ज्येष्ठ के मंगल को बड़ा मंगल के नाम से भी जाना जाता है। लखनऊ में इन बड़े मंगलों पर हनुमान जी के भक्त जगह-जगह भंडारे का आयोजन करते हैं। ये भंडारे सालों-साल से लखनऊ वासियों की हनुमत भक्ति और सेवाभाव को दर्शा रहे हैं। ज्येष्ठ मास के बड़े मंगल के दिन लखनऊ की कोई गली, कोई मार्ग ऐसा नहीं होता, जहां बड़े मंगल का भंडारा न चल रहा हो। लखनऊवासियों के इस सेवाभाव से प्रेरित होकर बड़े मंगल के भंडारे अब लखनऊ के आसपास के जिलों में भी आयोजित होने लगे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिये वर्षों से कार्यरत संगठन ‘लोकभारती’ के प्रयासों से इस वर्ष लखनऊ में आयोजित होने वाले बड़े मंगल के भंडारों में आस्था, सेवा एवं समरसता के साथ स्वच्छता के समावेश की एक नई पहल हुई है।
विगत वर्षों में बड़े मंगल के भंडारों के समाप्त हो जाने के बाद आयोजन स्थल पर प्लास्टिक की गिलास और पत्तल आदि आयोजनों की पवित्रता को धूमिल करते प्रतीत होते थे। इस बार ‘लोकभारती’ ने स्वच्छ बड़ा मंगल भंडारे के लिए कुछ मानक निर्धारित किए। इसके अंतर्गत निश्चित हुआ कि भंडारा स्थल पर बड़े कूड़ेदान का प्रयोग किया जाए और उसके चारों ओर चूने का छिड़काव भी किया जाए। प्लास्टिक के उपयोग को वर्जित करते हुए तय हुआ कि प्रसाद वितरण के लिए दोना-पत्तल का प्रयोग किया जाए। पानी पिलाने के लिए प्लास्टिक के गिलास के स्थान पर परंपरागत प्याऊ में प्रयोग होने वाले गंगासागर से पानी पिलाया जाए। भंडारे के दौरान दोना-पत्तल कूड़ेदान में ही रखा जाए। इस बार लखनऊ के परिवर्तन चौक पर भंडारे में स्वच्छता मानकों का हर संभव पालन किया गया। भंडारे के स्वच्छ आयोजन के बाद लोकभारती एवं नगर निगम के लोगों के साथ एक बैठक की गई है। अब स्वच्छ भंडारे के मानक तय किये गए हैं।
इस वर्ष स्वच्छता मानकों का पालन कराने का भरसक प्रयास किया गया। अभी तक बीते तीन बड़े मंगलों में भंडारों के आयोजन हुए हैं। इन भंडारों में पत्ते से निर्मित दोना-पत्तल का प्रयोग हुए तथा अधिकांश स्थानों पर पीने के पानी के लिए कूल टैंक रखे गए। अधिकांश भंडारों में पंक्तिबद्ध प्रसाद वितरण किया गया। भंडारे के उपरांत सुनिश्चित किया गया कि भंडारे का कोई भी कचरा या अवशिष्ट आयोजन स्थल पर न रहने पाए। नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए नंबर पर फोन करके सफाई कराई गई। ‘लोकभारती’ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह बताते हैं कि “अभी अंतिम बड़ा मंगल का भंडारा शेष है। प्रयास है कि अधिकाधिक आयोजकों से जुड़कर उन्हें स्वच्छ मंगल अभियान से जोड़ा जाए। आगामी वर्ष में इस प्रयास को और व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।”
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