स्वस्थ जीवन शैली के लिए दैनिक दिनचर्या में कुछ बदलाव लाना तथा उसका अनुसरण करना बहुत जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली ही सफलता की पहली सीढ़ी है। इसके लिए हमें रात को जल्दी सोने तथा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत डालनी होगी।
हमारा रहन-सहन, हमारा खान-पान, हमारी सोच आदि हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। आजकल प्रौद्योगिकी जीवन का भाग बन गई है। कम्प्यूटर, टीवी, इंटरनेट जैसे बहुत से साधन हैं, जिनके कारण हम नई चीजों को जानते हैं तथा उनका अनुसरण करने की सोचते हैं। परंतु क्या ये चीजें आपके शरीर के लिए ठीक हैं? निश्चित ही उनमें से बहुत-सी बातें हमारे लिए सही तथा अच्छी हों, परंतु जब बात हमारे स्वास्थ्य की आती है तो हमें सोच-समझकर ही चीजों का अनुसरण करना चाहिए।
स्वस्थ जीवन शैली के लिए दैनिक दिनचर्या में कुछ बदलाव लाना तथा उसका अनुसरण करना बहुत जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली ही सफलता की पहली सीढ़ी है। इसके लिए हमें रात को जल्दी सोने तथा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत डालनी होगी। हमें उठने के बाद ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए। परंतु सबसे पहली चीज जो आपके पेट में जाए, वह कैफीन (चाय या कॉफी) भी नहीं होनी चाहिए। इस समय आप अपनी सेहत के हिसाब से रात को भिगोये मेवों या फलों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पोषक तत्वों की जरूरत के हिसाब से हमारे भोज्य पदार्थों को पांच भागों में बांटा गया है जिसे हम अपने उपयोग के हिसाब से खाद्य पिरामिड में रख सकते हैं
ध्यान रखें, नाश्ता, सुबह का खाना, रात का खाना हमारे बड़े खाने होते हैं। इस समय खाली पेट न रहें। हम भारतीयों के खाने की नींव अनाज ही है। इसलिए हमारे खाने में अनाज का होना जरूरी है, चाहे वह मोटा अनाज ही क्यों ना हो। बहुत लोग विभिन्न कारणों से सुबह का नाश्ता नहीं करते। वे सोचते हैं कि वजन कम रहेगा, पाचन ठीक होगा, यदि हम सिर्फ फलों का सेवन करेंगे तो ज्यादा स्वस्थ रहेंगे। परंतु वे यह भूल जाते हैं कि सुबह का नाश्ता हमारा दिन का पहला खाना है, जो ज्यादा पौष्टिक तथा आपकी सेहत के हिसाब से होना चाहिए।
हमारे दिन का दूसरा खाना दोपहर का भोजन है जो नाश्ते से थोड़ा हल्का, परंतु रेशों तथा प्रोटीन से भरपूर होना चाहिए। सलाद को अपने खाने में रोज शामिल करना जरूरी है। अगर आप शाकाहारी हैं तो दालों तथा अंकुरित दालों को अपने खाने में शामिल करना न भूलें। ये आपके प्रोटीन का मुख्य स्रोत हो सकती हैं।
इस के विपरीत हमारा रात का भोजन सबसे हल्का, कम, परंतु पौष्टिक खाने से भरपूर होना चाहिए। आप खिचड़ी, दलिया, रोटी-सब्जी का सेवन कर सकते हैं। ध्यान रहे, दो खानों के बीच में आप हल्की चीजें व तरल पदार्थ जरूर लें। मखाने, भुने चने, नींबू-पानी, बेल शरबत, मट्ठा, फल, सलाद आदि कई सारी चीजें हैं जो आपको चुस्त व उत्साही बनाये रख सकती हैं।
पोषक तत्वों की जरूरत के हिसाब से हमारे भोज्य पदार्थों को पांच भागों में बांटा गया है जिसे हम हमारे उपयोग के हिसाब से खाद्य पिरामिड में रख सकते हैं। इस पिरामिड में सबसे नीचे का भाग अनाज तथा दालों का है, जिसे हमें अच्छी मात्रा में लेना चाहिए। यह भाग ऊर्जा तथा रेशे का मुख्य स्रोत होता है। इसके बाद बीमारियों से लड़ने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा अच्छे पाचन के लिए आवश्यक रेशों, खनिज, विटामिन से भरपूर सब्जियों तथा फलों की जरूरत होती है।
हमें रात को जल्दी सोने तथा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत डालनी होगी। हमें उठने के बाद ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए। परंतु सबसे पहली चीज जो आपके पेट में जाए, वह कैफीन (चाय या कॉफी) भी नहीं होनी चाहिए। इस समय आप अपनी सेहत के हिसाब से रात को भिगोये मेवों या फलों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
तीसरे स्थान पर दूध तथा इससे बने पदार्थ आते हैं जो प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। बाद में तेल, वसा तथा मेवों की बारी है। इन्हें हमें बहुत कम मात्रा में लेना चाहिए। सबसे ऊपर मीठा, चीनी, गुड़ से बने पदार्थ आते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इनकी जरूरत नहीं होती। परंतु यदि आप इनका सेवन कर ही रहे हैं तो ये आपके खाने में बहुत ही कम होने चाहिए।
इस तरह हम अपनी दिनचर्या में कुछ चीजों का सेवन करके, कुछ चीजों को कम कर तथा अपने खाने के समय को नियमित कर स्वस्थ जीवन की तरफ जा सकते हैं।
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