राष्ट्रीय क्वान्टम मिशन शुरू किया है जिसके तहत देश में क्वान्टम प्रौद्योगिकी के शोध और विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। छह हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया यह मिशन आठ साल चलेगा
भारत ने पिछले दिनों राष्ट्रीय क्वान्टम मिशन शुरू किया है जिसके तहत देश में क्वान्टम प्रौद्योगिकी के शोध और विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। छह हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया यह मिशन आठ साल चलेगा। क्वान्टम कंप्यूटर गणनाओं के लिए क्वान्टम यांत्रिकी के सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं जो भौतिक शास्त्र की एक शाखा है। पारंपरिक कंप्यूटर की गणनाएं बिट्स (0 तथा 1) पर आधारित हैं जिनकी सिर्फ दो स्थितियां (0 तथा 1) हो सकती हैं।
जबकि क्वान्टम कंप्यूटर क्यूबिट्स का प्रयोग करते हैं जिनकी तीन स्थितियां (0,1 तथा दोनों एक साथ) होती हैं। कार्यप्रणालियों के एकदम भिन्न होने के कारण क्वान्टम कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटरों की तुलना में हजारों गुना अधिक तेजी से गणना करने में सक्षम हैं। जो कार्य करने में सामान्य कंप्यूटर हजारों वर्ष लगा देगा, उन्हें क्वान्टम कंप्यूटर कुछ मिनटों में कर सकता है। समझ लीजिए कि ये सुपर कंप्यूटरों से भी हजारों गुना ज्यादा शक्तिशाली हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े विविध क्षेत्रों में जिस तरह सक्रिय और दूरदर्शितापूर्ण पहलें कर रही है, उन्हीं का एक उदाहरण क्वान्टम मिशन भी है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की इस परियोजना के साथ ही भारत उन सात देशों में शामिल हो गया है जहां इस तरह के मिशन चलाए जा रहे हैं। शेष देश हैं- अमेरिका, आस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्रांस, कनाडा और चीन।
हमारा क्वान्टम मिशन न सिर्फ देश में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ दर्जनों दूसरे क्षेत्रों का कायाकल्प करने की क्षमता रखता है बल्कि इस क्षेत्र में हमें विश्व का सेवा प्रदाता भी बना सकता है। वर्तमान दौर में सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वान्टम कंप्यूटिंग अथाह व्यावसायिक अवसर पैदा करने की क्षमता रखते हैं। साथ ही वे हमें अर्थव्यवस्था, विश्व राजनीति और सैन्य शक्ति के मामले में भी अधिक मजबूत, आत्मनिर्भर और आधुनिक शक्ति बनाने में हाथ बंटा सकते हैं।
राष्ट्रीय क्वान्टम मिशन के चार उद्देश्य हैं। पहला उद्देश्य है, भारत में क्वान्टम शोध और विकास पर केंद्रित व्यापक ढांचा तैयार करना। ऐसा ढांचा जिसमें जोरशोर से काम चल रहा हो और खूब नवाचार हो रहा हो। दूसरा उद्देश्य क्वान्टम-प्रशिक्षित प्रतिभाओं का राष्ट्रव्यापी समूह (पूल) तैयार करना है।
यह पूल भारत की जरूरतें तो पूरी करेगा ही, दुनियाभर में भी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे दर्जे को मजबूत बनाए रखने में मदद करेगा। तीसरा उद्देश्य है, ऐसी क्वान्टम प्रौद्योगिकी का विकास जिसे स्वास्थ्य, ऊर्जा और सुरक्षा जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के लिए प्रयुक्त किया जा सके। मिशन का चौथा उद्देश्य है, भारत को क्वान्टम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना।
कागजों पर यह सब बहुत आसान लगता है किंतु बात उतनी आसान है नहीं। क्वान्टम कंप्यूटिंग अब तक चंद प्रयोगात्मक सफलताओं तक ही सीमित है और इस पर बहुत शोध की आवश्यकता है। अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां बरसों से इस पर शोध कर रही हैं और अब जाकर इस स्थिति में पहुंची हैं कि अधिकारपूर्वक क्वान्टम कंप्यूटिंग के इक्का-दुक्का अनुप्रयोगों का प्रदर्शन कर सकें।
गूगल, आईबीएम, माइक्रोसॉफ़्ट, अमेजॉन इसमें अग्रणी हैं जबकि इन्टेल, हनीवेल, डी-वेव सिस्टम्स, रिगेटी कंप्यूटिंग, आयनक्यू और साइक्वान्टम जैसी कंपनियों ने भी महत्वपूर्ण काम किया है। हमारे यहां निजी और सरकारी स्तर पर अब तक कोई बड़ा शोध और विकास नहीं हुआ है। अब हमें उस पर जुटना होगा और मिशन का आगमन इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और
सुगम्यता) के पद पर कार्यरत हैं।
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