फिक स्टडीज और भारतीय हिमालय केन्द्रीय विश्वविद्यालय संघ (आईएचसीयूसी) तथा देश के कई अन्य शिक्षण संस्थानों के कुल 30 विद्वानों के संयुक्त प्रयास से भारतीय हिमालयी क्षेत्र के प्रमुख आठ विषयों (Climate Change and Preparing a Climate Resilient Society in The Himalaya, Himalaya: Treasure of Unique Bioresources, Changing Land Use and Land Cover in The Himalaya, Disaster Preparedness and Mitigation in the Himalaya, Preserving Culture and Heritage of the Himalaya, Women and Energy Insecurities: Creating Environment for Sustainable Economic Opportunities, Solid Waste Management in the Indian Himalayan Region) पर गहन शोध एवं अध्ययन के पश्चात एक सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण नीति प्रस्ताव तैयार किया गया।
इस नीति प्रस्ताव का विमोचन इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में बुधवार को किया गया, इश दौरान 30 से अधिक विद्वान सभागार में तथा कुछ विद्वान ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे थे। इस अवसर पर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए जी 20 कार्यक्रमों के उद्देश्यों को केन्द्र में रखते हुए कहा कि हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास और उसकी चुनौतियों के समाधान हेतु वैश्विक स्तर पर मिलकर काम करने की आवश्यकता को दर्शाते हुए शैक्षणिक संस्थानों को एकजुट होने का आग्रह किया ।
वहीं गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने नीति प्रस्ताव की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसी श्रंखला में सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश खरे, असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरएम पन्त, नागालैंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जगदीश कुमार पटनायक, नार्थ इस्टर्न हिल युनिवेर्सिटी के कुलपति प्रो. प्रभाशंकर शुक्ला ने भी इस नीति प्रस्ताव की महत्ता तथा इसके क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में डॉ. शेसाद्री चारी, (आर. आइ. एस. के मेंबर गवेर्निंग काउन्सिल) ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए तथा भविष्य की कार्य योजनाओं पर भी चर्चा की। इसी श्रंखला में नीति आयोग के माननीय सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने भी अपना सन्देश प्रस्तुत किया| नीति प्रस्ताव की प्रतियां नीति आयोग, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय में अग्रिम क्रियान्वयन हेतु प्रेषित की गयी|
कार्यक्रम की अध्यक्षता आर. आइ. एस. के महानिदेशक प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने तथा संचालन प्रो. आर. सी. सुन्द्रियाल, निदेशक आइ. क्यू. ए. सी. , हे. न. ब. ग. वि. वि. ने किया, तथा कार्यक्रम के अंत में प्रो. चिन्तामणि महापात्रा (मानद निदेशक, कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडो-पैसिफिक स्टडीज, नई दिल्ली) ने सभी महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को सारगर्भित करते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
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