24 घंटे में से कुछ समय योग के लिए अवश्य निकालें। आप कह सकते हैं कि आफिस जल्दी जाना होता है, इसलिए योग के लिए वक्त नहीं मिलता। कोई बात नहीं, आप अपने दफ्तर में या प्रतिष्ठान, दुकान में बैठे-बैठे भी योग कर सकते हैं।
आप चाहे कितना ही व्यस्त रहते हों, लेकिन 24 घंटे में से कुछ समय योग के लिए अवश्य निकालें। आप कह सकते हैं कि आफिस जल्दी जाना होता है, इसलिए योग के लिए वक्त नहीं मिलता। कोई बात नहीं, आप अपने दफ्तर में या प्रतिष्ठान, दुकान में बैठे-बैठे भी योग कर सकते हैं। इसमें अपने साथियों को जोड़ लें तो और भी अच्छा होगा। इससे आप की उत्पादकता में भी वृद्धि होगी। कई कार्यालयों में इसकी शुरुआत हो चुकी है।
विगत वर्षों में कॉर्पोरेट योग प्रशिक्षकों की मांग बढ़ी है। कमर दर्द हो, सर्वाइकल हो, मोटापा, घुटनों का दर्द, सिरदर्द, आंखों की समस्या, पेट की समस्या, गुस्सा आना, रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, श्वास की समस्या, थकान, कमजोरी या अनिद्रा की समस्या, आफिस जाने वाला हर व्यक्ति इनमें से किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है। ऐसे लोग मंत्रोच्चारण के साथ प्रार्थना से कार्य का शुभारंभ करें। इसके बाद सभी जोड़ों के लिए सूक्ष्म योगाभ्यास।
आंखों के लिए सहज योग। फिर ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, अर्ध चंद्रासन, पर्वत कोणासन और कटिचक्रासन पांच-पांच बार कर सकते हैं। एक से दूसरे आसन के बीच में धीरे और लंबी गहरी श्वास पांच बार लें। आप अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे भी योग कर सकते हैं। जैसै- भ्रामरी प्राणायाम 5 से 20 बार, मूर्च्छा प्राणायाम 5 से 10 बार, भस्त्रिका प्राणायाम 10-10 बार, तीन से पांच मिनट तक अनुलोम-विलोम, ॐ नाद 5 से 11 बार, आनापान ध्यान 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
हर अभ्यास की कितनी संख्या हो, कितना समय देना है, इसका चुनाव अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता के अनुसार करें। प्राणायाम और ध्यान में मेरुदंड सहजतापूर्वक सीधा रहे। चेहरे पर दिव्य मुस्कान हो। योगाभ्यास और भोजन के बीच का अंतर 3-4 घंटे का हो। एक घंटे पहले तक जलाहार या रसाहार लिया जा सकता है। अभ्यास के आधे घंटे बाद आप हल्के सुपाच्य आहार भी ले सकते हैं।
बहुत कठिन आसन या अभ्यास के बजाय सरल और सहज अभ्यास का चुनाव करें। इससे आप लम्बे समय तक योगाभ्यास से जुड़े रहेंगे और हर प्रकार से लाभान्वित होंगे। कहा भी गया है कि पहला सुख निरोगी काया। स्वास्थ्य ठीक न रहे तो जीवन नीरस हो जाता है, जीवन से आनंद चला जाता है। इसीलिए योग को एक विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि संकल्प के रूप में अपनाने की आवश्यकता है।
योगाभ्यास हेतु हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि आसपास का वातावरण स्वच्छ हो। आफिस में अभ्यास के लिए अलग से ढीले कपड़े रख लें, अन्यथा जूते निकालकर और बेल्ट ढीली कर भी सहज अभ्यास से शुरुआत कर सकते हैं। पूरा ध्यान वर्तमान में हो, क्योंकि किसी भी अभ्यास के दौरान ध्यान भटकने से दुर्घटना होने की संभावना होती है। पुस्तक, टेलीविजन या यूट्यूब देखकर कदापि योगाभ्यास न करें। किसी योग शिक्षक से सीखने के बाद ही स्वयं योगाभ्यास करें।
ऐसा न करने से आप सही योगाभ्यास नहीं कर सकते और आप पर इसका उल्टा असर होगा। कार्यालय में काम करते समय अपने शरीर को भी सक्रिय रखें। थोड़े-थोड़े समय बाद टहलें, पर्याप्त जल ग्रहण करें। कम्प्यूटर पर लगातार काम करने से आंखें थक जाती हैं और मन भी उचट जाता है। इसके लिए हर आधे घंटे में एक मिनट के लिए आंखें बंद कर लें और मन को कुछ समय के लिए विश्राम दें।
बहुत कठिन आसन या अभ्यास के बजाय सरल और सहज अभ्यास का चुनाव करें। इससे आप लम्बे समय तक योगाभ्यास से जुड़े रहेंगे और हर प्रकार से लाभान्वित होंगे। कहा भी गया है कि पहला सुख निरोगी काया। स्वास्थ्य ठीक न रहे तो जीवन नीरस हो जाता है, जीवन से आनंद चला जाता है। इसीलिए योग को एक विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि संकल्प के रूप में अपनाने की आवश्यकता है।
(लेखक योग प्रशिक्षक हैं)
टिप्पणियाँ