चीन दुनिया के अनेक देशों के महत्वपूर्ण संस्थानों और प्रतिष्ठानों पर साइबर हमले कर रहा है। इसकी एक तथ्यपरक रिपोर्ट सामने आई है और इसने विश्व के सभी देशों को हैरत में डाल दिया है। चीन के हैकर अमेरिका सहित कई अन्य देशों में साइबर हमले करवा रहा है, इसकी तो जानकारी समय-समय पर मिलती रही है, लेकिन अब एक अमेरिकी संस्था की एक विस्तृत रिपोर्ट ने खलबली मचा दी है।
चीनी हैकर विश्व में डाटा चुराने, हैकिंग करने और साइबर धोखाधड़ी में बहुत माहिर हैं और इसके सबूत भी मिलते रहे हैं। इस हैकिंग के जरिए न सिर्फ फर्जीवाड़ा बढ़ा है, बल्कि लोगों के व्यक्तिगत ब्योरे तक साझा किए जाने से आम लोग भी कई बार हैरान रह जाते हैं कि आखिर बिना उनकी इजाजत के ऐसा हो कैसे रहा है। अब बहुत हद साफ हो गया है कि इसके पीछे चीनी हैकरों की एक पूरी फौज ऐसी हरकतों में जुटी है। अमेरिका से आई इस रिपोर्ट ने साफ बताया है कि दुनिया में जो साइबर हमले देखने में आ रहे हैं उनमें से अधिकांश के पीछे चीन ही है।
रिपोर्ट के अनुसार, अनके दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के विदेश मंत्रालयों, हांगकांग और ताइवान की दूसरी सरकारी संस्थाओं, सेवाओं, कारोबार के दफ्तरों के अलावा कुछ शिक्षा संस्थानों को भी चीनी हैकरों ने निशान बनाया है। बाराकुडा नेटवर्क ने तो गत 6 जून को यह पुष्टि भी की थी कि संस्थान के ईमेल सुरक्षा तंत्र को गत अक्तूबर में चीनी हैकरों ने हैक किया था। मैंडिएंट की रिपोर्ट बताती है कि ईमेल की हैकिंग उन मामलों के संबंध में की गई थी जो विशेषरूप से एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे हैं।
दरअसल ये रिपोर्ट पेश की है अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी ‘मैंडिएंट’ ने। इसकी रिपोर्ट में ताजा साइबर हमले के शिकार के तौर पर बाराकुडा नेटवर्क की ईमेल को बताया गया है। इसके अलावा रिपोर्ट के अनुसार, अनके दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के विदेश मंत्रालयों, हांगकांग और ताइवान की दूसरी सरकारी संस्थाओं, सेवाओं, कारोबार के दफ्तरों के अलावा कुछ शिक्षा संस्थानों को भी चीनी हैकरों ने निशान बनाया है। बाराकुडा नेटवर्क ने तो गत 6 जून को यह पुष्टि भी की थी कि संस्थान के ईमेल सुरक्षा तंत्र को गत अक्तूबर में चीनी हैकरों ने हैक किया था। मैंडिएंट की रिपोर्ट बताती है कि ईमेल की हैकिंग उन मामलों के संबंध में की गई थी जो विशेषरूप से एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे हैं।
अपनी आदत और हेकड़ी के अनुसार ही चीन अमेरिका से आई इस रिपोर्ट से गुस्से में है। उसने बेशक, रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज किया है। दिलचस्प बात है कि अगले हफ्ते अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन चीन में होंगे। अब इस मौके पर साइबर सुरक्षा को लेकर पैदा हुआ तनाव इस दौरे पर प्रभाव तो डालेगा ही। क्योंकि जाने वाले हैं, लेकिन उनके दौरे से पहले ही दोनों देशों में साइबर वार छिड़ गया है। अमेरिका ने साफ कहा है कि चीन के हैकर डाटा उड़ाते हैं, साइबर हमले कर रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि यह और कुछ नहीं, चीन के साइबर उद्योगों को निशाना बनाए जाने का एक गहरा षड्यंत्र है।
उल्लेखनीय है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी मैंडिएंट की इस रिपोर्ट को वास्तविकता से परे ‘इम्प्रोफेशनल’ बताते हुए इसे नकार दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया है कि हैकिंग का काम अमेरिका करता है, लेकिन साइबर सुरक्षा उद्योग इसको कभी सामने नहीं आने देता। अमेरिका की यह रिपोर्ट तो यहां तक कहती है कि इस हैकिंग में शामिल लोग ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के समर्थन प्राप्त जासूस हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का कहना है कि अमेरिका की साइबर सुरक्षा एजेंसियां दूसरे देशों द्वारा के कथित साइबर हमलों को लेकर तो रिपोर्ट बनाती हैं, लेकिन खुद उनका देश क्या कर रहा है उसकी कोई रिपोर्ट सामने नहीं रखतीं।
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