भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले दिनों हुई अमेरिका यात्रा ने जहां भारत को एक वैश्विक ताकत के रूप में स्थापित किया है वहीं इस क्षेत्र में खुद को बड़ी ताकत मानने वाले चीन की बेचैनी बढ़ गई है। इस यात्रा में भारत और अमेरिका के बीच अनेक करार हुई हैं। इनमें लड़ाकू जहाजों के लिए भारत में जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन का करार है तो सशस्त्र ड्रोन भी भारत को मिलने वाले हैं। चीन की इससे नींद उड़ना स्वाभाविक ही माना जा रहा था। लेकिन कल बीजिंग ने जो बयान जारी किया है उससे इस बात की पुष्टि हो जाती है।
चीन ने मोदी की यात्रा के दौरान किए गए करारों, विशेषकर रक्षा क्षेत्र से जुड़े करारों के संदर्भ में जारी अपने बयान में कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच जो संधियां हुई हैं उनसे क्षेत्र की शांति को आंच नहीं आनी चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने अपने बयान में कहा है कि दोनों देशों के बीच जो सैन्य सहयोग की संधि हुई है उससे यहां इस क्षेत्र की स्थिरता को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। उसका कहना है कि दो के बीच रक्षा क्षेत्र के किसी करार से किसी तीसरे के हितों को नुकसान न पहुंचे, इसका ख्याल रखना होगा।
इस बीच जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस ने कहा है कि उसने भारतीय वायुसेना के हल्के जंगी विमान (एलसीए)-एमके-दो ‘तेजस’ के लिए मिलकर लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ समझौता किया है। इसके अलावा भारत ने भी घोषणा की है कि वह जनरल एटॉमिक्स से हथियारबंद रीपर ड्रोन खरीदने जा रहा है।
मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना था कि उन्हें उम्मीद है दोनों देश क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखते हुए, इस क्षेत्र के देशों के बीच आपस में भरोसा को बनाए रखने वाले काम करेंगे।
इस बीच जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस ने कहा है कि उसने भारतीय वायुसेना के हल्के जंगी विमान (एलसीए)-एमके-दो ‘तेजस’ के लिए मिलकर लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ समझौता किया है। इसके अलावा भारत ने भी घोषणा की है कि वह जनरल एटॉमिक्स से हथियारबंद रीपर ड्रोन खरीदने जा रहा है।
यह ड्रोन भारत की सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए बहुत महत्वपूर्ण उपकरण होगा। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीन से सटी सीमा और दूसरी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत करेगी। यह करार करीब 29 हजार करोड़ रुपये का है। इसके तहत भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलने की बात हुई है।
विस्तारवादी चीन भारत को तिरछी नजर से देखता आ रहा है। सीमाओं पर उसकी शरारतें बढ़ गई हैं। अमेरिका से भारत को अब अत्याधुनिक शस्त्रास्त्र मिलने के करार हुए हैं तो बेशक चीन को ये चिंता होगी कि भारत के सामने उसकी शरारतों को मुंहतोड़ जवाब देने की ताकत और बढ़ जाएगी।
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