मोदी सरकार की 9 वर्ष की उपलब्धियों का विवरण न तो कुछ पृष्ठों में दिया जा सकता है और न ही कुछ शब्दों में। इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है कि जिस प्रकार विश्व पटल पर भारत का सम्मान बढ़ा है, उसी प्रकार हर भारतीय का जीवन बेहतर हुआ है। फिर चाहे वह आर्थिक प्रगति हो, देश की प्रतिरक्षा हो, स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, रोजगार हो या भविष्य के प्रति बढ़ता आत्मविश्वास हो। कोरोना जैसे झंझावात से भारत जैसा विशाल देश न केवल सुरक्षित बाहर निकला है, बल्कि अपनी प्रगति की रफ्तार बढ़ाता जा रहा है। किसी भी मानदंड से यह चमत्कार जैसी स्थिति है
रक्षा उत्पादन
भारत ने बीते नौ वर्ष में रक्षा उत्पादन एवं निर्यात के क्षेत्र में जबरदस्त उपलब्धि हासिल की है। पिछले दशक तक दुनिया के एक प्रमुख रक्षा उत्पाद आयातक देश भारत अब पहली बार रक्षा उपकरण निर्यातक सूची में शामिल हुआ है।
वर्तमान समय में भारत 85 से अधिक देशों को रक्षा उत्पादों का निर्यात करता है। फिलहाल देश की 100 कंपनियां रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं। वर्ष 2013-14 में रक्षा निर्यात 1153 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 15,920 करोड़ रुपये हो गया है।
इसी तरह, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का रक्षा उत्पादन पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है। बीते वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन 1,06,800 करोड़ रुपये रहा। बीते 7-8 वर्षों में सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को जारी रक्षा लाइसेंसों की संख्या में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सैन्य उपकरण बनाने वाली दुनिया की शीर्ष 100 कंपनियों में 3 भारतीय कंपनियां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड और इंडियन आर्डिनेंस फैक्ट्रीज शामिल हो गई हैं।
ऊर्जा
देश में बिजली उत्पादन 2014-15 में 1110.458 बिलियन यूनिट था, जो 2022-23 में बढ़कर 1,624.158 बिलियन यूनिट हो गया। 30 अप्रैल, 2023 तक देश में कुल संस्थापित उत्पादन क्षमता 4,16,591 मेगावाट है। इसमें केंद्रीय क्षेत्र की हिस्सेदारी 1,00,055 मेगावाट, राज्य की 1,05,726 मेगावाट और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 2,10,810 मेगावाट है।
कुल संस्थापित उत्पादन क्षमता में जीवाश्म ईंधन का हिस्सा 57% है। इसमें भी 49.3% बिजली उत्पादन कोयले से होता है। जल, पवन, सौर व अन्य नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 41.4 % तथा परमाणु ऊर्जा की 1.6% है। 2022-23 में बिजली उत्पादन 8.89% बढ़ा।
इसमें थर्मल क्षमता में 8.21%, सौर, पवन व अन्य नवीकरणीय ऊर्जा में 19.10 %, हाइड्रो 6.91%, नाभिकीय में 2.66% की वृद्धि हुई। 9 वर्ष में अक्षय ऊर्जा उत्पादन 196 बिलियन यूनिट से 1.5 गुना बढ़कर 291 बिलियन यूनिट और सौर विद्युत स्थापित क्षमता 2.6 गीगावाट से 25 गुना बढ़कर 66.8 गीगावाट हुआ।
आयुष्मान भारत
चिकित्सा के क्षेत्र में भारत सरकार को बीते नौ वर्षों में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल हुई है। देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ की शुरुआत 23 सितंबर, 2018 को की गई थी। अप्रैल, 2023 तक 23.30 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराये गए हैं। देश में अब तक 4.81 करोड़ से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में दूसरी बड़ी उपलब्धि प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना है, जिसके तहत सभी नागरिकों को सस्ती कीमतों पर गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। पिछले 9 वर्षों में जनऔषधि केंद्रों की संख्या 80 से बढ़कर 9,413 हो गई है। इससे नागरिकों के दवाओं की लागत पर होने वाले खर्च में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आई है। बीते 9 वर्ष में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगभग 400 से बढ़कर लगभग 700 तक पहुंच गई है। इसी तरह, एमबीबीएस/पीजी की सीटें 80,000 से बढ़कर 1.7 लाख हो गई हैं।
जल जीवन मिशन
इस योजना की शुरुआत अगस्त 2019 में हुई थी। इसका उद्देश्य 2024 तक हर घर में नल का पानी पहुंचाना है। जब इस योजना की घोषणा हुई थी, तब देश के ग्रामीण इलाकों में केवल 3.23 करोड़ यानी 16.65 प्रतिशत घरों में ही नल से जलापूर्ति होती थी। योजना के तहत 2019 से 2023 तक महज चार वर्ष में देश के ग्रामीण क्षेत्र के 8.60 करोड़ से अधिक घरों में पेयजल आपूर्ति के लिए नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अब तक 11.84 करोड़ (60.92 प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन लगे हैं। यह योजना महिला सशक्तीकरण की दिशा में बहुत कारगर साबित हो रही है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए घर से बाहर नहीं जाना पड़ता है। इस योजना ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों लाखों लोगों के जीवन को आसान बना दिया है।
स्वच्छ ईंधन
उज्जवला योजना : इस योजना का पहला चरण 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया और दूसरा चरण 10 अगस्त, 2021 को महोबा जिले से शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य ग्रामीण व वंचित परिवारों की वयस्क महिलाओं को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराना है ताकि स्वास्थ्य संबंधी विकार, वायु प्रदूषण और वनों की कटाई रोकी जा सके।
