भोपाल। मध्य प्रदेश में बालकों से संबंधित स्कूल, बालगृह एवं छात्रावासों की शिकायतें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं राज्य बाल संरक्षण आयोग को मिल रही हैं। ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने अपनी एक माह से अधिक की जांच के बाद सागर के सेंट फ्रांसिस सेवाधाम आश्रम के दो पादरियों के खिलाफ एफआरआर दर्ज की है।
राष्ट्रीय एवं राज्य बाल संरक्षण आयोग की संयुक्त टीम की जांच के दौरान ये दोनों शासकीय कार्य में बाधा डाल रहे थे और स्वयं को इन्होंने पादरी होना बताया था। जब आयोग पिछले माह निरीक्षण के लिए यहां पहुंचा तो ये दोनों सेंट फ्रांसिस सेवा धाम आश्रम के उस भाग में पाए गए थे, जो महिला निवास का परिसर है। वे उस समय आयोग के सदस्यों के इस प्रश्न का भी उत्तर नहीं दे पाए थे कि यहां कर क्या कर रहे हैं।
दरअसल, इससे जुड़े ताजा मामले में सेंट फ्रांसिस सेवा धाम आश्रम (श्याम पुरा, थाना केन्ट जिला सागर) में बाल कल्याण समिति सागर की सदस्य क्लीं राय की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत में बताया गया कि आठ मई को यहां के निरीक्षण के दौरान उनके साथ अभद्रता की गई। शासकीय कार्य में बाधा डाली गई । एससीपीसीआर की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा के साथ दुर्व्यवहार किया गया था। जबकि एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो भी इस जांच में मौजूद थे।
इस मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग (एससीपीसीआर) की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने भोपाल पहुंचते ही अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर जिला कलेक्टर सागर को पत्र भी लिखा था। वहीं एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया के जरिए कहा भी कि मध्यप्रदेश के सागर ज़िले में सेंट फ़्रांसिस मिशनरी के निरीक्षण में अनेक गड़बड़ियां मिलीं, स्वयं को पादरी बताने वाले एक व्यक्ति ने राज्य आयोग की एक महिला सदस्य से अभद्रता की, अनाथ बच्चों के आश्रम के नाम सरकार से मिली सैंकड़ों एकड़ शासकीय भूमि पर चर्च बने मिले व खेती भी की जा रही है। शराब की बोतलें भी पाई गईं। बच्चों के नाम पर विदेशों से फ़ंडिंग ली जा रही थी, बच्चों को वर्षों से उनके परिवार से नहीं मिलवाया गया, न ही वापस घर भेजा गया। एसआईआर व आईसीपी नहीं मिले। अपंजीकृत हॉस्टल भी चल रहे हैं। एक बच्ची का नाम बदले जाने के भी संकेत मिले हैं, जिसमें कन्वर्जन की आशंका है।
इस पूरे मामले में पुलिस ने पिछले एक माह से अधिक समय लेकर गंभीर जांच की और पाया कि वास्तव में यहां जो अपने आपको फादर बता रहे हैं, ऐसे जोसी एरियाटपडयाटी एवं ब्रहम्कुरुणम दोनों ने ही बाल आयोग सदस्यों और बाल कल्याण समिति के सदस्यों के साथ अभद्रता की थी। साथ ही उन्हें शासकीय कार्य करने से भी रोकने का प्रयास किया था। इन दोनों पर जांच के दौरान प्रथमदृष्टया अपराध किए जाने के मामले सही पाए जाने पर अब इन दोनों के खिलाफ धारा 353, 186, 34, भादवि के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। सेंट फ्रांसिस सेवा धाम आश्रम पर यह मामला केंट थाना पुलिस द्वारा दर्ज किया गया है ।
इस संबंध में राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा का कहना है कि जब मैं बालगृह बालिका का निरीक्षण कर रही थी, तभी दो लोग वहां आए जो स्वयं को फॉदर बता रहे थे, बालगृह बालिका में मौजूद सिस्टर भी उनका साथ दे रहीं थीं और वे मुझसे दुर्व्यवहार कर रहे थे। मैंने उन्हें ऐसा करने के लिए मना भी किया, किंतु वे नहीं माने। गलत तरह से बातचीत करने के साथ वे वीडियो भी बना रहे थे, जिसके लिए मैंने बार-बार मना किया। इसके बाद भी वे नहीं रुके। वे अंदर से बाहर आए थे, इस पर मैंने आपत्ति जताई थी। क्योंकि ये दोनों ही महिलाओं के रहने के स्थान पर थे।
गौरतलब है कि आठ मई को जब आयोग की संयुक्त टीम सेंट फ्रांसिस सेवा धाम आश्रम सागर में जांच करने पहुंची तो उसे वहां बड़ी संख्या में मत प्रचार की सामग्री मिलने के साथ सेवा के नाम पर विदेश से डॉलर में उगाही करने, ईसाई कन्वर्जन में उपयोग करनेवाली सामग्री, बच्चों को कई वर्षों से अपने परिजन से नहीं मिलने देने जैसी अनेक खामियां मिली थीं। वहीं, आश्रम के एक कमरे से 10 शराब की बोतलें भी मिली हैं। यहां संचालित हो रहे आधा दर्जन से अधिक संस्थान नियम विरुद्ध पाए गए। नियमानुसार बालिका और बालक छात्रावास अलग-अलग संचालित होना चाहिए, लेकिन यहां ऐसा नहीं मिला। बालक छात्रावास पंजीयन अवधि पूर्ण कर चुका है।
इसके अलावा बालिका छात्रावास का पंजीयन ही नहीं मिला। सेवाधाम में दो हास्टल का भी संचालन हो रहा था। यह किस विभाग के तहत चल रहे हैं, इसकी जानकारी नहीं मिली। जांच में पाया गया कि सेवाधाम के संचालकों ने शिक्षा विभाग को गलत जानकारी दी है। शिक्षा विभाग को बताया है कि यहां स्कूल भी छात्रावास के साथ चल रहा है, जबकि स्कूल का कुछ अता-पता नहीं है। राज्य बाल अधिकार आयोग के सदस्य ने आश्रम से एक बच्चा वर्ष 2019 में गायब हुआ था, उसकी जानकारी लगाई, जिसके बारे में अब तक कुछ भी ज्ञात नहीं हो सका है ।
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दो लोगों को जेल भेज दिया है। कार्रवाई के दौरान मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से टीम में ओंकार सिंह एवं मेघा पवार भी साथ रहे थे। वहीं एससीपीसीआर के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि कई जिलों के बच्चे यहां रह रहे हैं, जबकि नियमानुसार यदि उनके यहां बाल एवं बालिका गृह हैं तो उन्हें उनके जिले में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां आयोग को बाल श्रम करवाए जाने का अंदेशा हुआ है, जिसकी आगे जांच की जा रही है।
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