ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के शवों की पहचान करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बिहार में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें फर्जी तरीके से मुआवजा डकारने के लिए दूसरे के शवों को भी लोग अपना बताने में नहीं हिचक रहे हैं। इस भीषण हादसे में बिहार के अबतक 39 लोगों की मौत की पुष्टि आपदा प्रबंधन विभाग ने की है।
ट्रेन हादसे के बाद मुआवजे के लोभ में लोग गैरों के शव को फर्जी दस्तावेज से हासिल करने में लगे हुए हैं। ट्रेन हादसे में लापता अखिलेश राय के बहनोई सोनू राय ने कलिंगा अस्पताल से फोन पर कहा कि जब मामला प्रशासन की पकड़ में आया तो शव देने में जांच-पड़ताल का दायरा बढ़ा दिया गया है। एक स्थानीय महिला ने शव को देखने के बाद फोटो खींची और फर्जी आधार कार्ड तैयार कराकर शव को अपना बताकर रोते- बिलखते अस्पताल पहुंची लेकिन शव देने से पहले भंडा फूट गया और पुलिस ने महिला को हिरासत में ले लिया।
मुजफ्फरपुर जिले के ही सकरा प्रखंड अन्तर्गत कटेसर पंचायत के रामनगरा गांव के बृजनंदन राय का पुत्र मंजय राय भी लापता है। जिस शव की पहचान भाई संजय राय ने मंजय के शव के रूप में की, उसपर मधुबनी के लोगों ने दावा कर दिया है। परिजन सभी साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद शव को मधुबनी लेकर चले गए। लापता मंजय के भाई और पिता मंगलवार को ओडिशा से वापस लौटकर घर आ गए हैं।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले अखिलेश राय की इस हादसे में मौत हो गई थी। उसके पिता ने फोटो से जिस शव की पहचान की उस पर अब तक बिहार के अलग-अलग जिलों के तीन लोग अपनी संतान होने का दावा कर चुके हैं। ऐसे में ओडिशा के स्थानीय प्रशासन ने किसी भी परिवार को शव देने से इनकार कर दिया है। अब डीएनए टेस्ट से पता लगाया जाएगा कि शव किसका है।
उल्लेखनीय है कि इस रेल दुर्घटना में बिहार में 39 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि 45 घायल हैं। 21 लोग अभी भी है लापता हैं। मृतकों में 7 मधुबनी के, 5 पूर्वी चंपारण के, मुजफ्फरपुर के 3, नवादा-पश्चिम चंपारण के दो-दो शामिल हैं। घायलों में सबसे ज्यादा 22 मुजफ्फरपुर जिले के वासी हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
टिप्पणियाँ