योजना के तहत लाभार्थियों को हर साल 12 सिलेंडर और 200 रुपये सब्सिडी दी जाती है। 1 मार्च, 2023 तक इस योजना के लाभार्थी 9.59 करोड़ हो चुके हैं। इसी के साथ देश में एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या जो 2014 में 14.52 करोड़ थी, वह मार्च 2023 में बढ़कर 31.36 करोड़ हो गई।
सीजीडी नेटवर्क : सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) नेटवर्क की पहुंच 2014 में 66 जिलों तक थी, जो अब 630 जिलों तक पहुंच गई है। यानी सीजीडी नेटवर्क कवरेज में 10 गुना वृद्धि हुई है।
पीएनजी : बीते 9 वर्ष में 78 लाख से अधिक पीएनजी कनेक्शन प्रदान किए गए। 2014 में पीएनजी कनेक्शन की संख्या 25.40 लाख थी, जो 2023 में बढ़कर 103.93 लाख हो गई।
परिवहन
सड़क: 2014 से अब तक लगभग 50,000 किमी. राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) का निर्माण हुआ है। 2014-15 तक राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की गति प्रतिदिन 12 किमी. थी, जो 2021-22 में बढ़कर लगभग 29 किमी/दिन हो गई। देश का सबसे लंबा (1,386 किमी.) दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, जो भारतमाला परियोजना का एक हिस्सा है, विकसित किया जा रहा है। एक्सप्रेसवे का दिल्ली-दौसा-लालसोट खंड पहले ही राष्ट्र को समर्पित किया जा चुका है।
हवाईअड्डे: 2014 में देश में 74 हवाईअड्डे थे, जो अब 148 हो गए हैं। 2016 में शुरू क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ के तहत 74 हवाईअड्डों को जोड़ने वाले 469 मार्गों को चालू किया जा चुका है।
रेलवे विद्युतीकरण: भारतीय रेलवे ने 2030 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य कर दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेलवे बनने का लक्ष्य रखा था, पर इसे समय पूर्व ही हासिल कर लिया। रेलवे के 90 यानी कुल 58,424 किमी रेल मार्ग का विद्युतीकरण हो चुका है। 2014 तक 21,413 किमी. मार्ग का ही विद्युतीकरण हुआ था। लेकिन बीते नौ वर्ष में रिकॉर्ड 37,011 किमी. रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया गया है।
डिजिटल क्रांति
जुलाई, 2015 में शुरू डिजिटल इंडिया अभियान का सबसे ज्यादा असल डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में देखने को मिला है। मार्च, 2023 में यूपीआई लेन-देन ने नया रिकॉर्ड बनाया है। मार्च में यूपीआई से लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पार पहुंच गया है।
आज रियल टाइम डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है। डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग कर सरकारें लाभार्थी को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए योजनाओं का लाभ दे रही हैं। वर्ष 2013 के बाद से वर्ष 2021-22 तक 24.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण हो चुका है।
भारत में इंटरनेट की पहुंच 2013 के 15.1 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 48.7 प्रतिशत हो गयी है। इससे इंटरनेट पर आधारित स्टार्टअप सेक्टर में भारी उछाल आया है। 2014 से पहले भारत में जहां मात्र 400 स्टार्टअप थे, वहीं अभी देश में 92,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। इनमें 104 यूनिकॉर्न हो चुके हैं।
गरीबों का साथ
भारत की गरीब जनता के वित्तीय समावेशन के लिए अगस्त, 2014 में प्रारंभ प्रधानमंत्री जनधन योजना से हाशिए रहने वाले वर्ग का भी विकास सुनिश्चित हुआ है। आठ वर्ष में (अगस्त 2022 तक) 46 करोड़ से ज्यादा जनधन बैंक खाते खुले हैं और उनमें 1.74 लाख करोड़ जमा हुआ। पीएम गरीब कल्याण योजना का मकसद देश के हर नागरिक का पेट भरना था। 26 मार्च 2020 को शुरू इस योजना के तहत देश के करीब 80 करोड़ लोगों को राशन मिल रहा है। इस योजना के अंतर्गत अब तक सरकार करीब 5.91 लाख करोड़ रुपये का खर्च कर चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की 145 वीं जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। इस मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार ने 11.5 करोड़ से ज्यादा घरों में शौचालय बनाने का दावा किया था। असंगठित क्षेत्र से जुड़े 42 करोड़ से अधिक लोगों के पास अब प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना के तहत पेंशन कवरेज मिली है।
पुराने कानून खत्म
सरकार ने नौ वर्षों में 1500 कानूनों को समाप्त किया है। इनमें कई कानून अंग्रेजों के जमाने के और अप्रासंगिक थे। मई 2014 से अगस्त 2016 के बीच 1175 कानून खत्म किये गए। इसके अलावा सरकार ने जनता की सहूलियत के लिए 25,000 से ज्यादा शर्तों को समाप्त कर दिया है। पुराने कानून समाप्त करने को लेकर वर्ष 2017 में तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि मई 2014 से अगस्त 2016 के बीच 1175 पुराने कानून हटाए गए। केंद्र सरकार ने 1824 कानूनों को चिन्हित किया है, जिनकी उपयोगिता पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। 200 साल पुराना कानून ब्रिटेन के सम्राट को भारत की सभी अदालतों के फैसलों की समीक्षा का अधिकार देता है, लेकिन यह एक्ट अब इतिहास बन गया है।
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