भारत आगामी 22 मई को जम्मू—कश्मीर में श्रीनगर में जी—20 की बैठक करने जा रहा है। जहां विभिन्न देशों ने इस केन्द्र शासित प्रदेश में इस बैठक को लेकर दिलचस्पी दिखाई है और अध्यक्ष भारत की तारीफ की है, वहीं अपने ‘कूटनीतिक गुर्गे’ की तरह कम्युनिस्ट चीन ने श्रीनगर बैठक में आने से इंकार कर दिया है। ड्रैगन ने कहा हे कि वह ‘विवादित क्षेत्र’ में हो रही बैठक में भाग नहीं लेगा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंबिन ने बीजिंग में पत्रकारों को बताया कि ‘चीन विवादित क्षेत्र में जी-20 के अंतर्गत किसी भी तरह की बैठक रखने का पुरजोर तरीके से विरोध करता है’। इसमें संदेह नहीं है कि कम्युनिस्ट सत्ता अपने कर्जे के बोझ तले दबे पाकिस्तान की तर्ज पर ही ‘कश्मीर’ को देख रही है और अपने उसी ‘कूटनीतिक गुर्गे’ की बोली बोल रही है। हालांकि जी—20 की बैठक को लेकर तमाम सदस्य देश कश्मीर आने को उत्साहित हैं और भारत द्वारा वहां के माहौल में लाए गए बदलाव की प्रशंसा कर रहे हैं।
कल बीजिंग में प्रेस वार्ता में विदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि ‘जम्मू कश्मीर को चीन विवादित मानता है इसलिए अगले सप्ताह वहां होने जा रही जी-20 के पर्यटन कार्यबल की बैठक में वह सम्मिलित नहीं होगा।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जो वक्तव्य दिया उस पर असल में किसी जानकार को हैरानी इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि पाकिस्तान इस संदर्भ में अपने नफरत भरे बयान देता ही आ रहा है। इसलिए चीन का पाकिस्तानी राग अलापना समझ से परे नहीं है। भारत पहले भी कई मौकों पर जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान और चीन के तथ्य से परे बयानों को अस्वीकार करता आया है।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को चीन अपना पिट्ठू मानता आया है, वहां से उसे अभी कई स्वार्थ साधने हैं। ‘सीपैक’ परियोजना को पूरा करना है, वहां हजारों चीनी नागरिकों की सुरक्षा को पुख्ता कराना है। ऐसे में वह पाकिस्तान की कुढ़न को हवा देगा तो वह पिट्ठू देश बहुत तसल्ली महसूस करेगा।
श्रीनगर में 22 से 24 मई तक तीसरी जी-20 पर्यटन कार्यबल बैठक के आयोजन को लेकर भारत के मन में पूरी स्पष्टता है और पाकिस्तान की आतंकी मानसिकता को परखते हुए आयोजन स्थल पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की गई है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि श्रीनगर में जी-20 की बैठक वास्तव में जम्मू कश्मीर के लिए अपनी वास्तविक सामर्थ्य को दिखाने का एक बड़ा मौका है। श्रीनगर में ऐसे अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों से देश तथा दुनिया में एक सकारात्मक संदेश जाएगा।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जो वक्तव्य दिया उस पर असल में किसी जानकार को हैरानी इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि पाकिस्तान इस संदर्भ में अपने नफरत भरे बयान देता ही आ रहा है। इसलिए चीन का पाकिस्तानी राग अलापना समझ से परे नहीं है। भारत पहले भी कई मौकों पर जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान और चीन के तथ्य से परे बयानों को अस्वीकार करता आया है।
भारत और चीन के बीच 3 वर्ष से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध चल रहा है। भारत का स्पष्ट कहना है कि जब तक चीन सीमा क्षेत्र में शांति का कदम नहीं बढ़ाएगा तब तक दोतरफा संबंध पटरी पर नहीं आ सकते।
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